यशवंत सिंह-
ग़ाज़ीपुर सीट पर बीजेपी ने कमजोर और अनाम-सा प्रत्याशी उतार दिया है। भाग्य के धनी रहे और चिर कुंआरे उमेश सिंह इस बार चमत्कार करने जा रहे हैं क्या? जानकार लोग तो कह रहे हैं कि ग़ाज़ीपुर फिर चौंका सकता है और उमेश नेता चौका मार सकते हैं…
हम लोग बीएचयू में पढ़ते थे तो उमेश सिंह सबसे कम उम्र के छात्र नेता हुआ करते थे। बहुत लोकप्रिय थे। महामंत्री भी बने। फिर कई पार्टियों की यात्रा की। चर्चित वकील प्रशांत भूषण के खासमख़ास थे। केजरीवाल द्वारा गाली देने का ऑडियो उन्होंने जारी किया था।
ग़ाज़ीपुर सीट पर बीजेपी ने कमजोर और अनाम-सा प्रत्याशी उतार दिया है। भाग्य के धनी रहे और चिर कुंआरे उमेश सिंह इस बार चमत्कार करने जा रहे हैं क्या? जानकार लोग तो कह रहे हैं कि ग़ाज़ीपुर फिर चौंका सकता है और उमेश नेता चौका मार सकते हैं।
डॉ उमेश सिंह मूलतः सैदपुर के मुड़ियार गाँव के निवासी है। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा गाँव से ही ग्रहण कर स्नातक करने वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय गए। बीएचयू से विज्ञान वर्ग से स्नातक कर LL.B और LL.M की भी उपाधि ली। इस दौरान वह छात्र राजनीति मे भी सक्रिय रहे।
1991-92 में वह BHU के छात्रसंघ महामंत्री चुने गए। नेट की परीक्षा पास कर इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से LL.D की उपाधि ग्रहण की। इस दौरान वह उत्तर भारत मे पटना से लेकर दिल्ली तक विद्यार्थियों के मुद्दों पर छात्र युवा संघर्ष मोर्चा बनाकर आंदोलन में लगे रहे। छात्र जीवन के बाद उन्होंने आजन्म अविवाहित जीवन का व्रत लेकर विधि और संविधान की मजबूत वकालत करने हेतू उच्चतम न्यायालय, दिल्ली में अधिवक्ता की भूमिका में अपनी जीवन यात्रा शुरू की।
भारतीय राजनीति में संघर्ष की पृष्ठभूमि के निर्माण के बनिस्बत उन्होने अपने समय के बड़े नेता पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिह जी के साथ जनमोर्चा में भी कुछ समय बिताया। जब देश में अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में भ्र्ष्टाचार के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आगाज हुआ तो अरविंद केजरीवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण जी,जनरल वी के सिह, प्रो आनन्द कुमार, प्रो योगेंद्र यादव, पूर्व IPS किरण बेदी जी के साथ इस आंदोलन की कोर टीम में शामिल होकर आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया।
2014 में जब नरेंद्र मोदी जी वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ने आये तो बनारस में छात्रनेताओं को लेकर अरविंद केजरीवाल के साथ चुनाव में लगकर नरेंद्र मोदी से आमने-सामने की टक्कर में मुख्य सूत्रधार रहे। अन्ना आंदोलन की भूमिका में तैयार आम आदमी पार्टी के वह संस्थापक सदस्य रहे। उनकी संगठन और आंदोलन की समझ को देखते हुए अरविंद केजरीवाल ने उन्हें अपनी नवनिर्मित आम आदमी पार्टी के बिहार प्रांत का चुनाव प्रभारी भी बनाया लेकिन अरविंद केजरीवाल के कथनी और करनी मे अंतर को देखते हुए वह जल्द ही आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर पुनः सत्ता के तानाशाही के खिलाफ सड़क से लेकर संस्थानों में वैचारिक और व्यवहारिक मुहिम जारी कर समाज को तैयार कर रहे हैं।
डॉ उमेश सिंह लोकतंत्र और संविधान दोनों को बचाने और मजबूत करने हेतु कटिबद्ध हैं।
भड़ास संपादक की फेसबुक वॉल से…