: Scene of Media : Respected Sir, I am Swetabh, a pass out of 5 year integrated course in mass communication from Central University of Jharkhand, Ranchi. I passed out this year. No campus was done in my university, Hence i had to come to Delhi in search for job. I tried out in almost all the big as well as small media houses but still the result was not positive because i was a fresher and had no contact. From last two months i am in Delhi, just trying my luck over here.
Some say that the scene of media in Delhi is not good and hence you go back to Ranchi. I just want to ask that if the city of Media hub does not have a single job for me, so what do you think i should do?
Has my 5 years of study has gone in vain since i have no contact in any of the media house??? Should i return to Ranchi??? You will think why i have written this to you. I just want to showcase you all the scene of the media houses that how they are being run on the basis of the contacts and not on degrees or any other talents.
Swetabh Pandey
(उपरोक्त मेल पढ़ने के बाद मैं क्या जवाब दे सकता था इस लड़के को. लगा कि इनका पत्र छापकर (बिना अनुमति लिए पत्र छापने के लिए अग्रिम माफी) इनका कुछ भला कर सकता हूं. अगर कोई मैग्जीन, न्यूज पोर्टल, न्यूज चैनल, अखबार, रेडियो, एजेंसी इन्हें जॉब आफर करे तो खुशी की बात होगी. नए लोगों को मौका हर हाल में मिलना चाहिए, खासकर उनको जरूर जो टैलेंटेड हों व जिनका कोई गॉडफादर न हो. -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया)
m n giri
June 21, 2014 at 11:17 am
journalist ki digree se kuchh nahi hoto hai. chamchai ki digree hoti to delhi jane ki jarurat hi nahi padti ranchi me hi es digree ki kaphi poochh hai.
सिकंदर हयात
June 21, 2014 at 11:22 am
रांची से दिल्ली आया पर नौकरी नहीं मिली ? अरे भाई नौकरी तो बहुत हे मिडिया में चाहे जितनी ले लो दिक्कत बस वही हे जो हमारे एक रिश्तेदार ने बताई थी जिनका छोटा भाई अनंत काल से शायद सबसे पुराने निजी टी वि चेनेल में काम करता था उनका अमर डाइलोग था ” —- टीवी में शारीक की तनखा तो बहुत हे लेकिन बस मिलती नहीं हे ”
RABI KUMAR JHA
June 21, 2014 at 1:27 pm
मै तो बोलुगाँ की आपकी पास उम्र है तो तैयारी करे और सरकारी नौकरियो की कमी नही है क्योकि मिडीया ही एक ऐसा विषय है जिसका कोई कैरियर नही है
दिलीप गुप्ता
June 21, 2014 at 4:13 pm
अगर आपकी पहुँच ऊपर तक है तो डिग्री गई भाड़ में नौकरी मिल जायेगी. अगर पहुँच नहीं है तो डिग्री को गले में पट्टे की तरह टांग कर घुमते रहो कुछ नही होने वाला.
ashok anurag
June 20, 2014 at 9:52 am
जिस मीडिया में जाति और धर्म पूछ कर काम मिलता हो और अनुभव तथा नए टैलेंटेड लड़के और लड़किओं को सिर्फ मुफ्त में काम करने को कहा जाता हो , वहाँ काम तो मिल भी जाए लेकिन दाम कोई नहीं देता यशवंत भाई
shravan shukla
June 20, 2014 at 12:44 pm
स्वेताभ भाई.. ये मीडिया बहुत घटिया प्रोफेशन है। खैर.. दिल्ली आ ही गए हो तो बेहतर है कुछ न कुछ करो। अपनी औकात नौकरी देने दिलाने की तो नहीं है.. फिर भी एक बार मिलो। शायद कहीं कुछ हो सके… कोशिश तो कर ही सकते हैं
07838752452
Siddarth Singh
June 20, 2014 at 12:49 pm
यशवंत जी, पत्रकारिता के मारे इस बेचारे को आप भी एक चोट दे रहे हैं इसका लिंग परिवर्तन करके! ये लड़की नहीं, लड़का है…!
