सुरेंद्र ग्रोवर-
इस कहानी की शुरुआत 9 नवंबर 2023 से होती है। मेरे मेरे पास संजीव अरोड़ा नामक एक व्यक्ति का मैसेज आता है कि मेरे पास जो ड्रोन बनाने का सामान है उसे डोनेट कर दीजिए। तो मैंने उत्तर दिया कि भाई सामान तो मेरे पास है लेकिन वह इतना महंगा सामान है कि मैं वह डोनेट नहीं कर सकता, अगर आप चाहो तो खरीदी कीमत पर मैं आपको दे सकता हूं।
यह व्यक्ति मेरे साथ फेसबुक पर सालों से कनेक्टेड था और हम दो-तीन बार मिल भी चुके थे। इसके बाद 30 जनवरी को मेरे व्हाट्सएप पर एक मैसेज आता है कि “नए बन रहे वृद्ध आश्रम के अभिभावक बनें।” यह मैसेज भी मुझे संजीव अरोड़ा ने ही भेजा था। मैं खुद इस समय इतना बीमार था कि बिस्तर से भी नहीं उठ सकता था, खड़ा नहीं हो सकता था। ऐसे में मुझे लगा कि मुझे भी अब किसी वृद्ध आश्रम का सहारा ले लेना चाहिए और जैसे कि मेरा बेटा मुझे जीवनयापन के लिए जो फंडिंग कर रहा था उसमें से ₹20000 महीना वृद्ध आश्रम को देता रहूंगा और अपने लिए कोई केयरटेकर रख लूंगा जोकि मेरी सेवा करता रहेगा।
मैंने उससे व्हाट्सएप मैसेज के जवाब में पूछा “रहने का क्या प्रबंध है” इस पर मुझे जवाब मिला कि अभी एक ड्रोम है और प्राइवेट रूम की व्यवस्था की जा रही है। इस पर मैंने उनको बताया कि मैं खुद इतना बीमार हूं कि मैं खुद आश्रम में रहने की सोच रहा हूं। इसके बाद उन्होंने लिखा कि “एक बार आकर देख लीजिए।” उसने अपने वृद्धाश्रम की फर्जी वेबसाइट भी बनवा रखी थी, मुझे इसका लिंक भेजा।
चूँकि संजीव अरोड़ा जानता था कि मैं पूरी तरह उस पर विश्वास करता हूँ, इसलिए मैं देखने नहीं आऊंगा और यही हुआ भी। मैंने उनसे कहा कि मुझे वीडियो कॉल पर वह स्थान दिखा दीजिए जहां मुझे आप रखेंगे तो उन्होंने मुझे वीडियो कॉल पर एक फार्म हाउस दिखाया, जिसमें तीन कमरे थे और एक वृद्ध, जो वहां पहले से मौजूद था। फिर जो भी बातचीत हुई उससे मुझे यह विश्वास दिया गया कि मेरे को एक अलग से कमरा दे दिया जाएगा और उसके बाद वे हड़बड़ी मचा कर 3 फरवरी को मुझे लेने हरिद्वार आ गए।
मेरे पास कार थी तो मैंने कहा कि अपनी कार से ही चलेंगे लेकिन मैं चला नहीं सकता और मैं संजीव बड़ौदा को अपनी कार की चाबी दे दी लेकिन जब उसने कर स्टार्ट करने की कोशिश की तो उसे कर स्टार्ट नहीं हुई क्योंकि कार की बैटरी डाउन हो चुकी थी इस पर उसने मुझे जब बताया तो मैंने उसे कहा कि किसी मिस्त्री को बुलवा लो, वह बैटरी ले आएगा और जंप स्टार्ट करवा देगा और वही गाड़ी खड़ी-खड़ी कोई स्टार्ट रखना, थोड़ी देर में बैटरी चार्ज हो जाएग। इसके लिए मैंने उसको ऑनलाइन कुछ फंड भेज दिया। उसने कहा तो स्टार्ट करवा ली और उसके लिए ₹500 का पेमेंट कर दिया। लेकिन कार को वहीं खड़ी करके कुछ देर स्टार्ट रखने के बजाय वह उसे लेकर मेरे घर की तरफ चला आया। कार गली में ही बंद हो गई तो उसने दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कार स्टार्ट नहीं हुई क्योंकि बैटरी पूरी तरह चार्ज ही नहीं हुई थी।
इस पर वह मेरे पास घर आया और बोला कि कार के साथ यह हुआ है और इतनी रात हो गई है, मुझे नोएडा वापस पहुंचाना है तो हम कैब करके चले चलते हैं, कार बाद में आ जाएगी।
