कन्हैया शुक्ला-
देश में टीआरपी में सबको धूल चटाने वाले टीवी 9 भारत वर्ष ने खबरों के केंद्र में आए दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अपने पत्रकारों को भेज कर नया सिलसिला शुरू कर दिया है। यूक्रेन और रूस के युद्ध का कवरेज अभिषेक उपाध्याय के ज़रिए पूरे देश को दिखाने वाले टीवी9 भारतवर्ष ने श्रीलंका उथलपुथल कवरेज में भी रिपोर्टिंग की मिसाल कायम की है ..
चैनल ने नोएडा से विवेक बाजपेई को श्रीलंका भेज कर वहां की स्थितियों को पूरे दुनिया के सामने रखा है .. विवेक बाजपेई इस कवरेज के अपने अनुभवों को कुछ यूँ सुनाते हैं-
हम लोग कोलंबो से हम्बनटोटा पहुँचते वक्त आख़िरी पाँच किलोमीटर में 50 से ज़्यादा सिक्योरिटी पोस्ट से जूझे… वहाँ श्रीलंका की एयरफ़ोर्स, आर्मी तैनात थी, सादे वर्दी में कुछ पोस्ट पर चीनी फ़ौज भी थी..वहाँ टूरिस्ट ही सिर्फ जा सकते थे वो भी बहुत जांच पड़ताल के बाद ..
श्रीलंका में स्थितियां इतनी भयावह हैं कि वहाँ का माहौल जेहन से जाता ही नहीं है ..हमारे पास जर्नलिस्ट वीज़ा नहीं था ..जिसकी वजह से चीनी और श्रीलंका सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से नज़र बना के रखी हुई थी ..
मैंने अपनी टीम के साथ 2 अप्रैल से 9 अप्रैल तक श्रीलंका में जा के रिपोर्टिंग की .. जब वहां के हालात को जानने के लिए हमारा सफ़र शुरू हुआ तो सबसे पहले मुलाकात सुरक्षा चेक पोस्ट पर सुरक्षा कर्मी से हुई जो हर तरह के हथियार से लैस थे ..
आम पब्लिक से वो न तो संपर्क में आते थे न ही अपने पास किसी को फटकने दे रहे थे ..सिक्योरिटी पोस्ट से पहले हमने अपना कैमरा सीट के नीचे छिपाया…और सबको बताया कि हम टुरिस्ट हैं…
फिर किसी तरह से हम पहुंचे श्रीलंका के हम्बनटोटा में ..जहां पर हमने क़रीब 48 घंटे बिताए …इस दौरान कई जगह हमें श्रीलंका कोस्ट गार्ड और नेवी की तरफ़ से गोली मारने की धमकी दी गई..क्योंकि उनको शक हो गया था कि हम वीडियोग्राफी कर रहे हैं और रिपोर्टिंग कर रहे हैं ..
लगातार हमारे ऊपर सुरक्षा कर्मियों की नज़र रहती थी ..सिविल वर्दी में लोग नज़र बनाए थे कि किसी भी वहां के आम आदमी से बातचीत न कर पाएं .. श्रीलंका फोर्स ने फिर हमे पूरी तरह से रोक दिया और कोई भी बात को नहीं समझने की कोशिश में लग गए और जांच के नाम पर हर तरीके की पूछताछ भी शुरू हो गई ..
उसके बाद हमने बताया कि हम फिल्में बनाते हैं और शूटिंग की लोकेशन को शूट कर रहे हैं ..हम्बनटोटा पोर्ट पर तैनात कोस्ट गार्ड और नेवी को हमने बताया कि हम फ़िल्म की लोकेशन फ़ाइनल करने के लिए आए हैं, उसके बाद भी बहुत जोख़िम भरा ये रिपोर्टिंग का दौर था ..
हमने अपने कैमरे में क़ैद किया कि कैसे पूरे हम्बनटोटा पर चीन ने अवैध क़ब्ज़ा कर के रखा है ..यहां चीनियों के घर हैं, गांव हैं, उनकी नेवी हैं.. समंदर में क़रीब 18 किमी अंदर तक गया…वहाँ से तमिलनाडु का कन्यकुमारी केवल 430 Km रह गया था..वहाँ चीन के वार–शिप खड़े हैं..
वहाँ हर समय एक डर था कि पकड़े गए तो क्या होगा… पर एक उत्साह भी था कि ये जिंदगी में पत्रकारिता के दौरान मेरे न भूलने वाले पल होंगे ..दिमाग़ में सिर्फ़ एक बात थी कि अगर श्रीलंका आए हैं तो कुछ अलग करना हैं.. और श्रीलंका की स्थितियों को दुनिया भर तक पहुंचाना है ..
श्रीलंका में महंगाई इतनी है कि लोग आपको हमेशा एक लालसा भरी निगाहों से देखते नज़र आयेंगे कि ये शायद उनकी कुछ मदद कर सके ..बच्चों के भविष्य पूरी तरह से इस समय अधर में है… खाने–पीने के लिए हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है ..जिससे मुझे और मेरे टीम को भी जूझना पड़ा ..
शुद्ध रूप से शाकाहारी होने में वहां पर खाना तलशाना बहुत मुश्किल भरा रहा ..कभी कभी तो पानी पी कर ही पूरा दिन निकल गया ..सिर्फ अगर कुछ फल मिल गए तो बड़ी बात है नहीं तो सी–फूड ही बहुत मुश्किल से मिलता था पर वो भी मेरे काम का तो नहीं था ..बस पत्रकारिता में कुछ करने का जुनून और चैनल के मेरे सीनियर संत सर और हेमंत शर्मा सर का हौंसला अफजाई ही मेरे लिए एनर्जी का काम करता था ..इसी से मुझे ताकत मिलती थी..
देखें विवेक की ये रिपोर्ट-