जय परशुराम, नोएडा चलो… त्यागी समाज ने लगाया नारा, छपवाया अख़बार में विज्ञापन, पढ़ें रवीश कुमार क्या लिखते हैं…

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रवीश कुमार-

त्यागी समाज ने अपनी पंचायत का अख़बार में विज्ञापन दिया है। सांसद महेश शर्मा के साथ कथित बातचीत की ऑडियो रिकार्डिंग वायरल हुई है। उसमें समाज के एक नेता सांसद से कह रहे हैं कि वे भी भाजपा के वोटर हैं। क्या उनके समाज का कोई मोल नहीं? नोएडा की ओमैक्स सोसायटी की जिस महिला से झगड़े को लेकर विवाद हुआ, उन्होंने कहा है कि कोई भाजपा और योगी जी, मोदी जी को बदनाम न करें। श्रीकांत त्यागी के घर के बाहर अतिक्रमण तोड़ने के तुरंत बाद हाउसिंग सोसायटी के लोग नारे लगाने लगे कि जब तक सूरज चाँद रहेगा,योगी तेरा नाम रहेगा। मैं इन तीनों को भाजपा मतदाता परिवार मानता हूँ। जनता अब जनता नहीं रही। स्थायी रूप से राजनीतिक परिवार में बदल चुकी है। अगर योगी जी ओमैक्स के लोगों के फ़्लैट ज़ब्त कर लें तब भी नारे लगाएंगे, जब तक सूरज चाँद रहेगा, योगी तेरा नाम रहेगा और मिंटाइयां बाँटेंगे।

मैंने यह बात हवा में नहीं कही है। लोगों के भीतर एक धर्म और विपक्ष को लेकर नफ़रत भर गई है। अल्पसंख्यक और विपक्ष के किसी व्यक्ति या नेता पर रासुका और गैंगस्टर लगता है, प्रक्रिया से पहले बुलडोज़र चलता है, तब यही भाजपा मतदाता परिवार आँखें बंद कर समर्थन करता है। उसे ख़ुशी मिलती है। खिलौने वाले बुलडोज़र सर पर रख कर डांस करता है। अगर उसका बस चलता तो असली बुलडोज़र को ही सर पर लाद कर डांस करता। उसके भीतर क़ानून की एकतरफ़ा समझ इसी तरह से बन गई है। वह परवाह भी नहीं करता कि किसी का घर इस तरह से गिरा दिया जाता है, बल्कि जश्न मनाता है। प्रयागराज के जावेद की घटना याद होगी।

ओमैक्स ग्रांड सोसायटी में रहने वाला भी भाजपा मतदाता परिवार है मगर त्यागी समाज से संख्या में छोटा है। सोसायटी के लोगों ने हंगामा कर ग़लत नहीं किया, जैसा वीडियो था, कोई भी पुलिस बुलाता। ऐसी स्थिति में त्यागी समाज भी यही करता। सवाल है कि क्या भाजपा मतदाता परिवार के दोनों सदस्य क़ानून और कार्रवाई को एक ही नज़र से नहीं देखते हैं? क्या दोनों रासुका लगाने और बुलडोज़र चलाने से कम पर राज़ी होते? अगर यह नहीं होता तो किसी को नहीं लगता कि कार्रवाई हुई है।

त्यागी समाज कह रहा है कि गैंगस्टर एक्ट और रासुका क्यों लगा? यह सवाल वाजिब है। जो वीडियो सामने हैं, उस पर क़ानूनी कार्रवाई तो होनी चाहिए लेकिन क्या वह गैंगस्टर एक्ट या रासुका के स्तर का अपराध है? तब तो सीधे हत्या का मुक़दमा दर्ज कर देना चाहिए था। क़ानून की बाक़ी धाराओं को भी ख़त्म कर देना चाहिए। सवाल है कि क्या त्यागी परिवार अल्पसंख्यक और विपक्ष के नेताओं के प्रति ऐसी कार्रवाई का समर्थक नहीं रहा है?उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र को लेकर जनसमर्थन कैसे बन गया?

डॉ कफ़ील खान पर रासुका लगा, भाषण ही दे रहे थे, उनके केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अवैध रूप से रासुका लगा है।अगर इसी बात को लेकर मुसलमान पंचायत करने का विज्ञापन अख़बार में देते, तब ओमैक्स के लोगों और त्यागी समाज की क्या भाषा होती? राज्य की क्या भाषा होती? गोदी मीडिया की क्या भाषा होती? तब क्या त्यागी समाज और ओमैक्स के लोग कहते कि डॉ कफ़ील पर रासुका लगाना उचित नहीं था।क्या त्यागी समाज और ओमैक्स के लोगों को यह दिख रहा है कि ग़लत का समर्थन करते करते उनकी भी हैसियत समाप्त हो चुकी है? श्रीकांत त्यागी के घर पर बुलडोज़र चलने से पहले सोसायटी के लोगों को यही बात चुभ गई कि उनकी कोई औक़ात नहीं है, कार्रवाई के बाद त्यागी समाज को यह बात चुभ गई कि उनकी कोई औक़ात नहीं है। अगर पुलिस और प्रशासन समय पर ही नियमों के हिसाब से उचित कार्रवाई करता तो इसकी नौबत नहीं आती। उम्मीद है जब त्यागी समाज के नेता भाषण दे रहे होंगे तब श्रीकांत त्यागी के व्यवहार पर भी दो शब्द कहेंगे जो उस वीडियो के ज़रिए सामने आया है।

कुलमिलाकर इस प्रसंग के ज़रिए जो हालात बने हैं, उसके लिए भाजपा का मतदाता परिवार ही ज़िम्मेदार है। जो बुलडोज़र चलने पर कार्रवाई मान कर योगी तेरा नाम रहेगा के नारे लगाने लगता है। पीड़ित महिला बयान जारी करती हैं कि योगी जी, मोदी जी और भाजपा को बदनाम न करें। रविवार को भाजपा का वोटर समाज ही आपने-सामने होगा। घर का मामला है। अब देखना है कि योगी जी अपने भाजपा परिवार में कैसे सुलह कराते हैं। ओमैक्स ग्रांड के लोगों को भाव मिलता है या त्यागी समाज के लोगों को। मामला सुलझ जाएगा। ओमैक्स सोसायटी के लोग नारे लगाएँगे, जब तक सूरज चाँद रहेगा, योगी तेरा नाम रहेगा। इससे ज़्यादा अब वे कुछ नहीं कर सकते। व्यापक रूप से ग़लत को सही कहते कहते अब व्यक्तिगत स्तर पर सही नहीं होगा बल्कि वहाँ भी ग़लत को सही कहना पड़ेगा।

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