ईश्वर ने हमेशा मुझे मांगे से ज्यादा दिया है। टीवी की नौकरी करते करते ऊब गया था। बार बार मन में इच्छा होती थी कि सब छोड़कर दो महीने की छुट्टी ले लूं। सोचा ये भी था कि अगर नौकरी बदली तो अगली कम से कम महीने भर बाद ज्वाइन करूंगा। एक महीने आराम करूंगा। घूमूंगा, सैर करूंगा। यहां मैं महीने भर की मोहलत मांग रहा था, ईश्वर ने छप्पर फाड़कर दे दिया। एक महीने को कौन कहे, साढ़े नौ महीने का फुल आराम दे दिया। फुल मौज। कोई काम नहीं, कोई टेंशन नहीं।
11 मई 2023 को न्यूज नेशन से इस्तीफे के बाद कुछ दिन आराम किया। फिर कुछ तीर्थ स्थानों पर गए। एक किताब लिखने की शुरुआत की थी, लेकिन वो आगे बढ़ी ही नहीं थी। उस किताब को लगकर पूरा किया। भावना प्रकाशन ने वो किताब छापी। ‘बखरी.. कहानी घर आंगन की’ 29 अक्टूबर को मेरे जन्मदिन पर छपकर भी आ गई। बहुत चर्चा में भी रही और बिक्री भी उसकी अच्छी हुई।
जब भी कोई साथी बिना विकल्प के नौकरी छोड़ता था या नौकरी छोड़नी पड़ती थी तब मैं उससे यही कहता था कि इन पलों का आनंद उठा लो, नौकरी फिर आएगी, लेकिन ये पल लौटकर नहीं आएंगे। सबको तो सिखाया लेकिन बारी अपनी थी। इस्तीफा दिया तो यही सोचा था कि 2 महीने बाद कहीं न कहीं ज्वाइन कर लूंगा, लेकिन बात नहीं बनी। ईश्वर ज्यादा आनंद देना चाहते थे। सवाल बस एक ही था कि बिना नौकरी खर्चे कैसे चलेंगे। कुछ लोगों को पैसे उधार दिए थे। कुछ अपनों के काम पर पैसे खर्च किए थे, जिसे न तो वो देते और न ही मैं मांगता, लेकिन वो पैसे भी आए। कुछ उधारियों ने भी उधार चुका दिए। खर्चे के लिए कुछ ज्यादा सोचना नहीं पड़ा। इस बीच चार मित्र हर हफ्ते फोन करते रहे कि आप किसी से मत कुछ कहिएगा, मेरे पास पैसे हैं, आप मुझसे ही लीजिएगा। एक नाम लिखे बिना रह नहीं पाऊंगा। वो हैं मित्र सईद अंसारी जो हर बार अपने बैंक का आईडी और पासवर्ड देने की पेशकश करते रहे, लेकिन जरूरत नहीं पड़ी।
पत्नी की कभी शिकायत थी कि मैं उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाता, साढ़े नौ महीने खूब समय दिया। चौबीसों घंटे घर में पड़े पति से उन्होंने कभी लड़ाई नहीं की। या यूं कहें कि ये पल सिर्फ आनंद में गुजरे, पति-पत्नी में झगड़ा नहीं हुआ। इससे ये बात साबित होती है हमारी श्रीमती जी एक बढ़िया पत्नी हैं। चाहें तो थोड़ा ये भी मान लें कि मैं पति भी अच्छा ही हूं।
इस दौरान बहुत मजेदार अनुभव हुए। तमाम लोगों के फोन आने बंद हुए और कुछ खास मित्रों के फोन लगातार आते रहे। दैनिक जागरण के संपादक और बड़े भाई विष्णु त्रिपाठी जी को मैंने बताया था कि मैंने न्यूज नेशन से इस्तीफा दे दिया। विष्णु जी का रात में फोन आया। बोले- आधे घंटे से सोच रहा हूं कि विकास जी आएंगे तो कहां बैठेंगे, कहां काम करेंगे। फिर हंसते हुए कहा-आप जागरण में आइए, ज्वाइन कीजिए, साथ में काम करेंगे, बहुत अच्छा रहेगा। बुलवाकर एचआर हेड और यूनिट हेड से भी मिलवाया। कुछ वजहों से मैं वहां गया नहीं, लेकिन विष्णु सर के प्रति सम्मान और भी बढ़ गया। आगे बढ़कर सामने से उन्होंने नौकरी ऑफर की थी।
