नयी दिल्ली, 23 मई : सरकारी विज्ञापनों में विषयवस्तु नियमन से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए केंद्र द्वारा गठित बी बी टंडन आयोग अत्यधिक और चुनिंदा विज्ञापनों के मामलों पर विचार कर सकता है।सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों से जब पूछा गया कि सरकार अत्यधिक और चुनिंदा सरकारी विज्ञापनों के मुद्दे पर कैसे ध्यान देगी तो उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: टंडन समिति ऐसे मामलों को देख सकती है।’’
सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भी प्रभार देख रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को एक राज्य सरकार द्वारा ‘चुनिंदा और अत्यधिक’ विज्ञापनों को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि क्या यह ‘राजनीतिक भ्रष्टाचार’ नहीं है।
जेटली ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया था लेकिन उनका बयान ऐसे समय में आया जब भाजपा दिल्ली में विज्ञापन के बजट को लेकर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप सरकार पर निशाना साधती आ रही है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पिछले महीने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टंडन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया था। इसका उद्देश्य यह देखना है कि सरकारी इश्तहारों के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। समिति के अन्य सदस्यों में वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा और विज्ञापन जगत के पीयूष पांडेय हैं।
अधिकारियों के अनुसार इस बीच दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष और तमिलनाडु सरकार से नये चैनल शुरू करने के प्रस्ताव मिले हैं। हालांकि उन्होंने संकेत दिया कि मंत्रालय ट्राई की सिफारिशों पर विचार करेगा जो सरकारों को प्रसारण गतिविधियों की अनुमति देने के पक्ष में नहीं हैं।