मेरे सामने भी इसके अलावा कोई चारा नहीं था। उसने कार वहां एक लड़के के हवाले की जोकि मिस्त्री को कार स्टार्ट करने के लिए लेकर आया था कि वह बैटरी को चार्ज करवा देगा। इसके बाद मैंने इनड्राइवर एप के जरिए नोएडा के लिए कैब बुक की और हम लोग नोएडा आ गए। सुबह हम नोएडा पहुंचे तो मुझे उस फार्म हाउस पर ले जाया गया और मुझे बताया गया कि एक यह कमरा है जिसमें आप इस वृद्व के साथ रह सकते हैं। हालांकि मैं शेयरिंग में रहना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी मैंने अपने आप को मना लिया कि फिलहाल मैं यहां रह लेता हूं और जैसा कि यह कह रहे हैं कि जल्द ही और कमरे की व्यवस्था हो जाएगी।
मुझे बताया गया कि हम एक बड़ी जगह की व्यवस्था कर रहे हैं, वहां आप आराम से रह सकते हैं। इस फार्म हाउस पर एक बड़ी समस्या यह थी कि वॉशरूम काफी दूर था और मेरे लिए तो खड़ा होना ही मुश्किल था, ऐसे में मैं वॉशरूम तक चलकर कैसे जाता? जब मैंने यह समस्या संजीव अरोड़ा को बताई तो उसने मुझे कहा कि कुछ दिनों की ही बात है, उसके बाद में सब ठीक हो जाएगा। मैंने उसकी बात पर विश्वास कर लिया।
थोड़ी देर बाद संजीव अरोड़ा मुझे वहां से लेकर अपने घर आ गया और लिविंग रूम में एक कोने में तख्त बिछा कर मुझे कहा कि जब तक आपके लिए जगह की व्यवस्था नहीं हो जाती आप यहीं रहिए और मेरी वाइफ तथा उनके यहां एक काम करने वाला जो था, वह मेरी सेवा करता रहेगा और मुझे कोई तकलीफ नहीं होगी। मैं कुछ परेशान तो हुआ लेकिन मैंने संजीव अरोड़ा पर पूरा विश्वास किया। अगले ही दिन मुझे संजीव ने कहा कि मेरे पास जो आदमी है वह 7 तारीख को चले जाएंगे इसलिए हमको आपके यहां जो सामान है उसे मंगवा लेना चाहिए। मैंने कहा सामान तो मंगा लेंगे लेकिन उसे रखेंगे कहां तो संजीव ने कहा कि फिलहाल यहीं रख लेंगे फिर आप जैसा कहोगे वैसा कर लेंगे इस पर मैंने सामान लाने के लिए हामी भर दी और कहा कि यह लोग सामान लेने तो जा रहे हैं लेकिन यह लोग मुझे व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल से जो भी सामान घर में रखा है वह दिखाएंगे और उसके बाद ही गाड़ी में रखेंगे, इस पर संजीव ने कहा, हां यह ठीक रहेगा।
इसके बाद संजीव ने गाजियाबाद से गाड़ी भेज कर सामान नोएडा मंगा लिया लेकिन मुझे हरिद्वार स्थित मेरे किराए के घर से वीडियो कॉल नहीं की गई और सामान ट्रक में भर चाबी वहाँ मौजूद मकान मालिक को दे वह लोग नोएडा आ गए और मुझसे ट्रक भाड़ा ₹7000 दिलवा दिया। यहां तक तो ठीक था लेकिन सामान आने के बाद मैंने उनको कहा कि जो भी सामान उतरता है वह एक बार मेरे को दिखा दिया जाए उसके बाद में इसे जहां रखना चाहें रख लेना लेकिन उन्होंने मुझे अंदर बिस्तर पर ही रहने के लिए कहा और बोले कि आप चिंता मत करो आपको दिखा दिया जाएगा।
संजीव अरोड़ा के कहने पर मैं बिस्तर पर ही रहा और संजीव ने सामान उतरवाना शुरू कर दिया लेकिन मुझे नहीं दिखाया और उसने उस सामान में से एक कार्टून बाहर की बाहर गायब कर दिया। इस कार्टून में मेरा ड्रोन बनाने का सामान था। इस सामान से दो शक्तिशाली ड्रोन बनाए जा सकते थे।
जब सारा सामान जम गया तो मैंने जानने की कोशिश की कि ड्रोन बनाने का सामान कहां रखा है तो मुझे जवाब मिला कि हमें तो ड्रोन बनाने का कोई पार्ट तक नहीं दिखा, शायद छोड़ आए होंगे तो मैं चकरा गया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि इतना बड़ा कार्टून इन लोगों को दिखा ना हो? फिर यह भी पता चला कि मेरे बिस्तर वगैरा भी नहीं है। इस पर मैंने कहा यह क्या है बिस्तर वगैरा भी नहीं लाए क्या तो संजीव अरोड़ा ने कहा कि इनको वापस भेज देते हैं यह लोग लोग बचा हुआ सामान ले आएंगे।
