D Pankar-
TRP डेटा के आते ही न्यूज चैनलों ने उत्पात मचा दिया है. लिस्ट में शामिल लगभग हर न्यूज चैनल के लिए किसी भी ख़बर से ज्यादा बड़ी ख़बर ये है कि वो नम्बर वन हैं.
ज्यादातर ने खुद को किसी ना किसी प्रकार से नम्बर वन घोषित कर रखा है.
BARC वालों ने ऐसा डेटा दिया है जिसका एनालिसिस करके एन केन प्रकारेण सब किसी ना किसी कैटेगरी में नम्बर वन बताने में भिड़े पड़े हैं.
स्टार लगा लगाकर नम्बर वन बाजी चल रही है.
कोई अर्बन यूथ में नम्बर वन है, तो कोई घरेलू महिला 21-35 एज ग्रुप में नम्बर वन है, कोई प्राइम टाइम में नम्बर वन है तो कोई कोई डेसिबल क्षमता में नम्बर वन है, कोई चुनाव के दिन नम्बर वन है तो कोई एक्जिट पोल वाले दिन नम्बर वन है.
कोई मार्केट शेयर में नम्बर वन है कोई शेयर बाजार गिरने वाले दिन नम्बर वन है.
कोई युद्ध रिपोर्टिंग करने में नम्बर वन है तो कोई तो कोई सास-बहू सेगमेंट में नम्बर वन है.
इतने नम्बर वन हैं कि दूर दूर तक कोई नम्बर टू दिखता ही नहीं.
और जो नम्बर टू है वो इतने नम्बर वन की भीड़ में कैसे कहे कि नम्बर टू है.
सोचिए स्टेटिस्टिक्स कितनी ख़तरनाक चीज है, जब इधर उधर का डेटा मैनिपुलेट करके नम्बर वन बना जा सकता है तो कोई नम्बर टू क्यों बनेगा?
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