Sushant Jha-
ज्योतिष के हिसाब से योगी आदित्यनाथ की कुंडली खराब चल रही है और अखिलेश की उनसे बेहतर है।
लेकिन असली ख़बर ये है कि नरेंद्र मोदी की कुंडली सबसे बेहतर चल रही है। ऐसे में ज्योतिषगण सरकार तो भाजपा की ही बनवा रहे हैं, भले ही सीटें कम जो जाएँ।
कल मैं कुछ घनघोर सेक्यूलर पत्रकारों का ट्विटर स्पेस सुन रहा था तो ज्यादातर इस बात से संशय में थे फ्री राशन, बिजली और कानून-व्यवस्था कहीं योगी सरकार की वापसी न करवा दे। ये वो पत्रकार हैं जो टीवी पर या ट्विटर पर ऐसा बोलने से अज्ञाात कारणों से घबराते हैं।
पत्रकारों के प्रति जनता में इतना अविश्वास है कि सही बात उन्हें कोई नहीं बताता। दुखद बात ये है कि पत्रकारों को लोग नेताओं से भी गया-गुजरा समझने लगे हैं। ऐसे में उन्हें जोगी, सिद्ध या सेल्समैन बनकर बात करने का आइडिया अभी तक नहीं सूझा है। जनता तारीफ योगी की करती है लेकिन वोट सपा को दे देती है। कई जगह मुसलमान तारीफ सपा की करता है लेकिन वोट बीजेपी तक को दे रहा है। ऐसे में ये बहुत दिनों के बाद संभवत: पहला चुनाव है जिसमें पत्रकारों के होश उड़े हुए हैं।
यूपी में अगर योगी राज की वापसी हुई तो ये इस मायने में भी ऐतिहासिक होगा कि कोई मुख्यमंत्री पाँच साल पूरा करने के बाद दुबारा सत्ता में आएगा और राजनीति के मंडलीकरण के बाद कोई सवर्ण दुबारा चुन लिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो यह मोदी-शाह और संघ के सामाजिक प्रोजेक्ट की बड़ी सफलता होगी।
हालाँकि संघ-बीजेपी से सहानुभूति रखने वाले एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि योगी आदित्यनाथ के साथ भीतरघात किया जा रहा है, दूसरी तरफ एक निष्पक्ष दिखने वाले स्तंभकार ने कहा कि उन्हें अखिलेश की सभाओं में ज्यादा ‘जोश’ दिखा और योगी व मोदी की सभाओं में लोग ‘जम्हाइयाँ’ ले रहे थे। हालाँकि जोश को जीत और जम्हाइयों को हार मान लेना जल्दबाजी होगी क्योंकि किसी ठोस वोट बैंक की जम्हाई भी गिनती में लगभग उतनी ही होती है जितनी वो वास्तव में होती है।
मेरा व्यक्तिगत मत है कि इस चुनाव में बीजेपी के प्रति कोई 2017 जैसा जोश भले न हो, लेकिन योगी और मोदी के खिलाफ कोई एंटी-इंकम्बेसी नहीं है। ऐसे में बीजेपी ये चुनाव जीत सकती है।