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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की खबर सात में से छह अखबारों में लीड है

नोटबंदी की बजाय यूपीए के ‘वित्तीय कुप्रबंधन’ पर सरकार अब श्वेत पत्र लायेगी, मकसद कौन नहीं समझ रहा है पर खबर नहीं है एक ही बार आलोचना छपेगी  

संजय कुमार सिंह

आज मेरे सात मे से छह अखबारों में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की खबर लीड है। सातवां अखबार नवोदय टाइम्स है। यहां लीड सबसे अलग, “यूपीए के वित्तीय कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र लायेगी सरकार” है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन को पर्दे में रखने और भाजपा की मदद की कोशिशें आम हैं। मतभेद से जुड़ी खबरें तो पहले पन्ने पर जगह पा जाती हैं पर राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस, नरेन्द्र मोदी की आलोचना या कुत्ते को बिस्कुट खिलाने का ‘जुनून’ भी आज पहले पन्ने पर नहीं है। 2024 की चुनावी तैयारियों और आचार संहिता लागू होने से पहले केंद्र सरकार ने परीक्षा में गड़बड़ी रोकने वाला विधेयक भी पेश किया है जिसे लोकसभा की मंजूरी मिल गई है। आज की अन्य खबरों में प्रमुख हैं –

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1. चुनाव आयोग ने अजीत गुट को असली एनसीपी माना, शरद पवार गुट सुप्रीम कोर्ट जायेगा।

2. मध्य प्रदेश की आतिशबाजी इकाई में विस्फोट से 11 मरे, 200 जख्मी, तीन गिरफ्तार

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3. ईडी ने केजरीवाल के पीए, आम आदमी पार्टी के खजांची के घर की तलाशी ली

4. राज्यों का गला घोंटने की केंद्र सरकार की कोशिश के खिलाफ तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट में केरल की याचिका का समर्थन किया 

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5. म्यामार से लगने वाली पूरी 1643 किलोमीटर सीमा पर बाड़ लगेंगे और निर्बाध आवा-जाही बंद हो जायेगी।

6. कांग्रेस ने मोदी के ‘निरर्थक’ भाषण की निंदा की

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कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा को लग रहा था कि अयोध्या के मंदिर से चुनाव जीतना सुनिश्चित हो जायेगा। उसका आवश्यक लाभ नहीं मिला या दूसरे उपाय की भी जरूरत समझी गई तो कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना, नीतिश का पाला बदलना और फिर कुछ ही दिन बाद लालकृष्ण आडवाणी का भारत रत्न हो जाना – कुछ ऐसे मामले हैं जो भाजपा की परेशानी बता रहे हैं। इसमें झारखंड के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और फिर भी सरकार नहीं बना पाने तथा बिहार में शक्ति परीक्षण टल जाना, भाजपा की कमजोर स्थिति का परिचायक है। ऐसे में एक मित्र ने लिखा कि, प्रशांत किशोर मोदी का ही प्लॉट है। उसका उद्देश्य है इंडिया गठबंधन को अप्रासंगिक करार करना है तो मुझे बात सही लगी। इंडियन एक्सप्रेस के जरिये वे यही कह और प्रचारित कर चुके हैं। 03 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस के एक्जीक्यूटिव डयरेक्टर (जी हां, संपादक नहीं) से बातचीत की जो खबर छपी थी उसके शीर्षक का हिन्दी अनुवाद होगा, “भाजपा ने नीतिश के जरिये इस समझ (सोच) को खत्म करवा दिया है कि इंडिया नाम का एक विपक्ष है”।

मुद्दा यह है कि गोबर पट्टी ही इंडिया नहीं है। ना इंडिया गठबंधन यहीं सीमित है और ना पूरे भारत में नीतिश प्रभावी हैं। इसके बावजूद राजदीप सरदेसाई ने अपना चुनावी चिन्तन ट्वीट किया है। वे लिखते हैं, राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा में जाति जनगणना को मुख्य मुद्दे के रूप में उठा रहे हैं। पीएम मोदी अपनी यात्रा के दौरान (कल वे गोवा में थे) प्रमुख संरचना परियोजनाओं और विकसित भारत का उद्घाटन कर रहे हैं। यहां तक ​​कि राम मंदिर के संदर्भ से भी बच रहे हैं (वह कोर वोट पक्का हो गया है)। यही अंतर है: चुनावी राह पर पीएम मोदी नए मतदाताओं तक पहुंचने के लिए महत्वाकांक्षी ‘नए’ भारत का सहारा ले रहे हैं, उनके विरोधी अभी भी ‘पुराने’ भारत की राजनीति में फंसे हुए हैं और नए मतदाताओं को आकर्षित करने में असमर्थ हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी को असम के एक कॉलेज में छात्रों को संबोधित करना था। अंतिम समय में कॉलेज प्रशासन ने मना कर दिया और उन्हें सुनने छात्र सड़क पर चले आये। उन्होंने वहीं छात्रों को संबोधित किया।

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राहुल गांधी अगर कालेज के युवाओं को अपने अंदाज में संबोधित कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री ‘परीक्षा पे चर्चा’ कर रहे हैं और अपने ज्ञान-अनुभव साझा कर रहे हैं। कौन छात्रों को प्रभावित करेगा और कितना वोट में बदलेगा यह बाद की बात है लेकिन नरेन्द्र मोदी जो करें वही अच्छा हो तो कोई बात ही नहीं है। और ऐसा ही है तो नरेन्द्र मोदी (और उनके समर्थकों) को परेशान होने की जरूरत ही नहीं है। लाल कृष्ण आडवाणी को भार रत्न पहले क्यों नहीं दिया गया और कर्पूरी ठाकुर को देने की जरूरत कैसे बनी? इसपर राजदीप नहीं बोलेंगे ना उनके पाठकों – दर्शकों के लिए यह मुद्दा है। वे एक ऐसे ‘प्रमुख’ आंकड़े की बात कर रहे हैं जिसका परीक्षण चुनाव में होना है और उसी के सहारे हैं। उनका कहना है कि भाजपा के वोट 2009 में 7.8 करोड़ से तेजी से बढ़कर 2019 में 22.9 करोड़ हो गए हैं। इस अवधि में कांग्रेस के वोट 11.9 से मामूली बढ़कर 11.94 करोड़ हो गए हैं। जब तक आप नए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित नहीं करेंगे, तब तक चुनाव जीतने का कोई मौका नहीं है। 400 पार का नारा अमित शाह और मोदी ही नहीं लगा रहे हैं, पत्रकार भी समर्थन कर रहे हैं।   यहां मुद्दा यह भी है कि अखबारों में कांग्रेस, राहुल गांधी, इंडिया गठबंधन या न्याय यात्रा की खबरें नहीं के बराबर छपती हैं जबकि सरकार और उसके समर्थक कुछ भी करे उसका समर्थन और प्रचार किया जाता है। इसके बावजूद अगर विपक्ष कमजोर है या नहीं है तो सरकार को कोई चुनौती नहीं है और सरकार के काम से ऐसा लग नहीं रहा है। ईडी ने कल जो सब किया वह पहले नहीं होता था औऱ चुनाव के समय तो वैस भी छापे नहीं पड़ते थे लेकिन पत्रकारों को कुछ औऱ दिख रहा है। कल आम आदमी पार्टी ने कहा कि ईडी ने सादे कागज पर अनौपचारिक विज्ञप्ति जारी की है, अधिकृत विज्ञप्ति जारी क्यों नहीं करता है। इस मूल मुद्दे पर आज के अखबारों में खबर नहीं है। खबर यह है कि ईडी ने आप पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और कार्रवाई की धमकी दी है।

बीते हुए दिनों की अखबारी समीक्षाएँ पढ़ने के लिए इसे क्लिक करें–https://www.bhadas4media.com/tag/aaj-ka-akhbar-by-sanjay-kumar-singh/

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