मुंबई : भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के खिलाफ स्टार इंडिया दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। ट्राई ने ब्रॉडकास्टरों को निर्देश दिया था कि वे व्यावसायिक सब्सक्राइबरों को सीधे सिग्नल न उपलब्ध कराएं। यह आवेदन मुख्य याचिका के अंतर्गत दाखिल किया गया है जिसके ज़रिए ब्रॉडकास्टर स्टार इंडिया ने ट्राई के उस टैरिफ आदेश को चुनौती दी है जिसमें व्यावसायिक सब्सक्राइबरों को सामान्य सब्सक्राइबरों के समान माना गया है।
इस मामले पर आज 25 मई को सुनवाई होनी है। ब्रॉडकास्टर ने आग्रह किया है कि कोर्ट को अपने 15 मई के आदेश को संशोधित करना चाहिए और उसे ट्राई के रेग्युलेशन के साथ-साथ उसके पत्र में दिए गए निर्देश पर भी स्टे दे देना चाहिए। ट्राई ने ब्रॉडकास्टरों को 11 मई को यह पत्र भेजा था। इसमें उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे 5 दिसंबर 20111 के ‘टेलिविज़न चैनलों की डाउनलिंकिग संबंधी नीतिगत दिशानिर्देश’ के क्लॉज़ 5.6 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें। इस क्लॉज़ में तय किया गया है कि ब्रॉडकास्टर सैटेलाइट टीवी चैनल के सिग्नल रिसेप्शन डिकोडर केवल केबल टीवी, डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) ऑपरेटर, इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलिविज़न (आईपीटीवी) या हेडएंड-इन-द-स्काई (हिट्स) ऑपरेटरों को ही दे सकते हैं। अपने पत्र में ट्राई ने कहा कि कुछ टीवी चैनल ब्रॉडकास्टर दिशानिर्देशों के क्लॉज़ 5.6 का उल्लंघन करते हुए अपने सिग्नल सीधे व्यावसायिक सब्सक्राइबरों को उपलब्ध करा रहे हैं।
उसने ब्रॉडकास्टरों से कहा है कि वे ऐसा करने के बाज़ आएं। साथ ही उसने पत्र जारी करने की तारीख से 30 दिनों के भीतर ब्रॉडकास्टरों से अपने निर्देश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है। इसी तरह का एक पत्र होटल एसोसिएशनों को भेजा गया है जिसमें उनसे कहा गया है कि वे अपने सदस्यों को ब्रॉडकास्टरों से सीधे सिग्नल न लेने की सलाह दें और पत्र जारी होने की तारीख के 30 दिनों के भीतर अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। संयोग से, ट्राई का पत्र 15 मई को दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश आने के मात्र चार दिन पहले ही जारी किया गया था। आवेदन का निपटारा करते हुए जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ की बेंच ने ट्राई को निर्देश दिया था कि वो दूरसंचार विवाद निपटान व अपीलीय ट्राइब्यूनल (टीडीसैट) के 9 मार्च 2015 के फैसले के मद्देनज़र नए सिरे से शुल्क का निर्धारण करे। बेंच ने ट्राई से यह भी कहा था कि वो इस याचिका में किसी भी तरह से खंडित किए गए कायदों से खुद को न बांधे।
हालांकि अगर मुख्य याचिका सफल नहीं होती, तब ट्राई के टैरिफ आदेश में व्यावयायिक सब्सक्राइबरों के लिए अगर कोई अलग टैरिफ रखा गया है तो वो भी निरस्त हो जाएगा। बता दें कि स्टार इंडिया ने व्यावसायिक सब्सक्राइबरों पर ट्राई के टैरिफ आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में 20 अगस्त 2-014 को चुनौती दी थी। उसने अपने आवेदन में मांग की थी कि व्यावसायिक सब्सक्राइबरों के टैरिफ आदेश के अमल पर स्टे दे दिया जाए। इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) ने इस टैरिफ ऑर्डर को 14 अगस्त 2014 को टीडीसैट में चुनौती दी थी। अभी 9 मार्च 2015 को टैरिफ ऑर्डर को दरकिनार करते हुए टीडीसैट ने ट्राई से कहा है कि वह इस पर एकदम नए सिरे से कवायत करे और इस सवाल पर फिर से सोचे कि क्या व्यावसायिक सब्सक्राइबरों को घरेलू सब्सक्राइबरों के समान माना जा सकता है या व्यावसायिक सब्सक्राइबरों या उनके कुछ हिस्सों के लिए एक भिन्न व अलग टैरिफ व्यवस्था की ज़रूरत है। इसके बाद फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने टीडीसैट के आदेश को निरस्त करने के लिए अपील दायर कर दी। एफएचआरएआई से मामले को स्थगित करने का अनुरोध मिलने के बाद इसे फिलहाल 20 जुलाई तक टाल दिया गया है।
हिंदी टेलीविजन पोस्ट से साभार