महक सिंह तरार-
पहले चुनाव का सारा लब्बोलुआब वोटिंग से पहली रात को निकलता था जिसे चुनाव पलटने वाली रात भी कहा जाता था। उस रात कैंडिडेट्स शराब, पैसा, साड़ियां सब झोंक देते थे। फिर आया टी एन शेषण, उसने ऐसे कई कैंडिडेट जीत कर भी घर बैठा दिए। ऊपर से अब हर हाथ मे कैमरा है तो वो रात बहुत हद तक निष्प्रभावी हो गयी।
वोटिंग वाले दिन सभी वोटरों के दिमाग मे चुनाव – कैंडिडेट – पार्टी का फाइनल चल रहा होता है। छुट्टी का दिन भी होता है तो लोग लाइव अपडेट के लिए TV से जुड़ते है। अब कोई #वोटिंग वाले दिन प्रचार करें तो वास्तव मे #मास्टरस्ट्रोक ही होता है। आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि 25% से लेकर 68% तक वोटर चुनाव वाले दिन या उससे पहले दिन वोट तय करते है(चित्र 3)। जब विपक्ष घरों मे बन्द होता है, सत्ता कुछ % वोटर प्रभावित कर लेती है, फिर रिजल्ट गुजरात 2017 या बिहार 2020 हो जाता है। वोट तय करने मे लोकल कैंडिडेट सिर्फ 25% मैटर करता है बाकी बड़ा चेहरा ज्यादा प्रभावी रहता है(चित्र 4)। क्या वोटिंग वाले दिन प्रचार होता है, नही !!
जी बिल्कुल होता है।
केंद्रीय चुनाव आयोग कुछ भी बकता फिरे मगर उसकी नाक के नीचे, “हम दो – हमारे दो” कंपनी हर बार वोटिंग वाले दिन प्रचार करता है। उसके तरकश मे बहुत तीर है, जैसे
—> कई फेज मे होने वाले चुनावो मे वोटिंग वाले दिन उसके बराबर वाले एरिया मे रैली रख भाषण TV पर चलवाया जाता है।
—> किसी राज्य मे वोटिंग से पहले Ro-Ro फेरी का उदघाटन याद है? हॉउसफुल शो, कैमरे ही कैमरे, दिनभर का लाइव शो… हां ये अलग बात है कि वोटिंग के बाद से वो फेरी बन्द पड़ी है।
—> 2019 की बात है, 59 लोकसभा सीट का चुनाव प्रचार रुका 17th मई को। विपक्ष अंदर घरों मे। साहेब 18 मई को मैडिटेशन करने केदारनाथ मे। हॉउसफुल शो, कैमरे ही कैमरे, दिनभर का लाइव शो… 19 May को वोटिंग थी, साहेब गुफा से निकले और लोगो को भाषण दिया “आपका एक एक वोट …..”। परिणाम … उस फेज की कितनी सीट जीती पता करो।
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कल UP मे वोटिंग है, लिहाज़ा आज रात साहेब वो काम करेंगे जिससे वो डरते रहते है, जी इंटरव्यू की बात कर रहे है। ये चुनाव पलटने वाली रात की जड़ी-बूटी है। कल भी आप इस इंटरव्यू को दिन 2-3 बजे से पहले हरेक चैनल पर देखेंगे।
अब चैनल खोल लीजिए…
बोलिये जगीरा ज़िंदाबाद!