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सियासत

सउदी अरब में तख्ता-पलट?

सउदी अरब के राज-परिवार में जबर्दस्त उथल-पुथल मची हुई है। बादशाह सलमान 84 साल के हो गए हैं। वे अस्वस्थ भी रहते हैं। राज-परिवार के कई शाहजादों में बादशाहत की होड़ लगी हुई है। इस समय जिन्हें युवराज बना रखा है, वे हैं, बादशाह सलमान के बेटे मोहम्मद ! ये मोहम्मद वही हैं जो सारी दुनिया में दो साल पहले बदनाम हो गए थे, तुर्की में प्रसिद्ध पत्रकार जमाल खाशोग्गी की हत्या करवाने के लिए।

मोहम्मद काफी तेज-तर्रार युवराज हैं। उन्होंने सउदी अरब के पुराने ढर्रे की कई रुढ़ियों को उलट-पुलट दिया है। उन्होंने अनेक प्रगतिशील कदम भी उठाए हैं, जिनसे कई पोंगापंथी मुल्ला-मौलवी नाराज हैं और राजमहल के अन्य कई शहजादें उनसे पिंड छुड़ाने के लिए कमर कसे हुए हैं। अब उन्होंने राजमहल के तीन शाहजादों और उनके समर्थक कई अफसरों को गिरफ्तार और नजरबंद कर लिया है। उन्हें आजन्म कारावास या मौत की सजा, दोनों में से कुछ भी मिल सकता है। हमें यह घटना औरंगजेब और दाराशिकोह की याद दिला रही है।

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खुद मोहम्मद ने 2017 में अपने ताऊ के बेटे बड़े भाई और युवराज मोहम्मद बिन नाएफ को एक तख्ता-पलट में उलट दिया था और खुद युवराज बन बैठे थे। जब 2016 में बिन नएफ युवराज बने थे तो यही मोहम्मद बिन सलमान घुटने के बल बैठकर उनका हाथ चूमते हुए दिखाई पड़े थे। जब उन्होंने युवराज पद हासिल कर लिया तो राज परिवार के कई तीसमारखां शाहजादों को उन्होंने एक होटल में नजरबंद कर दिया था। इन सब बागी शहजादों पर आरोप है कि वे मुल्ला-मौलवियों और कबाइलियों से मिलकर सउदी अरब के राज सिंहासन पर कब्जा करना चाहते हैं।

इस काम के लिए उन्होंने कई विदेशी शक्तियों से भी संपर्क बना रखे थे। ऐसा माना जा रहा है कि इन सबके ख़िलाफ़ यह सारी कार्रवाई बादशाह सलमान की जानकारी और सहमति से हो रहा है। इस कार्रवाई से युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने राजगद्दी पर अपना शिकंजा काफी मजबूत कर लिया है। इस समय कोरोना वायरस की वजह से तेल की कीमतें गिर रही हैं और मक्का-मदीना की तीर्थ-यात्रा (उमरा) भी स्थगित कर दी गई है। शायद हज-यात्रा भी स्थगित हो जाए। सउदी अरब के लिए इस तरह एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है।

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युवराज मोहम्मद की महत्वकांक्षा है कि 2030 तक वे ऐसा माहौल बना दें कि सउदी अरब तेल की बजाय तीन करोड़ तीर्थ-यात्रियों से होनेवाली आमदनी से अपनी अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाए।

लेखक डा. वेद प्रताप वैदिक अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं.

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