इसके बाद अगले दिन संजीव ने अपना एक लड़का अजय जो वहां रहकर घर के काम में सहयोग करता था उसे हरिद्वार भेज कर बचा हुआ सामान मंगवा लिया लेकिन ड्रोन का सामान उसमें भी नहीं था। मैं चकित था कि ड्रोन का सामान गया तो कहां गया? लेकिन मुझे कोई संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं मिल पाया। दो-चार दिन वहां रहने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरी तबियत ज्यादा बिगड़ रही है और मुझे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इस पर मैंने संजीव अरोड़ा से जब भी कहा कि मुझे अस्पताल ले चलो, मेरी तबीयत बिगड़ रही है, बहुत ज्यादा बिगड़ रही है, हो सकता है मुझे हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़े लेकिन दो-तीन दिन तक लगातार कहने के बावजूद संजीव मुझे अस्पताल लेकर नहीं गया तो मैं दिल्ली में रहने वाले एक फेसबुक मित्र को फोन कर मुझे अस्पताल ले जाने के लिए कहा तो उसने हामी तो भर ली मगर किसी अन्य काम में फंस जाने के कारण आ नहीं पाया।
अब मैं किसी भी तरह अस्पताल जाने के लिए तड़प रहा था। तभी मुझे ख्याल आया कि पुणे में रहने वाले एक मित्र मुझे दो-तीन सालों से लगातार अपने पास बुला रहे थे। वह बार-बार मुझे कहते थे कि आप हमारे पास आ जाइए हम आपका पूरा ध्यान रखेंगे और आपको इतना प्यार और सम्मान देंगे कि आप अपने सारे दुख दर्द भूल जाएंगे। मैंने कुछ देर सोचने के बाद उनसे संपर्क किया और उनको अपनी स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने मुझे तुरंत पुणे आने की ताक़ीद तो मैंने पुणे के लिए निकलने की तैयारी कर ली लेकिन मेरी जेब तो खाली थी ऐसे में क्या करता?
मैंने एक चैनल के सीएमडी को फोन कर पुणे के लिए टिकट करवाने की रिक्वेस्ट की तो उन्होंने अगले दिन के लिए मुझे फ्लाइट टिकट भिजवा दी और मैं पुणे पहुंच गया। दिल्ली एयरपोर्ट और पुणे एयरपोर्ट पर मुझे व्हीलचेयर के सहारे चढ़ाया और उतारा गया। पुणे एयरपोर्ट पर मेरे उस मित्र ने अपना नाम ना बताने के लिए कह रखा है, इसलिए मैं उनका नाम नहीं बता रहा। पुणे एयरपोर्ट पर वह मुझे लेने के लिए पहुंच चुके थे और मैं व्हीलचेयर से सीधा उनके द्वारा लाई गई कैब में बैठकर उनके घर पहुंच गया। नोएडा से जब मैं आने की तैयारी कर रहा था तो मैं मेरा एक बेसिक फोन और एक स्मार्टफोन वहां रहने वाले लड़के अजय को अपने सूटकेस में रखने के लिए दे दिए। यहां आने के बात जब मैं सूटकेस खुलवाया तो उसमें स्मार्टफोन और बेसिक फोन नहीं मिला इस पर मैंने तुरंत संजीव अरोड़ा को कॉल किया तो बोला कि मैंने देखा तो था आपका फोन लेकिन मुझे नहीं पता वह कैसे गायब हो गया क्योंकि फोन मेरे यहां से गायब हुआ है मैं आपको दो-चार दिन में नया फोन भिजवा दूंगा। इसके बाद संजीव अरोड़ा ने व्हाट्सएप कॉल की और मुझसे गाली गलौच करने लगा।
