मोतिहारी (बिहार) : हरसिद्धि क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल को तीन जून को स्थानीय पुलिस ने एक बोरा सरकारी गेहूं की कालाबाजारी के प्रायोजित आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इससे पूर्व बीडीओ लोकेन्द्र यादव के आवेदन पर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उल्लेखनीय है कि विपिन के कार्यों को लेकर वर्ष 2014 में मुजफ्फरपुर की संस्था सर्वोदय मंडल एक राष्ट्रीय समारोह में उन्हें ‘यूथ आइकोन’ के तौर पर सम्मानित भी कर चुकी है। वह लंबे समय से माफिया, गुंडों और भ्रष्ट अफसरों की अनियमितताओं के खिलाफ आरटीआई के मोरचे पर संघर्षरत हैं।
बिहार की जेल में बंद आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल
आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की पत्नी और बच्चे, जो प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे
आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की पत्नी मोनिका देवी का प्रार्थना पत्र
प्राथमिकी के मुताबिक किसी ने बीडीओ को फोन पर सुबह सात बजे सूचना दी कि कोई व्यक्ति एक बोरा सरकारी खाद्यान्न बाइक पर कालाबाजारी के लिए ले जा रहा है। जब बीडीओ अपने सहकर्मी कल्याण पदाधिकारी दिवेश दिवाकर के साथ मौके पर पहुंचे तो ग्रामीणों व पुलिस की सहायता से बाइक पर लदे अनाज को जब्त कर लिया गया। पकड़े गए व्यक्ति की पहचान विपिन अग्रवाल के रूप में की गई, जबकि बोरा एसएफसी गोदाम का था। अनाज के पैकेट को खोला गया तो गेहूं निकला, जिसका वजन 50 किग्रा था। इस दौरान कल्याण पदाधिकारी के साथ विपिन ने दुर्व्यवहार भी किया। थानाध्यक्ष मनोज कुमार प्रभाकर बताते हैं कि अभियुक्त को सरकारी खाद्यान्न की कालाबाजारी व सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
विपिन के पिता विजय अग्रवाल ने बताया कि उनका पुत्र आरटीआई कार्यकर्ता है। सामाजिक मुद्दे पर उसके संघर्ष के चलते एक बड़ी साजिश के तहत उसे फंसाया गया है। वह राशन कार्ड पर डीलर से गेहूं ले आ रहे थे।
विपिन की पत्नी मोनिका देवी ने पांच जून को जिले के डीएम व एसपी को आवेदन देकर जेल में पति की हत्या की आशंका जताते हुए रिहाई की मांग की। बताया गया कि उनके पति आरटीआई के तहत सूचना लेकर भ्रष्टाचार से लड़ते रहे हैं। फिलहाल हरसिद्धि बाजार की ही करोड़ों की कीमत वाली कई एकड़ जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए उच्च न्यायालय, पटना में मुकदमा चल रहा है। कुछ महीने पहले उन्होंने स्थानीय डीलर प्रेमीलाल द्वारा जन वितरण प्रणाली में बरती जा रही अनियमितता की शिकायत एसडीओ से की थी। जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर तत्कालीन एसडीओ शम्भूशरण पांडे ने डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसी के चलते डीलर, भूमाफिया व दबंगों ने प्रशासन से मिलीभगत कर उन्हें एक बोरा सरकारी गेहूं की कालाबाजारी के झूठे आरोप में गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। यदि उनके पति की रिहाई की दिशा में प्रशासन ने कारगर कदम नहीं उठाया तो वह अपने अबोध बच्चों के साथ कलक्ट्रेट गेट पर आमरण अनशन करेंगी।
एक वर्ष पूर्व विपिन ने भी करीब सौ स्थानीय लोगों को आरोपित करते हुए एसडीओ कोर्ट, अरेराज में सनहा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जंग में उन्हें विभिन्न संगीन झूठे मुक़दमों में फंसाया जा सकता है या उनकी हत्या की जा सकती है।
अतिक्रमण हटाने को लेकर उच्च न्यायालय में भी एक मुकदमा विपिन वर्ष 2009 से लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने भारत गैस, सुगौली, बीपीएल सूची सुधार, एसबीआई, जन वितरण प्रणाली, हरसिद्धि, ब्लॉक व अंचल कार्यालय, हरसिद्धि में पसरी अनियमितता को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने हरसिद्धि बाजार में गैरमजरुआ जमीन के अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय पटना में सीडब्ल्यूजेसी 2834/13 के तहत मुकदमा किया था। इसके मुताबिक बाजार स्थित खाता संख्या 1 व खेसरा संख्या 245, 411 में पड़ने वाले गुदरी बाजार, यादवपुर रोड व पकडिया रोड के समीप करोड़ों की कीमत वाली करीब आठ एकड़ जमीन पर अवैध तौर से कब्ज़ा कर मकान का निर्माण करा लिया गया।
गौरतलब है कि पूर्वी चम्पारण में रक्सौल के बाद सबसे महंगी जमीन यहीं की है। उच्च न्यायालय ने मामले को संज्ञान लेते हुए अंचल प्रशासन को अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था लेकिन महज खानापूरी की गई। प्रशासन के दोहरे रवैये से आजिज आकर विपिन ने सीओ, एसडीओ, एलआरडीसी व डीएम को पार्टी बनाते हुए उच्च न्यायालय में फिर से याचिका दायर की। इस आधार पर न्यायालय ने अपने आदेश का पालन नहीं करने को अवमानना (कोर्ट ऑफ़ कंटेम्प्ट) करार देते हुए केस को एमजेसी 3166/13 में तब्दील कर दिया।
इसी सिलसिले में न्यायालय के आदेश पर तत्कालीन सीओ अनिल कुमार सिंह को दोषी मानते हुए एसडीओ, अरेराज ने उन पर प्रपत्र ‘क’ भी गठित किया था। प्रशासन ने करीब 90 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया लेकिन बकौल विपिन, कुल मिलाकर बिना कोई ठोस कार्रवाई हुए मामले में अभी लीपापोती चल रही है।