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सियासत

आपने तो व्यापारी को चोर बना डाला मोदी जी!

निरंजन परिहार
नोटबंदी ने सारा गुड़ गोबर कर दिया। व्यापारियों को चोर बना दिया। ज्वेलरी के धंधे में जबरदस्त धमक आई थी। दीपावली की चमक तो बाद में आई। लेकिन ज्वेलरी का धंधा दीपावली से कुछ दिन पहले ही चमकना शुरू हो गया था। देश भर के ज्वेलरों ने राहत की सांस ली थी। साल भर से ज्वेलरी बाजार में भयंकर मंदी थी। ग्राहक गायब थे। तो ऊपर से एक्साइज ड्यूटी के विरोध में दो महीने तक बाजार बंद रहे, ज्वोलरो को उसका भी मलाल था। लेकिन गोल्ड के भाव जैसे ही 30 हजार के पार जाने लगे, तो भी बाजार में ग्राहकी खुली। व्यापारियों के चेहरे की रौनक लौटी। सोचा था, साल भर में भले ही कुछ नहीं कमाया, पर अब तो बाजार चल निकला। लेकिन दूसरे दौर की ग्राहकी खुलते ही 8 नवंबर को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया, बाजार धम्म से धड़ाम हो गया। व्यापारी चारों खाने चित और ज्वेलरी की चमक चिढ़ाने लगी। मुंबई के जवेरी बाजार से लेकर जयपुर के जौहरी बाजार और नागपुर के इतवारी बाजार व दिल्ली के सराफा बाजार आदि देश के सबसे बड़े ज्वेलरी मार्केट सन्नाटे से सराबोर हैं। हर व्यापारी की जुबान पर सवाल सिर्फ एक ही है कि नोटबंदी के बाद धंधे का क्या होगा।

<p><strong>निरंजन परिहार</strong><br />नोटबंदी ने सारा गुड़ गोबर कर दिया। व्यापारियों को चोर बना दिया। ज्वेलरी के धंधे में जबरदस्त धमक आई थी। दीपावली की चमक तो बाद में आई। लेकिन ज्वेलरी का धंधा दीपावली से कुछ दिन पहले ही चमकना शुरू हो गया था। देश भर के ज्वेलरों ने राहत की सांस ली थी। साल भर से ज्वेलरी बाजार में भयंकर मंदी थी। ग्राहक गायब थे। तो ऊपर से एक्साइज ड्यूटी के विरोध में दो महीने तक बाजार बंद रहे, ज्वोलरो को उसका भी मलाल था। लेकिन गोल्ड के भाव जैसे ही 30 हजार के पार जाने लगे, तो भी बाजार में ग्राहकी खुली। व्यापारियों के चेहरे की रौनक लौटी। सोचा था, साल भर में भले ही कुछ नहीं कमाया, पर अब तो बाजार चल निकला। लेकिन दूसरे दौर की ग्राहकी खुलते ही 8 नवंबर को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया, बाजार धम्म से धड़ाम हो गया। व्यापारी चारों खाने चित और ज्वेलरी की चमक चिढ़ाने लगी। मुंबई के जवेरी बाजार से लेकर जयपुर के जौहरी बाजार और नागपुर के इतवारी बाजार व दिल्ली के सराफा बाजार आदि देश के सबसे बड़े ज्वेलरी मार्केट सन्नाटे से सराबोर हैं। हर व्यापारी की जुबान पर सवाल सिर्फ एक ही है कि नोटबंदी के बाद धंधे का क्या होगा।</p>

