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सुख-दुख

वैभव भाई PCR और शूट के माहिर थे, उनसे मैंने भी काफ़ी कुछ सीखा!

श्यामलाल यादव-

मित्रों, जब आप छोटी जगहों से महानगर पहुँचते हैं, नए मित्र बनते हैं, कुछ पुराने वाले आपके पीछे-पीछे आते हैं. आपके वरिष्ठ आपकी मदद करते हैं और आप अपने कनिष्ठ लोगों की. कुछ लोग आपका, आपके सम्पर्कों का, आपके स्वभाव का, आपके वक्त का पूरा उपयोग करते हैं और आप इसके लिए सदैव तैयार रहते हैं. उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जिनसे कभी आपको ज़रूरत पड़ जाए तो “न” पहले कहते हैं और काम बाद में पूछते हैं. लेकिन इस आम प्रवृत्ति के अनेक अपवाद होते हैं.

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ऐसे अपवादों में एक था वैभव वर्धन दुबे, जिसे आप रात के दो बजे फ़ोन करें तो काम बाद में पूछेगा, आपके पास पहुँचेगा पहले. कई प्रमुख समाचार चैनलों और अख़बारों में काम किया. बहुत पीड़ादायक है यह बताना कि उम्र में अपने से काफ़ी छोटा, वैभव आज नहीं रहा. ऐसी खबर सुनने, पढ़ने और सुनाने में मानो कलेजा फट जाता है. वैभव ने क़रीब साल भर संघर्ष किया उस बीमारी यानी कैन्सर से जो मानवता के समक्ष सबसे बड़ा संकट और विज्ञान के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. ईश्वर ने बड़ा अन्याय किया है, लेकिन उससे प्रार्थना कि वैभव को सद्गति दे…


सुधीर कुमार पांडेय-

लाल T-shirt में दिख रहे वैभव भाई उन पहले लोगों में थे जिनसे मैं दिल्ली आकर मिला था। तब वो आजतक में अच्छी नौकरी कर रहे थे और मैं काम की खोज में।

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वैभव भाई के साथ इंडिया न्यूज़ में 5 साल काम किया। वैभव भाई PCR और शूट के माहिर थे, उनसे मैंने भी काफ़ी कुछ सीखा। काम के दौरान अक्सर बहस भी हो जाती पर अगले दिन फिर फ़्रेश होकर मिलते। कभी प्यार कभी तकरार का सिलसिला चलता रहा पर अच्छा रिश्ता बना रहा जो आज टूट गया।

सुबह-सुबह वैभव भाई हमको छोड़ कर चले गए लेकिन उनके साथ गुज़ारा वक़्त हमेशा याद रहेगा। ये जाने की उम्र तो नहीं थी। ईश्वर आत्मा को शांति दे।


कृष्ण मोहन शर्मा-

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सन् 2013 की बात है मैं अपने घर पर बैठा था और घंटी बजी दरवाजा खोला तो देखा Vaibhaw Vardhan खड़े थे । हम दोनो ने साथ चाय पी और पूछा कैसे आना हुआ उन्होंने कहा सुना है आपने Aajtak से इस्तीफा दे दिया है मैने कहा मैं NewsNation जा रहा हूं । मैने और वैभव ने लंबे समय तक “आज तक ” में साथ काम किया है ।

उन्होंने कहा भईया आप हमारे साथ IndiaNews चलिए । मैने कहा कि फिलहाल तो नहीं बाद में कभी सोचेंगे । थोड़े मायूस हो गए और बोला भईया सोचिएगा मैं उनको सोसायटी गेट तक छोड़ने गया लेकिन वो नाराज हो गए । बाद में फिर एक दो बार बात भी हुई लेकिन आज मुझे पता चला कि वो अब हम सभी को छोड़कर “गो-लोक ” चले गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे !

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आशीष तिवारी-

अंतस को व्यथित कर गए Vaibhaw Vardhan… ऐसे कौन जाता है भला? भाव शून्य कर गए। कुछ दिन पहले ही बात हुई थी। पूरी उम्मीद थी कि कैंसर को मात दे जल्द पीजीआई से लौटेंगे। नहीं पता था कि आप अनंत यात्रा पर निकल जाएंगे। बाबा विश्वनाथ आपके परिवार को इस अथाह दुख की घड़ी में संबल दें। मन उदास कर गए वैभव जी आप। बहुत उदास। अब कभी आपसे बात नहीं होगी। कभी नहीं।

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