सत्येंद्र कुमार-
सी एम सिटी की मित्र पुलिस का स्याह चेहरा….
गोरखपुर : न्यायपालिका की भी यही मंशा है कि छोटे-मोटे विवादों को आपसी सुलह समझौते के आधार पर खत्म कर लिया जाए ताकि अदालतों पर अनावश्यक मुकदमो का बोझ न पड़े लेकिन योगी जी के शहर की तिवारीपुर पुलिस सुलह भी नहीं होने देना चाहती है । यदि आपने आपस में बैठकर बात कर लिखित सुलहनामा कर भी लिया है तो पुलिस इसे अपनी घनघोर बेज्जती समझती है ।
हुआ यूं कि लगभग 14 दिन पहले सी एम साहब के शहर में एक मुस्लिम परिवार का किसी फल विक्रेता से तू तू मैं मैं हो गया ।मामला थाने पहुँचा तो मामले में दोनों पक्षों ने थाने के बाहर समझ बैठकर लिखित सुलहनामा कर लिया । यह बात थाने के सिपाही सूर्यकांत को नागवार गुजर गई और उसने थानेदार के सामने ही सुलहनामा उठाकर फेंक दिया और सुलहनामे के बाबत बीस हजार की डिमांड करने लगा ।

पीड़ित परिवार की बात सुनने से सिपाही मुफ्तखोर मालूम पड़ रहा है क्योंकि लॉक डाउन में सिपाही सूर्यकांत मुस्लिम परिवार के घर मुफ्त मटन पाने की लालसा में उनके घर पहुँचा था । डिमांड पूरी नहीं हुई तो वर्तमान प्रकरण में सिपाही सूर्यकांत ने मुफ्त में सुलहनामा मानने से इनकार कर दिया ।
पुलिस में सुनवाई न होने पर पीड़ित परिवार ने मीडिया के सामने अपनी व्यथा बता दी । वीडियो वायरल होते ही इस मामले में लगभग चौदह दिन से हाथ पर हाथ धरे बैठे थानेदार साहब और सिपाही एक्टिव होते हुए पीड़ित परिवार पर इतना बौरा गए कि वीडियो वायरल होने के 2 घंटे के अंदर ही पीड़ित परिवार पर मुकदमा लिखते हुए सीएम सिटी की पुलिस ने जनता को स्पष्ट संदेश दे दिया कि हमारी मांगे पूरी करो अन्यथा अंजाम भुगतो ।
अंदरूनी बात यह भी पता चली है कि पीड़ित परिवार के मकान मालिक पर अनर्गल दबाव बनाकर पीड़ित परिवार से इस बरसात में कमरा खाली करने को कहा गया है । कुछ दिन पहले इसी तरह सी एम सिटी के एक मुफ्तखोर दरोगा ने कोल्ड ड्रिंक का पैसा मांगने पर दुकानदार को इतना पीट दिया था कि उसका सिर फट गया ।
गोरखपुर के तिवारीपुर पुलिस का मुफ्तखोरी से भरा यह निरंकुश चेहरा तो मात्र उदाहरण भर है । तमाम ऐसे मामले और ऐसी आवाजें तो वर्दी की गर्मी और फर्जी मुकदमे की धौंस तथा डंडे के दम पर चुटकियों में दबा दिए जा रहे हैं और हुक्मरान पुलिस सुधार के ढकोसलों का ढोल पीट अपनी कॉलर टाइट कर रहे हैं ।