Siddarth Singh
June 20, 2014 at 7:20 am
यशवंत जी, पत्रकारिता के मारे इस बेचारे को आप भी एक चोट दे रहे हैं इसका लिंग परिवर्तन करके! ये लड़की नहीं, लड़का है…! 😆
Sanjaya Kumar Singh
June 21, 2014 at 12:05 am
मेरा मानना है कि पाँच साल की पत्रकारिता की पढ़ाई बेकार गई, इसे जितनी जल्दी स्वीकार कर लिया जाए बाकी जीवन के लिए उतना ही अच्छा होगा। अगर कैम्पस हुआ ही नहीं और योग्यता के बाद भी एक अदद नौकरी नहीं है तो भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। आमतौर पर मनुष्य को 35 साल नौकरी करनी होती है अगर अभी ही यह हालत है तो आगे क्या उम्मीद हो सकती है। बेहतर हो किसी प्रतियोगिता परीक्षा आदि की तैयारी करके कहीं कोई कायदे की नौकरी कर ली जाए। नौकरियां तो तमाम बुरी हैं पर कर्मचारियों के लिए मीडिया से खराब कोई उद्योग नहीं है।
देनानन्द यादव
June 22, 2014 at 5:50 am
प्यारें यशवन्त जी , यही दशा कुछ मेरी भी है खूब मन लगा के गाजियाबाद से जर्नलिज्म किया …साथ ही साथ रात में इन्टर्न किया …. रफ्तार टाईम से लेकर साधना न्यूज चैनल में नोयडा रहा… पंजाब केशरी गाजियाबाद में रिपोर्टिग की … आज में साधना न्यूज के लिए चन्दौली जिलें से रिपोर्टिग करता हूं …अपने बलबूते बहुत से सुधार चन्दौली में किया … चैनल को विज्ञापन न देने से मेरा डिमोशन भी हो गया … आज मै चन्दौली जिलें के सकलडीहा तहसील देखता हूं … सच्चाई का यही होता है आज में ज्यदातर एक्लूसिव मारता हूं … कार्यवाही भी कराता हूं…. कब से एक ऐसे चैनल की खोज में हूं जो हम पढ़े-लिखें अनुभवी की खोज करेगा… लेकिन यह सपना हि दिख रहा है । देवानन्द यादव – 9453978048
puneet
June 22, 2014 at 6:53 am
प्रिय मानयवर बन्धु
डिग्री करने से क्या होता है.. यदि आपके पास टेंलेट ही नहीं होगा तो डिग्री से कोई फायदा नहीं। पत्रकारिता एक ऐसा टेंलेट जो आदमी में जन्म से ही होता है। हम सीख कर पत्रकारिता कभी भी नहीं कर सकते हैं। पुनीत कुमार सम्पर्क नंबर 09736934213 आई डी [email protected]
Rahul Chauhan
June 23, 2014 at 6:07 am
dekhiye Shwetab bhai aap sirf 2 months me hi haar maan gaye maine 2 saal try kiya tha or tab bhi natiza sifr hi tha uske baad socha shyd mai kabil nahi is media industry ke so khud ko alag kar liya or IT field join kar liya aaj is situation me to hu mujhe dikhta hai ke agle 5 saal me mai kis position par hounga. Rahi baat aapki degree ki aap jo bhi seekhte ho padte ho wo kabhi kharab nahi jaata bas apna apna nazariya hota hai trika hota hai use life me apply kar ne ka suggestion to kuch nahi hai bas yahi hai try karte raho zaroor kuch accha hoga
vineet kumar
October 10, 2014 at 5:09 pm
भाई आप हिम्मत मत हरो। लगे रहो। इश्वर ने चाहा तो तुम दिल्ली की मीडिया के एक दिन बादशाह बनोगे। सिर्फ खुद पर भरोसा रखो। वैसे में सिकंदर हयात की बात से सहमत हू। लेकिन जब आगे बढ़ते चले जाओगे तो पैसा भी बढ़ता जायेगा। हिम्मत मत हारना। 2 महीने और तरी करो नए सिरे से और पुराने को भूल जाओ।