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हवाला माफिया और महाघोटालेबाज विवेक नागपाल के ‘एजेंडे’ पर काम करते हैं कई पेड पत्रकार!

देश का एक खरबपति जो सबसे बड़ा हवाला आपरेटर माना जाता है, नाम है विवेक नागपाल, के टुकड़ों पर देश के दर्जनों मीडिया दिग्गज पलते हैं. यही नहीं, ये लोग विवेक नागपाल के इशारे पर नागपाल विरोधियों के खिलाफ खबरें भी छापते हैं. भड़ास4मीडिया को मिले दस्तावेजों के मुताबिक विवेक नागपाल उस मास्टरमाइंड शख्स का नाम है जो अपना काम निकालने के लिए शासन प्रशासन नेता अफसर जज सबको पटा लिया करता था. यही कारण है कि बड़े से बड़ा अपराध घोटाला करने के बाद भी पुलिस विवेक नागपाल पर हाथ नहीं डाल पाती.

देश का एक खरबपति जो सबसे बड़ा हवाला आपरेटर माना जाता है, नाम है विवेक नागपाल, के टुकड़ों पर देश के दर्जनों मीडिया दिग्गज पलते हैं. यही नहीं, ये लोग विवेक नागपाल के इशारे पर नागपाल विरोधियों के खिलाफ खबरें भी छापते हैं. भड़ास4मीडिया को मिले दस्तावेजों के मुताबिक विवेक नागपाल उस मास्टरमाइंड शख्स का नाम है जो अपना काम निकालने के लिए शासन प्रशासन नेता अफसर जज सबको पटा लिया करता था. यही कारण है कि बड़े से बड़ा अपराध घोटाला करने के बाद भी पुलिस विवेक नागपाल पर हाथ नहीं डाल पाती.

 

ज्ञात हो कि ललित मोदी ने भी पिछले दिनों खुलासा किया था कि सबसे बड़ा हवाला रैकेट विवेक नागपाल चलाता है. इस नागपाल के नजदीकी रिश्ते ओमिता पॉल से है. नागपाल को ओमिता पॉल का बैगमैन (गलत काम के लिए पैसा इकट्ठा करने वाला) के रूप में जाना जाता है. विवेक नागपाल के नाम घपलों घोटालों की पूरी फेहरिस्त है. हाई सेक्युरिटी प्लेट के अरबों के गड़बड़झाले के साथ-साथ उसके ढेर सारे अलग-अलग किस्म के घपले-घोटाले हैं. खुद को सुरक्षित रखने के लिए नागपाल नेताओं, अफसरों के अलावा मीडिया के लोगों पर भी बड़े पैमाने पर पैसा खर्च करता है. नागपाल की एक कंपनी पद्मिनी टेक्नोलॉजी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच की थी.  कंपनी ने आईटी रिटर्न में अपनी आमदनी शून्य बताई थी। इस पर भी सवाल उठे थे।

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विवेक नागपाल को संरक्षण देने वाले नेता कांग्रेस से लेकर भाजपा तक में हैं. ललित मोदी ने ही खुलासा किया कि भाजपा नेता सुधांशु मित्तल के हवाला कारोबारी विवेक नागपाल से बेहद करीबी रिश्ते हैं. ललित मोदी ने ही बताया था कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सेक्रेटरी ओमिता पॉल का नागपाल से नजदीकी संबंध है.

विवेक नागपाल कितना दबंग है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि उसने एक बार ललित मोदी के पिता केके मोदी को बुलाकर उनसे 80 करोड़ रुपये मांगे थे. न देने पर ललित मोदी का पासपोर्ट जब्त करवा देने की धमकी दी थी. इस घटनाक्रम के दौरान प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री हुआ करते थे. ओमिता पॉल तब भी प्रणव मुखर्जी की सचिव हुआ करती थीं. उस दौरान ललित मोदी ब्रिटेन चले गए और अनुराग सिंह जैसे किसी जासूस की सेवा लेकर विवेक नागपाल के फोन टेप कराए, उसके कंप्यूटर की हार्ड डिस्क हैक करा ली और सारे सीक्रेट दस्तावेज प्राप्त कर लिए.

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आरोप है कि निवेक नागपाल पर कोई इसलिए हाथ नहीं डाल पाता क्योंकि उसको बचाने का काम खुद ओमिता पाल (राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की सचिव), ओमिता पाल का पति केके पाल (दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर और फिलहाल उत्तराखंड के राज्यपाल), भाजपा नेता और लायजनर सुधांशु मित्तल आदि लोग करते हैं. नागपाल ने देश में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेटों के 30 हजार करोड़ रुपये के बाजार में आधे से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर रखा है. विवेक नागपाल के मास्टरमाइंड होने का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने देश विदेश में करीब 35 कंपनियां खोल रखी हैं. उसके पास सैकड़ों बैंक खाते हैं. कई बेनामी कंपनियां भी वह संचालित करता है जिसके जरिए कई किस्म के काले कारोबार को अंजाम देता है. पाकिस्तान के हबीब बैंक से लेकर स्विटजरलैंड के फर्स्ट ग्लोबल बैंक तक में नागपाल का एकाउंट है. एक अनुमान के मुताबिक इस शख्स ने 2007 से लेकर 2010 तक के बीच करीब हर साल करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये का अवैध कारोबार करता है.

