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सुख-दुख

देश-विदेश के किसानों का तीर्थ बना बस्तर का “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म”

मध्य प्रदेश के 50 पचास प्रगतिशील किसान भ्रमण प्रशिक्षण हेतु पहुंचे कोंडागांव के मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स और रिसर्च सेंटर:-

बिना जुताई, बिना बीज, बिना एक ग्राम भी खाद अथवा दवाई, बिना निंदाई किये साल में कैसे ले रहे हैं तीनतीन फसलें , किसानों ने देखा समझा

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देखी आस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर प्रति एकड़ 25 लाख रुपए की काली मिर्च की खड़ी फसल, हुए दंग

सफेद मुसली की हो रही खुदाई, तथा स्टीविया का रोपण भी देखा

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70 फीट की ऊंचाई तक काली मिर्च से लदे हुए हैं, ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़,और पेड़ों के नीचे सफेद सोना यानी कि सफेद मूसली की तैयार फसल

भारत सरकार के मार्गदर्शन में विकसितस्टीवियाकी नई प्रजाति MDST-16 की शक्कर से 30 गुना मीठी पत्तियों को चखकर किसान हुए हैरान, मुक्तकंठ से सराहा

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‘मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के उद्यानिकी विभाग की विशेष पहल पर लगभग 50 प्रगतिशील किसानों का दल , वरिष्ठ उद्यान विकास के अधिकारियों मेघराज राहंगडाले, हरगोविन्द धुवारे,अशोक बोपचे ,हरगोविन्द बिजेवार आदि अधिकारियों के नेतृत्व में शनिवार 8 अप्रैल को मां दंतेश्वरी हर्बल कोंडागांव पहुंचा। इस भ्रमण के प्रथम चरण में कोओनट फार्म भर्मण के बाद यह दल प्रदेश की हर्बल राजधानी राजधानी कोंडागांव स्थित डीएनके में स्थित ‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ के परिसर “151- हर्बल इस्टेट” पहुंचा। किसानों ने अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर जैविक पद्धति से बस्तर के अपने खेतों में उगाई गई जड़ी बूटियों तथा उनसे तैयार उत्पादों को देखा समझा।

अपनी गुणवत्ता के लिए देश-विदेश में धूम मचाने वाले, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO)’द्वारा प्रमाणित तथा अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप, सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता तथा समूह की बहुस्तरीय सतत गुणवत्ता नियंत्रण की नीति तथा इस सबकी संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में ‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने सभी किसान भाइयों से व्यक्तिगत रूप से भेंट किया और उनके बहुचर्चित “उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती” के कोंडागांव मॉडल तथा जैविक औषधीय पौधों की खेती और इनकी मार्केटिंग के बारे में, किसानों को विस्तार से बताया।

एक्सपोर्ट होने वाले उत्पादों के बारे में अन्य जानकारियां हर्बल समूह के उत्पादन प्रमुख अनुराग त्रिपाठी तथा बलई चक्रवर्ती के द्वारा प्रदान की गई। लंच के उपरांत किसानों का यह दल बस्तर कोंडागांव के चिखलपुटी ग्राम ‘स्थित “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर” पहुंचा। यहां पर उनके द्वारा फार्म भ्रमण तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया गया। फार्म पर मा दंतेश्वरी हर्बल समूह के निदेशक अनुराग त्रिपाठी के द्वारा ऑस्ट्रेलियन टीक , काली मिर्च, जैविक हल्दी, ड्रैगन फ्रूट, स्टीविया , सफेद मूसली, अनाटो, इंसुलिन प्लांट आदि की तैयार फसलों को दिखाते हुए, इनकी खेती की पद्धति के बारे में विस्तार से बताया गया।

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उल्लेखनीय है कि इन दिनों मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म की खेतों में सफेद मूसली की जड़ों की खुदाई और स्टीविया के पौधों का रोपण का बड़े पैमाने पर कार्य जोरों से चल है जिसे किसानों ने देखा। साथ ही खेतों पर खड़े होकर इन खड़ी फसलों के उत्पादन का समुचित आंकलन द्वारा इनके व्यावहारिक अर्थशास्त्र के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। 70 फीट की ऊंचाई तक काली मिर्च के गुच्छों से लदे हुए आस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों को देखकर किसान आश्चर्यचकित भी हुई,और आनंदित भी। किसानों के दल ने मौके पर खड़े होकर जब काली मिर्च की खड़ी फसल से होने वाली प्रति एकड़ आमदनी का आकलन किया तो प्रतिएकड़ से बिना किसी खर्चे के ‌20-25 लाख रुपए की हो रही आमदनी को देखकर बेहद खुश हुए तथा अपने क्षेत्र में भी इस तरह के वृक्षारोपण करने की इच्छा व्यक्त की।

इस समूह द्वारा भारत सरकार की शीर्ष शोध संस्थान सीएसआईआर की आईएचबीटी पालमपुर के सहयोग से विकसित की गई (कड़वाहट रहित) स्टीविया की नई प्रजाति एमडी st16 की शक्कर से 30 गुना मीठी पत्तियों को चखकर सभी किसानो ने बहुत तारीफ की।

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मां दंतेश्वरी महिला हर्बल समूह के अध्यक्ष दसमती नेताम के द्वारा जैविक खाद बनाने तथा जैविक कीटनाशक बनाने की विधि का प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के अंत में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के डीएनके स्थित कार्यालय में संस्था के संस्थापक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने सभी किसान भाइयों से व्यक्तिगत रूप से भेंट किया और उनके बहुचर्चित “उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती” के कोंडागांव मॉडल तथा जैविक औषधीय पौधों की खेती और इनकी मार्केटिंग के बारे में, किसानों की जिज्ञासाओं तथा प्रश्नों का विस्तार से उत्तर दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दसमती नेताम, कृष्ण कुमार पटेरिया , रमेश चंद्र पंडा,श्री शंकर नाग, कृष्णा नेताम, सुखदेव बघेल आदि के साथ ही कोकोनट बोर्ड के हेमन्त नेताम का विशेष योगदान रहा।

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