Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

धारा370 के चक्कर में उन्नाव की बेटी का मामला दब गया..

जलते घर को देखने वाले फूस का छप्पर तेरा भी है… उस के पीछे तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर तेरा है… उसके क़त्ल पर मैं चुप था, मेरा नंबर अब आया… मेरे क़त्ल पर तू चुप है, अगला नंबर तेरा है…!

आग अगर किचन में लगी हो.. तो आप घर का दरवाज़ा बंद नहीं कर सकते.. आग किचन में लगी थी.. महिला सुरक्षा के दावे हवाबाज़ी साबित हो रहे थे.. उन्नाव का एक पूरा का पूरा परिवार ख़त्म होने के मुहाने पर है.. बजाय इसके कि मोदी जी उन्नाव की बेटी के लिए चार शब्द बोलते.. उसे इंसाफ़ दिलाया गया होता.. उन्होंने दरवाजा बंद करना मुनासिब समझा.. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35-ए के ख़ात्मे के एलान के साथ ही उन्नाव की बेटी का मामला दब गया.. और हमारे मुल्क के नुमाइंदों से सवाल पूछने की बजाय उन्हें तालियां मिलीं..

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाराबंकी में एक स्कूली बेटी को इससे जुड़े सवाल पूछना इतना महंगा पड़ गया.. कि उसे धमकियां मिलने लगीं.. मजबूरन घरवालों ने बिटिया को घर में कैद करना ही मुनासिब समझा.. दरअसल बाराबंकी पुलिस इन दिनों स्कूली छात्राओं के लिए एक अभियान चला रही है जिसमें छात्राओं को वीमेन हेल्पलाइन के बारे में बताया जाता है. बीते हफ्ते भी एक ऐसा ही कार्यक्रम एक स्कूल में चल रहा था.. कि एक छात्रा के सवाल से पुलिस के अधिकारी हैरत में रह गए..

एक छात्रा ने उनसे पूछा कि अगर पुलिस से शिकायत करने पर आरोपी ने उसका.. उन्नाव बलात्कार पीड़िता की तरह ‘एक्सीडेंट’ करवा दिया तो क्या होगा? अब ये मानकर चलिए कि सवाल पूछने वाला गुनहगार हो जाता है.. सवाल पूछने वाला सत्ता का दुश्मन हो जाता है.. वो भी तब जब जम्मू-कश्मीर में नई व्यवस्था लागू होने के बाद टीवी चैनलों पर प्रधानमंत्री मोदी अपने लच्छेदार भाषणों से लोकतंत्र की दुहाई देते थक नहीं रहे थे.. भाइयों-बहनों और मितरों लोकतंत्र में सवाल पूछना कब से गुनाह हो गया.. और अगर सवाल पूछना आपको इतना बुरा लगता है.. कि भगवान के लिए लोकतंत्र की दुहाई मत दीजिए मोदी जी..

Advertisement. Scroll to continue reading.

आपको जानकर हैरानी होगी.. कि बीते शुक्रवार को दिल्ली में वित्त मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से सवाल पूछने से मना कर दिया गया.. जानते हैं क्यों.. क्योंकि 2014 में मोदी सरकार के उदय के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को लकवा मार गया था.. जो आज भी सही तरीके से काम नहीं कर पा रही है.. देश में मंदी और अर्थव्यवस्था में आई गिरावट की मुख्य वजह जिम्बोनिज्म है.. इसका अर्थ होता है कि गिरती अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने और कारगर कदम उठाने के बजाए सरकारी तंत्र और जनता राष्ट्रीयवाद की जय-जयकार करती है.. प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रबाल सेन का कहना है कि इससे अगर हम जल्दी उबर नहीं पाए.. तो शायद अगले पांच सालों तक यही स्थिति बनी रहेगी.. गोदी मीडिया आपको इस तरह की ख़बरें नहीं परोसेगा.. इसके लिए आपको ही चाहिए कि अपने विवेक का इस्तेमाल करें.. वरना ख़ाक हो जाओगे.. फिर मत खबर करना..

राम कृष्ण शुक्ला
पत्रकार
[email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement