कहा जाता है कि जब कोई नया खिलाड़ी देखते ही देखते स्टार बन जाते है तो पहले से स्टार बने खिलाड़ी तिलमिला जाते हैं और नए स्टार को नष्ट करने के लिए साजिशें शुरू कर देते हैं. यही खेल हो रहा है न्यूज चैनलों की दुनिया में.
टीवी9भारतवर्ष न्यूज़ चैनल का टीआरपी में नम्बर वन बन जाना पहले से स्थापित न्यूज़ चैनलों को रास नहीं आया. ऐसा कहा जाता है कि इन चैनलों ने टीवी9भारतवर्ष को बदनाम करने के लिए ढेर सारे षड्यंत्र रचे, खूब सारे अफ़वाह फैलाए और बहुत सी बेसिर पैर की बातें छपवाईं. इन चैनलों का मोहरा बन एक्सचेंज4मीडिया नामक पोर्टल के मालिक अनुराग बत्रा ने टीवी9भारतवर्ष के ख़िलाफ़ जमकर भड़ास निकाली. भाँति भाँति तरीक़े से लांछन लगाए. टीवी9भारतवर्ष के टीआरपी में नम्बर एक बनने पर जितने कुतर्क देकर भ्रमित किया जा सकता था, उतने तरीक़ों से इसने कलम चलाई।
इस संगठित दुष्प्रचार को देख टीवी 9 समूह ने फ़ौरन कोर्ट में एक केस कर अनुराग बत्रा को तलब करा दिया। कोर्ट ने अनुराग बत्रा को टीवी9 के ख़िलाफ़ कुछ भी अंडबंड लिखने से मना कर दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक्सचेंज4मीडिया और अनुराग बत्रा को एक जून वाले आर्टकिल को फिर से प्रकाशित करने या सरकुलेट करने से रोकने का आदेश दिया है. इस आर्टकिल में अनुराग बत्रा ने बार्क के व्यूवरशिप मापने के तौर तरीके पर सवाल खड़ा किया था कि कैसे एक नया नवेला चैनल (टीवी9भारतवर्ष की तरफ इशारा) अचानक टीआरपी में नंबर एक बन गया.
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इस आर्टकिल को मानहानिकारक माना है.
अपने 22 जून के आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने वेब पोर्टल एक्सचेंज4मीडिया को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 25 अगस्त को होगी.
अनुराग बत्रा ने लिखकर दिया है कि वे अगली सुनवाई के पहले तक संबंधित आर्टकिल को न तो दुबारा प्रकाशित करेंगे और न ही उसका वितरण करेंगे.
ज्ञात हो कि कोर्ट ने बार्क को भी नोटिस जारी किया है. बार्क ने भी एक्सजेंच4मीडिया के आरोपों से निपटने के लिए कोर्ट में सुबूत पेश करने की तैयारी कर ली है.
ज्ञात हो कि अनुराग बत्रा और एक्सचेंज4मीडिया हमेशा प्रबंधन की भाषा बोलने के लिए जाना जाता है. ये ग्रुप कभी भी किसी कंपनी के मैनेजमेंट के खिलाफ खबरें प्रकाशित नहीं करता. आम मीडियाकर्मियों या आम कर्मचारियों की बातें तो कभी इनके यहां आती ही नहीं. केवल चापलूसी न्यूज छापने के लिए कुख्यात ये वेब पोर्टल अचानक से टीवी9भारतवर्ष के खिलाफ आक्रामक क्यों हो गया… टीवी9भारतवर्ष के नंबर वन बनने पर सवाल क्यों उठाने लगा… पीआर और इवेंट के माध्यम से पैसे कमाने वाले अनुराग बत्रा के भीतर अचानक नैतिकता ज्ञान आदर्श वाली आत्मा कैसे जिंदा हो गई… जानकार कहते हैं कि ये सारा माया का खेल है… जिधर से ज्यादा माया, उधर से वैसी भाषा…
दरअसल अरबों खरबों की विज्ञापनों की दुनिया पर कब्जे के लिए टीआरपी में टाप पर होना सबसे जरूरी होता है… इसलिए बड़े बड़े खिलाड़ी जोड़तोड़ में लगे रहते हैं… टीवी9भारतवर्ष नया नवेला चैनल आया और देखते ही देखते अपने कंटेंट के दम पर छाप गया… ये बात जमे जमाए चैनलों को हजम नहीं हुई… इसके बाद शुरू हुआ षडयंत्रों का दौर… टीवी मीडिया के मैनेजरों की एक ताकतवर लाबी ने अनुराग बत्रा को पकड़ा और खेल कर दिया…
टीआरपी में नंबर वन की कुर्सी पर कई दफे दूसरे चैनलों भी विराज जाते हैं… एबीपी न्यूज, इंडिया टीवी, रिपब्लिक टीवी जैसे चैनल भी नंबर वन बनते रहे हैं और फिर नीचे गिरते रहे हैं… टीवी9 भारतवर्ष भी नंबर वन बना और कई हफ्ते रहा… फिर वह नीचे गिर रहा है… आजतक लगातार नंबर वन रहता है और कई दफे उसे नीचे गिरना पड़ता है…
अनुराग बत्रा को उम्मीद न थी कि उनके लिखे को कोर्ट में चैलेंज कर दिया जाएगा…
ज्ञात हो कि टीआरपी नापने वाली संस्था बार्क पर टीआरपी फिक्सिंग के आरोप लगे और इसकी जांच हुई… इस कारण कई महीनों तक टीआरपी के डाटा नहीं आए… जब आने शुरू हुए तो उसमें टीवी9भारतवर्ष नंबर वन था… कहा जाता है कि लंबे जांच से गुजरे बार्क दुबारा गड़बड़ आंकड़े जारी करने की हिम्मत ही नहीं कर सकता… यही कारण है कि बार्क और टीवी9भारतवर्ष दोनों ने अपने उपर लगे आरोपों को फौरन कोर्ट में पहुंचाया और मानहानि का केस दायर कर दिया…
तो इस बार अनुराग बत्रा बुरे फंसते दिख रहे हैं….