मोहन गुरुस्वामी-
वर्ष 2019-20 वित्तीय वर्ष में देश के ख़ज़ाने में टैक्स अदा करने वाली प्रमुख कंपनियों की सूची का एक चार्ट संलग्न है । इसमें दुनिया के नं दो खरबपति अडानी की एक भी कंपनी नहीं है!
यह कैसे संभव है? लेकिन असंभव को संभव करता यह सत्य है । यह अनिल अंबानी के कारोबार जैसा मकड़जाल है और अनिल अंबानी की ही गति को प्राप्त होगा जिन्होंने क़रीब सवा लाख करोड़ रुपए की चपत देश के बैंकों के लगा रक्खी है और तीस हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का गोल कर गये हैं ।
अश्विनी श्रीवास्तव-
दुनिया की टॉप 500 फॉर्च्यून कम्पनियों में एक भी कम्पनी न होने के बावजूद अदानी अगर दुनिया में सबसे अमीर होने जा रहे हैं और वह भी मोदी जी के सत्ता में आने के महज 6-7 साल के भीतर हुई ‘चमत्कारिक‘ तरक्की से ….तो भी भक्त यह समझ ही नहीं पा रहे कि इसमें भी लोग हैरान क्यों हो रहे हैं?
एक भक्त ने तो अदानी का जिक्र करने पर मुझसे भड़क कर कहा कि भाई अगले में बिजनेस का टैलेंट है, तभी तो वह तरक्की कर रहा है। मैंने उससे कुछ कहा नहीं क्योंकि वह भक्त है इसलिए स्वाभाविक तौर पर वह सोचना- समझना छोड़ कर ही भक्त बन पाया होगा।
उसे क्या पता कि टैलेंट और लूट में क्या अंतर होता है? टैलेंट वह है, जो दुनिया के बाकी अमीर उद्योगपतियों में है और लूट वह है, जो भारत में उद्योगपति इस देश के भ्रष्ट, लचर और लाचार तंत्र का फायदा उठाकर सभी विभागों, नेताओं आदि में बांट कर खुलेआम कर रहे हैं।
वह भक्त अगर कोई सामान्य विचारशील व्यक्ति होता तो मैं आगे शायद उससे यह पूछता कि अदानी जी में ऐसा क्या टैलेंट उसे दिख रहा है? अदानी ने भी जेफ बेज़ोस, बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, लैरी पेज, एलॉन मस्क, मार्क जुकरबर्ग, जैक मा आदि की तरह दुनिया बदलने वाले किसी प्रोडक्ट को लॉन्च किया है?
यह भी पूछता कि दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों की लिस्ट में अदानी के अलावा भला कौन ऐसा है, जिसने बिना किसी इन्नोवेशन के इतनी दौलत कमाई हो ?
अगर वह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़ने की बजाय कहीं अच्छे शिक्षण संस्थान से पढ़ा होता तो वह खुद भी कभी न कभी यह सोचता जरुर कि आखिर तरक्की का ऐसा ‘चमत्कार‘ भारत के ही उद्योगपति कैसे कर दिखाते हैं?
ज़्यादा पुरानी बात नहीं है, तब धीरूभाई अंबानी ने भी कांग्रेस राज में बिना किसी इन्नोवेशन के एशिया के धनकुबेरों में शीर्ष सूची में जगह पाने की ऐसी ही ‘चमत्कारिक‘ तरक्की हासिल कर ली थी। उनकी तरक्की की कहानी में अब तो यह स्पष्ट रूप से चर्चा भी आता है कि किस तरह उन्होंने सरकार में बैठे शीर्ष लोगों, मीडिया आदि का इस्तेमाल करके नियम- कानून अपने मुताबिक बनवा कर, हटवा कर अथवा नियम- कानून की धज्जियां उड़ाकर अपने कारोबार में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की।
इसके आधार पर यह कहा भी जा सकता है कि धीरूभाई की कामयाबी विशुद्ध कारोबारी टैलेंट की कामयाबी नहीं थी बल्कि अपने देश के भ्रष्टाचार, लचर और लाचार सिस्टम, दलाल मीडिया और ऐसे तरक्की पर भी सवाल न उठाने वाली भेड़ रूपी जनता के कारण मिली कामयाबी यानी कारोबारी लूट ही थी।
इस लूट पर कोई हंगामा तो दूर सवाल तक न उठे, इसका इंतजाम लूट करने वाले उद्योगपति के सरपरस्त नेता करते हैं। कैसे? वे धार्मिक, देशभक्ति या अन्य जातिगत/ क्षेत्रगत/ भाषाई/ नस्लीय आदि भावुक मुद्दे उठाकर ज्यादातर आबादी को भेड़ों के ऐसे झुंड में बदल देते हैं, जो उसी नेता के पीछे आंख मूंदकर इसलिए चलती हैं, क्योंकि उसने उनमें से हर एक भेड़ को ऊनी कम्बल देने का वादा किया है।
ऐसे में अगर किसी एक भेड़ ने यह पूछ भी लिया कि इतने बड़े झुंड के लिए ऊन कहां से आएगा तो उस नेता को जवाब देने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि बाकी भेड़ें उसे देश, धर्म और समाजद्रोही का दर्जा देकर अपने झुंड से अलग कर देती हैं।
इस वक्त हिंदुत्व, देशभक्ति, पाकिस्तान आदि मुद्दों पर जनता को भेड़ की तरह हांकने का काम मोदी जी 2014 से बखूबी कर ही रहे हैं। लिहाजा अदानी जी कामयाबी के नित जाए आसमान छू रहे हैं।
चूंकि धीरूभाई अंबानी की गहन दोस्ती के तार सीधे प्रधानमंत्री से नहीं जुड़े थे इसलिए उन्हें ‘कृपा‘ पूरी मिल नहीं पाई थी। इस कारण वह अपने गुजराती कारोबारी टैलेंट को पूरा नहीं दिखा पाए और बस एशिया तक ही अपने टैलेंट का डंका बजवा पाए।
यहां अदानी का नसीब उनसे बेहतर निकला। मोदी जी गुजरात में जब मुख्यमंत्री बने तो अमित शाह और अदानी की पुरानी कारोबारी साझेदारी के चलते अदानी सीधे मोदी के कृपा पात्र हो गए।
फिर उनके नसीब ने ऐसा पलटा मारा कि इधर मोदी प्रधानमंत्री बने, उधर अदानी अपनी ‘भारतीय चमत्कारिक प्रतिभा‘ से दुनिया के सबसे अमीर उद्यमी बनने की कगार पर हैं।
इस ‘भारतीय चमत्कारिक प्रतिभा‘ को लोग अक्सर किसी क्षेत्र या जाति विशेष की जन्मजात प्रतिभा समझ बैठते हैं।
भक्तगण अक्सर यह भी दलील देते हैं कि भारत का बनिया वर्ग और खासतौर पर गुजराती/ मारवाड़ी/ पंजाबी उद्यमी वर्ग ऐसी तरक्की इसलिए हासिल कर लेता है क्योंकि इनके तो खून में ही कारोबार है।
उनके खून में कारोबार है या सौ में नब्बे बेईमान होने के कारण हमारे नस नस में भ्रष्टाचार है, यह भेड़ में बदल चुके इंसान कभी समझ ही नहीं पाएंगे। इसलिए आइए हम भी अदानी- अंबानी जैसे ‘ प्रतिभाशाली‘ उद्योगपतियों की बढ़ती अमीरी को भारत का गौरव मानकर खुश हो लेते हैं….
भूल जाइए कर्ज के नाम पर जनता का सारा पैसा देने और फिर वापस न ले पाने वाले डूबते बैंकों को, बीएसएनएल, ओएनजीसी, कोल इंडिया जैसी सरकारी कम्पनियों के संसाधन कौड़ी के भाव बेचने को, देश की ज्यादातर जमीन/ एयरपोर्ट / रेलवे स्टेशन/ बस अड्डे आदि लीज के नाम पर बेचने को…
भूल जाइए हर उस सरकारी ‘कृपा‘ को, जिससे सरकार का यानी जनता के पैसे का नुक़सान और अदानी- अंबानी- रामदेव आदि का फायदा हुआ है… क्योंकि इतने बड़े जश्न के मौके पर ये नेगेटिव सोच हमें न तो खुश होने देगी और न इतनी बड़ी उपलब्धि पर गर्व करने देगी।