आजतक छोड़कर जब मैं न्यूज नेशन जा रहा था तो चैनल हेड सुप्रिय प्रसाद ने बहुत रोका था। 12 दिन तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। बार-बार बोले, लोगों से कहवाया कि बहुत गलत फैसला है। खैर मैं मानता हूं कि अच्छा फैसला आनंद देता है, गलत फैसला अनुभव। न्यूज नेशन छोड़ा। सुप्रिय का फोन हर हफ्ते आता था। बात होती थी, लेकिन उन्होंने एक बार भी ये ताना नहीं दिया कि- ‘मैंने कहा था कि आजतक मत छोड़ो, वहां मत जाओ, बहुत राजनीति है, लेकिन तुम माने नहीं।’ सुप्रिय की यही खासियत है, इसी नाते वो न सिर्फ बड़े पद पर हैं, सुप्रिय वाकई भीतर से एक बड़े आदमी हैं। मेरे लिए उन्होंने कुछ संपादकों से बात भी की।
इस बीच कुछ मित्र ज्योतिषी और अंक ज्योतिषियों ने मेरी कुंडली देखी, सभी ने कहा कि आपका अच्छा समय तो अब आ रहा है। मित्र और ज्योतिषी मृदुल त्यागी ने भी यही बताया था। मेरा एक प्रिय भतीजा गुड्डू यानी ललित त्रिपाठी मुंबई में है और एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का इंडिया हेड है। ज्योतिष भी जानता है, उसने कहा कि मौसा आप मुंबई भी आ सकते हैं। ये बात अक्टूबर की है। इसके कुछ ही दिन बाद मुंबई से फोन आ गया।
करीब डेढ़ महीने पहले प्रकांड ज्योतिषी और छोटे भाई संतोष उपाध्याय ने कहा कि भइया पश्चिम दिशा और समुद्र का किनारा आपको बुला रहा है। स्थान परिवर्तन होगा, 15 फरवरी से पहले आपका ऑफर लेटर आ रहा है। हुआ भी यही, 13 फरवरी को ऑफर लेटर आया और 1 मार्च को मैंने यहां ज्वाइन कर लिया। मजे की बात ये है कि ऑफर लेटर मिलने और ज्वाइन करने के बीच दो जगहों से और भी ऑफर आया, लेकिन लेटर ले लिया था तो कहीं और सोचने की बात ही नहीं थी। वैसे भी मेरी भांजी रुचि, भतीजे अभिमन्यु और बेटे समन्वय मुंबई में ही हैं। कई अन्य रिश्तेदार और मित्र भी यहां हैं।
अब चलिए ये बता दूं कि मैंने ज्वाइन कहां किया है। ये एक बड़ा ग्रुप है, जिसकी एक कंपनी मीडिया विंग संचालित करती है। इनका यू ट्यूब पर एक धार्मिक चैनल है, जिसका नाम है- तिलक (TILAK), इसके यू ट्यूब पर करीब 3 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। अब ये ग्रुप ‘तिलक पत्रिका’ नाम से देश का पहला धार्मिक न्यूज चैनल ला रहा है, जिसमें मैंने एग्जीक्यूटिव एडिटर के तौर पर ज्वाइन किया है। इस प्रोजेक्ट के हेड हैं हमारे मैनेजिंग एडिटर केपी सिंह जी। उन्होंने ही मुझे मुंबई आने का ऑफर दिया था। इस चैनल में कोई एजेंडा नहीं होगा, राजनीति नहीं होगी, कोई विवाद नहीं होगा। खैर 10 साल प्रिंट, 18 साल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बिताने के बाद अब नई पारी नए शहर में नए मीडियम में शुरू हुई है। दुआ कीजिए कि बाकी दोनों पारियों की तरह डिजिटल मीडिया की ये पारी भी सुपरहिट हो।