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सियासत

ट्रम्प की हार : जो जो मित्र बने मोदी के, कुर्सी ने छोड़ा उनका साथ!

-प्रकाश के रे-

हमारे मोदी जी की जिन नेताओं से गलबहियाँ हुई, उनका करियर तबाह हो गया. कनाडा गये, तो हार्पर चुनाव हार गये. फ़्रांस के ओलाँ से दोस्ती गहराई, तो उनका पत्ता साफ़ हो गया. उनकी जगह आये मैकराँ से छनने लगी, तो उनकी लोकप्रियता का गुब्बारा फट गया. जर्मनी की मर्केल से नज़दीकी बढ़ी, तो उनकी लोकप्रियता सबसे निचले स्तर पर चली गयी और उन्हें अपनी पार्टी और गठबंधन का नेता पद छोड़ना पड़ा.

ब्रिटेन गये, तो कैमरन को हटना पड़ा और उनके बाद आयीं थेरेसा मे को वैसे ही बेहाल जाना पड़ा. नाम कढ़े सूट पहन कर ओबामा को चाय पिलायी, तो डेमोक्रेटिक पार्टी हार गयी और ट्रंप आ गये. ट्रंप की भक्तों ने पूजा की, पर वे मोदी जी पर ही व्यंग्य करने लगे. अब उनकी विदाई भी हो रही है. पाकिस्तान के नवाज़ शरीफ़ से भाईचारा गहराया, तो उन्हें पद छोड़ना पड़ा, चुनाव हारना पड़ा और जेल जाना पड़ा.

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श्रीलंका में सिरीसेना-विक्रमसिंघे-राजपक्षे प्रकरण तो सामने ही है. मोदी जी के मित्रों में ले-देकर जापान के शिंजो आबे ही कुछ टिके, पर उन्हें भी हटना पड़ा. मोदी जी के एक अन्य अभिन्न मित्र इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू दोस्ती के बाद से जुगाड़ से सत्ता में हैं और उन पर भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है तथा उनकी सरकार डाँवाडोल चल रही है.

-प्रभात डबराल-

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तीन दिन से लगातार अमरीकी न्यूज़ चैनल्स देख रहा हूँ… अंदाज़ा था कि ट्रम्प सिरफिरा टाईप है, लेकिन इतना..? ये पता नही नही था.

पिछले दो दिनों में ट्रम्प ने जो भाषण पेले हैं, जो मुक़दमे दायर किए हैं, खुद राष्ट्रपति होने के बावजूद चुनाव प्रक्रिया को जिस तरह संदेह के घेरे में खड़ा किया है उससे उसकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के नेता भी हिल गए हैं.

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रिपब्लिकन नेता भी डर रहे हैं कि अगर ये हारा, जिसकी सम्भावना ज़्यादा है, तो भी ये आसानी से व्हाइट हाउस नहीं छोड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट पर इसने कब्ज़ा कर ही लिया है, कुछ न कुछ षड्यंत्र/ मुक़दमेबाज़ी करता रहेगा . वो डर रहे हैं कि अगर ऐसा हुआ तो रिपब्लिकन पार्टी बैठ जाएगी.

मैने इस पार्टी के एक वर्तमान सीनेटर और एक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को टीवी पर खुलेआम कहते सुना कि ट्रम्प के लिए लोकतंत्र, पार्टी या देशहित का कोई महत्व नही है. उसे सिर्फ़ सत्ता चाहिए. इसके लिए वो कुछ भी कर सकता है.लोकतंत्र जाए भाड़ में- वो हार भी जाए तो उसे स्वीकार नहीं कर सकता.

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ज़्यादातर विश्लेषक कह रहे हैं कि ट्रम्प दुनियाँ के उन नेताओं में से हैं जिन्हें झूठ बोलने से डर नहीं लगता. और जो सब कुछ जानते हुए भी अपनी गलती स्वीकार नहीं करते.

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