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सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका की चोरी पकड़ी गई, किसी भी लिस्टेड कंपनी में बड़े पद पर न रह पाएंगे!

बड़े लोग चोरी भी बड़ी बड़ी करते हैं और पकड़े भी नहीं जाते. पकड़े जाते हैं तो उसे देर सबेर मैनेज कर लेते हैं. कभी मोदी की आंख के तारे रहे सुभाष चंद्रा अपनी राज्यसभा सीट हारने के बाद तुनके हुए हैं. ऐसे में मोदी सरकार ने भी उनसे आंख फेरने में देर नहीं की. इसके बाद से लुकाछिपी का खेल जारी है. सुभाष चंद्रा के चैनलों को सैटेलाइट के जरिए मिलने वाले एडवांटेज पर रोक लगी तो सुभाष चंद्रा ने बार्क रेटिंग से अपने चैनलों को अलग करने की घोषणा कर दी. अब नया मामला सामने आया है. सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका की चोरी सेबी ने पकड़ ली है और इन पर अपनी कंपनियों में बड़ा पद रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

बाजार नियामक सेबी ने एस्सेल ग्रुप और जी एंटरटेनमेंट के मुखिया द्वय डॉ. सुभाष चंद्रा व पुनीत गोयनका पर बड़ी कार्रवाई करते हुए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर बने रहने पर रोक लगा दी है. इस आदेश के अलावा सेबी ने एक नोटिस भी भेजा है और जवाब तलब किया है.

ज्ञात हो कि एस्सेल समूह के चेयरमैन हैं डॉ. सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक व सीईओ हैं पुनीत गोयनका. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड उर्फ सेबी ने दोनों के खिलाफ अपने निजी लाभ के लिए लिस्टेड कंपनी से पैसा निकालने पर यह कार्रवाई की है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने लिस्टेड कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और एस्सेल ग्रुप की दूसरी लिस्टेड कंपनियों (जी मीडिया, जी लर्न व अन्य) से अपने फायदे के लिए फंड्स की हेराफेरी की.

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सेबी की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है कि धन की हेराफेरी एक सुनियोजित योजना के तहत की गई. कुछ मामलों में निजी लाभ के लिए ZEEL के फंड को महज दो दिन में ही 13 कंपनियों में लगाया गया. सेबी की नोटिस का जवाब सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को 21 दिनों के भीतर देना है.

इस बीच, किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर रहने पर रोक के सेबी के आदेश के खिलाफ एस्सेल समूह के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के प्रबंध निदेशक व सीईओ पुनीत गोयनका ने ‘Securities Appellate Tribunal’ का दरवाजा खटखटाया है. इन दोनों के वकील का कहना है कि इनके क्लाइंट को कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया. ये प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है.

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1 Comment

1 Comment

  1. Akhilesh Mishra

    June 14, 2023 at 12:34 am

    सर नोटिस या और किसी तरह से कोई कॉपी भले ही आप उसे जरूरत अनुसार edit कर दे, अगर लेखों,सूचनाओं और खबरों में संलग्न हो जाएगा जैसे आप पहले करते थे, तो इस जैसी बड़ी खबर का वजन बढ़ेगा।

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