सुभाष चंद्र कुशवाहा-
सुब्रत रॉय नहीं रहे। मैंने अपने जीवन में, इस उद्योगपति को बनते,बिगड़ते देखा। गोरखपुर के सिनेमा रोड पर एक छोटी सी दुकान, चिटफंड कंपनी। चंदा मांगने पर दो सौ से ज्यादा नहीं मगर जल्द ही मजदूरों, रिक्शा चालकों की छोटी छोटी कमाई को लेकर बड़ा ख्वाब दिखाने वाली सहारा इन्वेस्टमेंट ने गरीबों के पांच, दस रुपयों के खाते को अरबों में बदल दिया।

लाखों खातों के दावेदार सामने नहीं आए क्योंकि धनराशि पांच से दस रुपए तक थी। आ भी नहीं सकते थे । गांव, गांव से लोगों ने पैसे जमा किए। आज भी वे अपने पैसे को पाने की उम्मीद में हैं मगर अब उनके मिलने की उम्मीद तो नहीं लगती।
सहारा परिवार का साम्राज्य बहुत कम समय में आगे बढ़ा। हवाई सेवा, अखबार, टीवी, निवेश, हाऊसिंग प्लानिंग और भी न जाने क्या, क्या मगर राजनैतिक पहुंच में चूक या कमजोरी ने उन्हें कानूनी लड़ाई में उलझा दिया। सेटिंग नहीं हो पाई। प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टियों का पराभव भी एक कारण है अन्यथा मजबूत पकड़ होती तो इतनी धनराशि पचाई जा सकती थी। बहुतेरे लुटेरे आज भी सेटिंग के बल पर आराम से ब्रिटेन निकल लिए हैं। मौज कर रहे हैं। उनका साम्राज्य बाहर सुरक्षित है।
सुब्रत रॉय सुरक्षित न रहे। उनका ज्यादातर साम्राज्य देश में था। वह फंस गए। इसलिए उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए भी, उन्हें महान या देशभक्त बनाने का कोई इरादा नहीं है। बेशक उनका साम्राज्य ध्वस्त हो गया है मगर इतना तो है ही कि अभी एक दो पीढ़ी बाहर रहकर ऐश करेगी।
सहारा परिवार के प्रति सम्मान तो तब होता जब गरीबों का पैसा, ब्याज सहित वापस मिल जाता। बेशक उनका व्यवसाय फिर खड़ा हो जाता। गोरखपुर से निकले एक उद्योगपति का यूं जाना, दुखद तो है ही।
अल्प्यू सिंह-
स्टॉकहोम सिंड्रोम एक सच है। लोग शोषण करने वाले को ही अपना ईश्वर समझने लगते हैं। ये सही है कि जीवन के खत्म होने के साथ इंसान का अच्छा बुरा खत्म हो जाता है और इस बात का सम्मान करना चाहिए, लेकिन मौत हमारे गलत फैसलों की मलीनता को साफ नहीं करती। सहाराश्री को आखिरी प्रणाम।उम्मीद है चिटफंड के जरिए गरीब और मासूम लोगों की पूंजी छीन लेने की ग्लानि उन्हें जीवित रहते शायद कभी महसूस हुई हो। शोहरत को सलाम करने की इस दुनिया की पुरानी फितरत है। फिर चाहे वो शोहरत कितने ही लोगों को मारकर कमाई गई हो।
Comments on “सुब्रत रॉय के प्रति सम्मान तो तब होता जब गरीबों का पैसा, ब्याज सहित वापस मिल जाता!”
बिल्कुल सही है सरकार यदि गरीबों की.मसीहा है और भला चाहते है तो प्रोपर्टी बेंचकर गरीबो का पैसा चुकाये सरकार
बिल्कुल सम्मान का काबिल नही है
chor tha cla gya acha huwa uske liye koi pachtawa nhi