इस घटना ने मेरा तनाव और बढ़ा दिया और उसके बाद मेरी तबियत इतनी ख़राब हो गई कि मुझे तुरंत डॉक्टर को दिखाने जाना पड़ा। डॉक्टर ने मेरी हालत देखते हुए मुझे तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया। इस बीच मेरी अच्छी भली चलती कार जिसे ड्राइवर भेज संजीव ने नोएडा मंगवा लिया था और अपने घर के बाहर खड़ी कर दी थी, के लिए संजीव ने मुझे व्हाट्सएप पर कहा कि मेरी कार में डेंट और पेंट आदि पर 25000 का खर्चा है, जिसे वह ठीक करवा लेगा और मुझे ₹3000 महीना कार का किराया देता रहेगा।
मैं तो इस आदमी से वैसे ही आजिज आ चुका था तो इसे कार कैसे दे देता और वह भी सिर्फ ₹3000 महीने में? यही नहीं, कार पर डेंट और पेण्ट इतने नहीं थे कि 25000 रुपये का खर्च आता। यदि मैं खुद यह काम करवाता तो 5 हज़ार से भी कम में डेंट पेण्ट हो जाता। इस पर मैंने सिर्फ उसे एक शब्द में जवाब दे दिया कि “सॉरी।” उसके बाद उसने जवाब दिया ओके।
आज मेरे बेटे ने अपनी मां को कहकर मुझे फोन करवाया कि उसे कार की ज़रूरत है, मुझे भिजवा दी जाए या मैं उसे नोएडा से कार्पेट क्रेन पर रखवा कर मंगवा लेता हूं। क्रेन इसलिये कि 10 साल पूरे होने के चलते कार दिल्ली और एनसीआर में चल नहीं सकती थी। मैं अभी पुणे में था और कार को मेरे पास पहुंचने के लिए काफी खर्च हो जाता तो मैंने यह जानते हुए कि मैं फिर से “बेकार” हो जाऊंगा, कार बेटे के पास भेजने के लिए राजी हो गया। इसके बाद मैंने संजीव को कॉल कर कहा कि मुदित कारपेट क्रेन भेज रहा है तो गाड़ी उसमें रखवा देना, साथ ही कार में मेरा स्मार्ट टीवी और उससे रिलेटेड सामान के साथ-साथ मेरा एसी भी उस ट्रक में रखवा देना, इस पर उसने कहा कि ठीक है मैं यह कर दूंगा, वैसे आप पूरा सामान ले जाओ, इस पर मैं बोला कहीं सामान रखने का इंतजाम होगा, तभी ले जाया जा सकता है।
इसके बाद जब मेरे बेटे द्वारा भेजी गई क्रेन के ड्राइवर ने संजीव को फोन करके लोकेशन के बारे में पूछा तो संजीव ने उसको यह कहते हुए कार देने में असमर्थता प्रकट की कि कार की चाबी खो गई है इसलिए कार स्टार्ट भी नहीं हो पाएगी तो कैसे दूं? इसके बाद वह मुझे मेरे दूसरे व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर कहता है कि कार को मैंने रिपेयर करने के लिए डेंट पेंट करने के लिए वर्कशॉप में भेज दिया था और उम्मीद है कि वह ठीक हो गई होगी उसका पेमेंट कर दीजिए और कार ले जाइए।
मैंने कार रिपेयर करने के लिए कहा ही नहीं, उसने मेरी परमिशन के बिना कार कैसे ठीक करा ली? मेरे सॉरी कहने के बावजूद यदि उसने कार का डेट पेंट लाइट वगैरा का काम करवा लिया तो मेरी जिम्मेदारी कहां रही? क्योंकि मैंने तो कोई परमिशन दी नहीं थी किसी भी तरीके से और न ही मैंने उसे इस बारे में कुछ कहा था… अब कार वर्कशॉप में खड़ी बता रहा है और उसके बताये गए रुपये माँग रहा है।
इस बात को जानकर मेरा बेटा मुझसे इतना नाराज़ हो गया है कि आगे से जीवनयापन के लिए मुझे भेजी जाने वाली राशि भी न भेजने की धमकी देते हुए आगे से उस घर में किसी को भी फोन ना करने की ताकीद कर चुका। संजीव अरोड़ा ने न केवल वृद्धाश्रम के नाम पर मेरे साथ धोखाधड़ी की बल्कि मुझे बेघरबार भी कर दिया और बेटे से जोकि मुझसे पहले से ही नाराज था, को मुझसे और दूर कर दिया तथा मेरा जीवनयापन के लिए मिलने वाला फंड भी बंद करवा दिया।
(इस प्रकरण और इन आरोपों पर संजीव अरोड़ा अगर अपना पक्ष रखना चाहें तो स्वागत है, वे [email protected] के जरिए अपनी बात भेज सकते हैं)
सुरेंद्र ग्रोवर ने अपनी बात वीडियो के जरिए भी रखी है जिसे देख सुन सकते हैं-