मनोहर चौधरी-
दी कारवां मैग्जीन का ताजा अंक मीडिया विशेषांक है। कवर पर फोटो मोदी का है। इन्हें सब मीडिया हाउसों का एग्जीक्यूटिव और एडिटर बताया गया है। मीडिया को सरकार का एक अंग घोषित कर दिया गया है। जाहिर है, गोदी मीडिया शब्द यूँ ही नहीं पैदा हुआ है। मीडिया की घनघोर मोदी परस्ती के दशक भर के दौर को अब शोध के दायरे में ला दिया गया है।
दी कारवां के मीडिया विशेषांक को आजकल के लतखोर संपादकों को जरूर पढ़ना चाहिए जो मोदीबाजी के उस्ताद हो गए हैं।
सोच कर देखिये कि अगर किसानों जैसी ख़ुद्दारी कभी मीडिया ने भी दिखाई होती तो आज देश का ये हाल न होता। किसी की कविता है-
जो छप कर बिका करते थे
आजकल बिक कर छप रहे हैं