नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने तम्बाकू सेवन की लत छोड़ने वालों के लिए तम्बाकू छोड़ो नंबर जारी की है। सरकार ने तम्बाकू उत्पादों के पैकेट पर ही ये नंबर लिखने की अधिसूचना जारी की है। नई चेतावनी 1 सितंबर, 2018 से प्रभावी होगी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 अप्रैल, 2018 को जारी अधिसूचना में कहा है कि तम्बाकू पैकेटों पर 85 प्रतिशत की नई पैक चेतावनी होगी, जिसमें तम्बाकू उपयोग के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, और तम्बाकू सेवन की लत को छोड़ने वालों के लिए तम्बाकू छोड़ो नंबर (क्विट लाइन नंबर) लिखना होगा। अधिसूचना के अनुसार अब तम्बाकू के हर उत्पाद के पैकेट पर ‘तम्बाकू से कैंसर होता है और तम्बाकू के कारण दर्दनाक मौत हेाती है’ के संदेश के साथ तम्बाकू छोड़ो नंबर (क्विट लाइन नंबर) 1800-11-2356 लिखा होगा। सरकार ने ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे रिपोर्ट 2017 के परिणामों को देखकर तम्बाकू छोड़ो नंबर (क्विट लाइन नंबर) को शुरू किया है। इस सर्वे में 62 प्रतिशत सिगरेट धूम्रपान करने वालों, 54प्रतिशत बिड़ी धूम्रपान करने वालों और 46 प्रतिशत धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों के उपयोगकर्ताओं ने तम्बाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी लेबल देखकर छोड़ने का सोचा था।
गौरतलब है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर 15 अक्टूबर 2014 को केन्द्र सरकार ने सचित्र स्वास्थ्य चेतावनियों के नए सेट को अधिसूचित किया, जिसमें सभी तम्बाकू उत्पाद पैकेजों के प्रमुख प्रदर्शन क्षेत्र (सामने और पीछे) के 85 प्रतिशत को कवर किया गया था। संसद समितियों और तम्बाकू कंपनियों की सिफारिशों और कई उच्च न्यायालयों में पहले से इन चेतावनियों को चुनौती देने के कारण इसके कार्यान्वयन में देरी हुई। राजस्थान उच्च न्यायालय के माननीय उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अंततः 85 प्रतिशत चेतावनियों का क्रियान्वयन हो पाया।
सिगरेट, बीड़ी और चबाने वाले तंबाकू उत्पादों के पैकेटों पर दोनों तरफ की मौजूदा सचित्र चेतावनी छापने की अधिसूचना अप्रैल 2016 से राजस्थान उच्च न्यायालय और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय निर्देशो पर लागू किया गया था और यह लगभग दो साल से प्रभावी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 4 मई, 2016 को तम्बाकू पैक पर 85 प्रतिशत चेतावनियों के कार्यान्वयन के निर्देशन देते हुए 85 प्रतिशत पैक चेतावनियों को चुनौती देने के सभी मामलों को कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15.12.2017 को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2014 को रद्द कर दिया और वर्ष 2008 की स्वास्थ्य चेतावनी को बहार कर दिया। इसमें पैक के प्रमुख प्रदर्शन क्षेत्र की तरफ 40 प्रतिशत पर चेतावनी की छपाई आवश्यकता है। माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को केन्द्र सरकार और सिविल सोसाइटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बाद 8 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले पर रेाक लगा दी।
विनोद शर्मा
April 9, 2019 at 10:23 pm
मुझे बीड़ी पीना छोड़ना है
शमीम जावेद
June 10, 2019 at 4:57 pm
मुझे खैनी खाना छोडना है