विवेक नागपाल के बारे में एक जानकारी यह भी है कि केतन पारेख वाले स्टाक घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट में नागपाल को पारेख के बराबर ही दोषी माना गया था. इस नागपाल पर अमर सिंह से लेकर अरुण जेटली तक के फोन टेप कराने के आरोप हैं. फोन टैपिंग का काम जासूस अनुराग सिंह एंड कंपनी के लोग नागपाल के इशारे व फंडिंग पर ही करते थे लेकिन पुलिस ने नागपाल को छुआ तक नहीं. सिर्फ अनुराग व उसके लोग गिरफ्तार हुए. अमर सिंह की फोन टैपिंग के मामले में गिरफ्तार अनुराग सिंह ने बताया था कि उसे तो यह काम नागपाल ने करने के लिए दिया था. अरुण जेटली के फोन टैप करने के मामले में भी यही अनुराग सिंह गिरफ्तार हुआ. इस टैपिंग में नागपाल का नाम आया लेकिन पुलिस ने इससे पूछताछ तक न की.

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विवेक नागपाल के अरबों खरबों कमाने के कई तरीके थे. एक तरीका यह भी था कि जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री हुआ करते थे तब उनकी सचिव ओमिता पॉल के माध्यम से सरकारी बैंकों में डायरेक्टर बनवाने से लेकर वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को शीर्ष या मलाईदार पद दिलाने के नाम पर उसने करोड़ों रुपये वसूले. 2007 में कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में जब सीरियल फ्रॉड डिवीजन बना तो सबसे पहले जिनके खिलाफ मामले दर्ज हुए उसमें विवेक नागपाल भी था.

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के कारोबार में नागपाल के प्रतिद्वंद्वी रहे नितिन शाह का आरोप है कि उनका फोन भी नागपाल ने टैप कराया. नागपाल ने उनके सामने फोन की ट्रांसक्रिप्ट भी रख दी थी. उसके बाद उसने धमकी देकर औने पौने दाम में कंपनी खरीदने की कोशिश की. केके पाल के दबाव में पूरा मामला रफा दफा कर दिया गया और विवेक नागपाल का बाल तक बांका न हुआ. ललित मोदी ने भी दावा किया था कि आखिर विवेक नागपाल के मामले की छानबीन के लिए कोई तैयार क्यों नहीं होता. ललित मोदी ने मीडिया की चुप्पी को देखकर विवेक नागपाल से जुड़े ढेर सारे कागजात आनलाइन अपलोड कर दिए जिसके बाद हड़कंप मच गया. इसमें उन मीडियाकर्मियों की लिस्ट भी थी जिन्हें विवेक नागपाल उपकृत किया करता था.

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एक लिस्ट, जिसमें दर्ज है किस किस पत्रकार को गिफ्ट भेजा गया… (यहां गिफ्ट में भले ही बेड कवर या सूट गया हो, महत्वपूर्ण ये है कि क्या किसी पत्रकार ने इन गिफ्ट को लौटाया या इसके बारे में कहीं लिखा. सब चुप्पी साधे रहे. अगर आप छोटे गिफ्ट कुबूल करते हैं तो बड़े गिफ्ट तो लपक कर ग्रहण करते होंगे. ये लिस्ट ललित मोदी ने मुहैया कराई है, यह बताते हुए कि विवेक नागपाल किस तरह समय समय पर छोटे बड़े गिफ्ट के जरिए पत्रकारों को ओबलाइज किया करता था)

विवेक नागपाल द्वारा ओबलाइज किए गए पत्रकारों की जो लिस्ट है, उसमें एक नाम है पंकज वोहरा का. पहले ये हिंदुस्तान टाइम्स के ब्यूरो चीफ हुआ करते थे और आजकल लंदन के अखबार संडे गार्जियन में काम करते हैं. इन महाशय ने विवेक नागपाल के कहने पर विवेक नागपाल के प्रतिद्वंद्वी नितिन शाह के बारे में झूठी खबर छाप दी. इस बारे में भड़ास के पास आई एक मेल इस प्रकार है…

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Dear Sir,
Pfa the article published in Sunday Guardian as per Vivek Nagpal suggested to Pankaj Vohra tp get the same published whereas  Mr. Nitin shah has already been acquitted by Delhi High Court (copy of the order is enclosed), he had already resigned from the company called M/s Shimnit in the year 2005 (copy of Form 32 is enclosed) and Hon’ble High Court of Bombay vide it’s order dated 19/12/1991 & 20/03/1992 has quashed and set aside the detention order dated 11.11.1991. The article published by Pankaj Vohra are all misleading facts and has published according to the wish of Vivek Nagpal.

-M/s Shimnit has not even implemented the project of HSRP in the State of Rajasthan  THEN WHERE IS the question arises  of Rs 800 Scam. The project is implemented by some other company and Shimnit matter is under arbitration.
-The CBI  matter raised in a PIL filed in Meghalaya High Court has been stayed in the Hon’ble Supreme Court.( copy of the order is enclosed).
-The IB report  dated 18.05.2005 of ministry of Home Affairs” was referred to the Supreme Court where the Hon’ble Supreme Court has stayed. and  is pending before the Apex court.

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Therefore the facts stated by Pankaj Vohra are all incomplete and it seems that the same were dictated by M/s Vivek Nagpal to defame his rival companies.


लखनऊ के पत्रकार पंकज वर्मा का एक पुराना पत्र जिसके जरिए विवेक नागपाल के कुछ कारनामों का खुलासा होता है, साथ ही यह भी पता चलता है कि कैसे पत्रकार लोग भी इन बड़े घोटालेबाजों का लायजनिंग का काम लेकर पैसे बनाया करते थे…

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एक पत्र हर्षवर्द्धन का जिसे उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश मायावती को लिखा था…

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