निरंजन परिहार
नोटबंदी ने सारा गुड़ गोबर कर दिया। व्यापारियों को चोर बना दिया। ज्वेलरी के धंधे में जबरदस्त धमक आई थी। दीपावली की चमक तो बाद में आई। लेकिन ज्वेलरी का धंधा दीपावली से कुछ दिन पहले ही चमकना शुरू हो गया था। देश भर के ज्वेलरों ने राहत की सांस ली थी। साल भर से ज्वेलरी बाजार में भयंकर मंदी थी। ग्राहक गायब थे। तो ऊपर से एक्साइज ड्यूटी के विरोध में दो महीने तक बाजार बंद रहे, ज्वोलरो को उसका भी मलाल था। लेकिन गोल्ड के भाव जैसे ही 30 हजार के पार जाने लगे, तो भी बाजार में ग्राहकी खुली। व्यापारियों के चेहरे की रौनक लौटी। सोचा था, साल भर में भले ही कुछ नहीं कमाया, पर अब तो बाजार चल निकला। लेकिन दूसरे दौर की ग्राहकी खुलते ही 8 नवंबर को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया, बाजार धम्म से धड़ाम हो गया। व्यापारी चारों खाने चित और ज्वेलरी की चमक चिढ़ाने लगी। मुंबई के जवेरी बाजार से लेकर जयपुर के जौहरी बाजार और नागपुर के इतवारी बाजार व दिल्ली के सराफा बाजार आदि देश के सबसे बड़े ज्वेलरी मार्केट सन्नाटे से सराबोर हैं। हर व्यापारी की जुबान पर सवाल सिर्फ एक ही है कि नोटबंदी के बाद धंधे का क्या होगा।

यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर की रात को जैसे ही नोटबंदी का एलान किया। उसके तत्काल बाद देश भर में ज्वेलरों ने जिस तरह से रेट बढ़ाकर गोल्ड बेचा, वह सरकार की नजरों में आने के लिए काफी था। खबर थी कि कुछ जगहों पर तो ज्वेलरों ने 60 हजार रुपए 10 ग्राम के भाव में भी गोल्ड बेचा। इस खबर ने सभी को चौंका दिया। सरकार के भी कान खड़े हुए और इसके बारे में बड़ा कदम उठाया है जिसे लेकर ज्वेलरों के होश उड़ गए हैं। काला धन रखने वालों ने उस दौरान जमकर गोल्ड और ज्वेलरी खरीदी। सो, सरकार का सख्त होना वाजिब था। देश भर में कुछ जगहों पर ज्वेलरों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। दिल्ली के कई बड़े ज्वेलर्स के सीसीटीवी फुटेज जब्त किए गए हैं। किसने कितना सोना किसको बेचा, उन दोनों पर कार्यवाही की जाएगी । इन्कम टैक्स विभाग की इस पर भी नजर है कि कहीं बिना पैन दर्ज किये बड़ी संख्या में पुराने नोटों से दो लाख रुपये से कम की कई किस्तों में आभूषणों की बिक्री की जा रही है। पुराने 1000 – 500 रुपए के नोटों के अमान्य होने के बाद अवैध धन को खपाने के लिए गोल्ड और सिल्वर की खरीद को सबसे उपयुक्त तरीका माना गया। देश भर में कुछ गिने चुने ज्वेलरों ने पुराने नोटों पर गोल्ड बेचकर जमकर कमाई की, यह सच है। लेकिन यह भी सच है कि देश भर के हर ज्वेलर ने तो ऐसा नहीं किया न। फिर भी सभी को एक ही डंडे से हांकने की कोशिश क्यों हो रही है। जिसने किया, वो ही भुगते।

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नोटबंदी की इस क्रांति के दूरगामी परिणाम क्या होंगे, कोई सही से नहीं बता सकता। फिर व्यापारी तो ठहरे व्यापारी। आज जितना कमा सको, कमा लो। भविष्य की कौन जाने। सो, तत्काल फायदे के लिए 8 नवंबर की रात को प्रधानमंत्री ने जैसे ही नोटबंदी की घोषणा की, पुराने नोटों में ही गोल्ड और सिल्वर बेचकर जो कमा डाला, वह अपने बाप का। लेकिन किसी की चोरी तो नहीं की। कहीं डाका तो नहीं डाला। लोगों ने जिस भाव में खरीदा, उसमें बेचा। डिमांड और सप्लाई हर बाजार का शाश्वत नियम है। सप्लाई से ज्यादा डिमांड है, तो भाव बढ़ना वाजिब है। लेकिन कुछ गिने चुने ज्वेलरों का यही वाजिब काम सरकार के आंख की किरकिरी बन गया है। सरकार कह रही है कि नोटबंदी के दूरगामी परिणाम होंगे। लेकिन ज्वेलरी बाजार पर तो नोटबंदी के तात्कालिक परिणाम ही बहुत भारी साबित हो रहे हैं। बाजार फिलहाल बंद जैसे हैं। और ज्वेलरी के सारे शो रूम्स में सन्नाटा है। कहा जा रहा है कि काले धन पर सरकार का यह ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। लेकिन हमारे लिए तो आपकी इस कार्रवाई का एक मतलब सज़ा भी है मोदी जी। आप तो अब तक विदेशों से काला धन लाकर देश में व्यापार बढ़ाने की बात कह रहे थे, लेकिन आपने तो देश के व्यापारी की कमर ही तोड़ दी। आपके इस फैसले के बाद पूरा देश ज्वेलरों को चोर की नजर से देखने लगा है मोदीजी। जब हमने मांग की फिर भी आपने गोल्ड पर से एक्साइज ड्यूटी नहीं हटाई, तो हमने देश भर में ज्वेलरी के इतिहास का सबसे लंबा बंद रखा। तब भी आपके भक्तों ने सोशल मीडिया के जरिए जी भर कर प्रचार किया था कि सारे ज्वेलर चोर हैं। बहुत कमाते हैं। काश, आपने पहले सिस्टम सुधारा होता और अपने नेताओं और अफसरों को सुधारा होता, तो देश का तंत्र वैसे ही सुधर जाता।

मोदी जी, संसार का नियम है कि चमकती चीज की तरफ नजर सबसे पहले जाती है। इस बार भी नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार की पहली नजर गोल्ड और सिल्वर ज्वेलरी पर ही गई है। आपके अफसरों को लग रहा है कि नोटबंदी के बाद काला धन अब गोल्ड बनकर जमा हो गया है। आपकी नोटबंदी ने व्यापारियों को चोर बना डाला है। जबकि उस गोल्ड और ज्वोलरी को पुराने नोटों से खरीदनेवाले आपके अफसर और नेता ही है। आपकी सरकार भी व्यापारी वर्ग को चोर की तरह देख रही हैं। आम आदमी को भी लग रहा है कि वह खुद तो ईमानदार हैं, इसलिए बैंकों के बाहर लाइन लगाकर खड़ा हैं। लेकिन उनके बाजार में जो व्यापारी है, वही असली लुटेरा है। दरअसल, डाकू मंगल सिंह, डाकू गब्बर सिंह और डाकू जब्बर सिंह जैसे अनगिनत लुटेरे तो राजनेताओं की आपकी जमात में नेता के भेस में बैठे है। या फिर प्रशासन में भरे पड़े हैं। ज्वेलर तो सिर्फ व्यापारी है हुजूर, वह चोर नहीं है। ज्वेलर इस देश के सभ्य समाज का सबसे इज्जतदार वर्ग है। आपने तो उसी को चोर बना दिया मोदी जी। आपके नोटबंदी के फैसले पर देश को अभी बहुत कुछ जानना और समझना बाकी है। इसके सद्परिणाम होंगे, या दुष्परिणाम, यह कोई नहीं जानता। लेकिन देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दशा – दिशा पर इसके बहुत बहुत घातक असर होंगे, यह पक्का है। देश का हर व्यापारी इस संकेत को महसूस कर रहा है। पता नहीं आपको यह महसूस हो रहा है कि नहीं !

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लेखक निरंजन परिहार राजनीतिक विश्लेषक हैं.

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0 Comments

  1. Prashany

    December 6, 2016 at 11:29 am

    Jewellers bhukhe nahi mar rahe the. Jab Sarkar ne 500-1000 ka lagal tender band Kiya to phir bhi jewellers ne kyu rat rat tak purane notes par adhik damo par Sona becha? Seedhi baat hai, lalachi the wo dukandar. Baimani Bhari thi dimag Mai. Aapke ye article in logo ki baimani dikhana ke liye hone chahiye Lekin aap to yahi unki baimani ko Sahi kahalwa rahe hai Modi par iljam lagakar. Bahut badiya. 1 Insan ne aache intention lekar kaam Kiya ki honesty aaye. Aur idhar aapke ye article.. baimani ko emotional touch deke achha bata rhe hai. Shame!

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