नवंबर 2014 में लांच किए गए न्यूज एक्सप्रेस एमपी-छत्तीसगढ़ टीवी चैनल का नाम अब बदल गया है. इस बदलाव से पत्रकार और अन्य स्टाफ परेशान हैं कि यह बदलाव कानूनी रूप से सही तरीके से किया गया है या फिर चैनल हेड ने अपनी मंशा के तहत किया है. ज्ञात हो कि न्यूज एक्सप्रेस के मालिकों ने अपने चैनल को मरने के लिए छोड़ दिया. पैसा देना बंद कर दिया. इससे यहां कार्यरत पत्रकारों के होश उड़ गए. यहां काम कर रहे पत्रकारों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी.
साईं प्रसाद मीडिया ग्रुप ने बीते नवंबर में बड़े जोर-शोर से भोपाल और रायपुर में न्यूज एक्सप्रेस लांच किया था, मगर आठ माह के भीतर जब यह चैनल ठीक तरह से स्थापित भी नहीं हो पाया था कि साईं प्रसाद मीडिया के मालिकों ने चैनल की फंडिंग रोक दी और इसे मरने के लिए छोड़ दिया. यही हाल नोएडा के नेशनल चैनल के साथ किया गया. एमपी-सीजी चैनल के हेड एसपी त्रिपाठी ने अपना दिमाग लगाकर न्यूज एक्सप्रेस एमपी सीजी चैनल को जिलाए रखने की रणनीति बनाई. कुछ लोग इसे उनका चैनल पर कब्जा जमाने का खेल भी कहते हैं. बीते 15 अगस्त को न्यूज एक्सप्रेस का नाम बदलकर इसका नाम स्वराज एक्सप्रेस कर दिया गया.
बताया जाता है कि कंपनी की माली हालत कुछ महीनों से डगमगा गई थी. इस स्थिति को देखते हुए चैनल हेड ने मालिकों को सलाह दी कि इसका नाम बदल दिया जाए तो चैनल चलता रहेगा. हेड को मालिकों ने नाम बदलने की मंजूरी दे दी. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि मालिकों को इस बात की भनक नहीं थी कि चैनल हेड ने अपने नाम पर पहले से ही स्वराज एक्सप्रेस नाम का एक पंजीयन करा लिया था. न्यूज एक्सप्रेस का लोगो बदलकर अब स्वराज एक्सप्रेस हो गया है. कहा जा रहा है कि इसका एकाउंट भी त्रिपाठी ने खुलवा लिया है. एसपी त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में कार्यरत स्टाफ से कहा है कि अब वे साईं प्रसाद ग्रुप के नहीं, उनके अधीन काम करेंगे. चैनल हेड ने नया सेटअप बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. हाल ही में उन्होंने रायपुर आकर संवाददाताओं की मीटिंग ली और आश्वस्त किया कि अब उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, न्यूज चैनल को उन्होंने टेक ओवर कर लिया है.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
ashok tandon
August 28, 2015 at 4:59 pm
केवल चैनल का ही पंजीयन नहीं कराया है। कई काले खेल, चैनल की आड़ में हुए हैं और चल रहे हैं, जिनका जब भंडाफोड़ होगा तो कई लोग मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे। पता लगाएं कि इसमें आखिर किसका पैसा लगा है। कौन से सफेदपोश इसमें शामिल हैं।
RAMAWTARGUPTA
August 29, 2015 at 5:28 am
chenal ki khoj bin jaruri hai
ajay upadhyay
August 30, 2015 at 2:29 am
यह सब खेल भापकर का है, जिसने कर्मचारियों को बकाया का एक भी पैसा नहीं दिया है। वह पूरी संपत्ति खुर्द बुर्द कर भागना चाहता है. हालांकि उले लमझ लेना चाहिए कि हाल में हुआ इलाहाबाद हाइकोर्च का निर्णय उप पर भारी पड़ने वाला है। लेबर कोर्ट के निर्णय के चलते उसे कर्मचारयों को भुगतान कर देना चाहिए था, जो कि उसने नहीं किया। माननीय कोर्ट ने उसे इसी संबध में निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया है कि कैसे उसने न तो कर्मचारयों को वेतन दिया और कैसे चैनल बंद कर कई कर्मचारियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया।