Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया : वाह री उत्‍तराखंड सरकार! सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही कर दी जांच, एरियर और बर्खास्‍तगी के मामले गोल

नई‍ दिल्‍ली। उत्‍तर प्रदेश के बाद अब उत्‍तराखंड सरकार की रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आ गई है। 14 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद रिपोर्ट जमा करवाने वाले उत्‍तराखंड के श्रम अधिकारी तो जैसे त्रिकालदर्शी हैं। इसलिए उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल 2015 के आदेश आने के पहले ही दैनिक जागरण के देहरादून और हल्‍द्वानी स्थित यूनिटों में मजीठिया आयोग की सिफारिशों को लेकर 3 मार्च 2015 को ही जांच कर ली थी। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल 2015 को सभी राज्‍यों से मजीठिया वेजबोर्ड की संस्‍तुतियों को लागू करने की रिपोर्ट मांगी थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 20 दिनों के भीतर ही 15 मई 2015 को अमर उजाला की यूनिट की जांच की गई।

नई‍ दिल्‍ली। उत्‍तर प्रदेश के बाद अब उत्‍तराखंड सरकार की रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में आ गई है। 14 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद रिपोर्ट जमा करवाने वाले उत्‍तराखंड के श्रम अधिकारी तो जैसे त्रिकालदर्शी हैं। इसलिए उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल 2015 के आदेश आने के पहले ही दैनिक जागरण के देहरादून और हल्‍द्वानी स्थित यूनिटों में मजीठिया आयोग की सिफारिशों को लेकर 3 मार्च 2015 को ही जांच कर ली थी। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल 2015 को सभी राज्‍यों से मजीठिया वेजबोर्ड की संस्‍तुतियों को लागू करने की रिपोर्ट मांगी थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 20 दिनों के भीतर ही 15 मई 2015 को अमर उजाला की यूनिट की जांच की गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसको तो देखते हुए लगता है कि उत्‍तराखंड के श्रमअधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के लिए कितने तत्‍पर हैं। परंतु सच्‍चाई तो यही लगती है कि उन्‍होंने अपना होमवर्क ढंग से नहीं किया और इस रिपोर्ट के माध्‍यम से कहीं न कहीं बड़े मीडिया घरानों को अवमानना के केस से बचाने की कोशिश है! गलतियों या मानवीय भूलों व लापरवाही से भरी इस रिपोर्ट में बर्खास्‍त कर्मियों व एरियर क्‍लेम करने वालों का कहीं जिक्र नहीं है। जबकि 14 मार्च 2016 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में भी रिपोर्ट मांगी थी। दिल्‍ली व राजस्‍थान की रिपोर्ट में इनका जिक्र किया गया है, तो उत्‍तराखंड की रिपोर्ट में क्‍यों नहीं। बड़े मीडिया घरानों को बचाती हुई लग रही इस रिपोर्ट की कुछ खामियां इस तरह हैं-

1. जांच की सही तिथि क्‍या है, यदि यह 2016 में कई गई है तो जांच में इतनी देरी क्‍यों की गई। सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल के आदेश के अनुसार जांच रिपोर्ट समय से क्‍यों नहीं सौंपी गई। जब 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम चेतावनी देते हुए रिपोर्ट पेश न करने पर 11 राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों को तलब करने का आदेश दिया, तो ही इसके बाद रिपोर्ट क्‍यों पेश की गई, इससे पहले नहीं पेश की जा सकती थी। (So far as the States of Uttar Pradesh(partial), Uttarakhand, Odisha, West Bengal, Telangana, Andhra Pradesh, Karnataka, Tamil Nadu, Kerala, Goa and Assam are concerned, we direct that the reports in terms of this Court’s Order dated 28th April, 2015 be filed on or before the 5th July, 2016, failing which the Chief Secretaries of the States will appear in-person on 19th July, 2016. Objections, if any, to such reports as may be filed shall be brought on record on or before 12th July, 2016.)

Advertisement. Scroll to continue reading.

2. 20जे की आड़ में बड़े मीडिया घरानों को बचाने की कोशिश! जबकि सही मायनों में 20जे कहीं भी मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार न्‍यूनतम वेतनमान प्राप्‍त करने के कर्मियों के अधिकार के आड़े नहीं आ सकता। क्‍योंकि पत्रकार के लिए बने विशेष एक्‍ट की धारा 13 व 16 पत्रकारों और गैर-पत्रकारों के न्‍यूनतम वेतन के अधिकार की रक्षा करती है। जिसकी श्रमअधिकारियों ने अनदेखी की और 14 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी लगता है ध्‍यान से नहीं पढ़ा।

3. 14 मार्च को दिए गए आदेश के संदर्भ में एरियर क्‍लेमों व बर्खास्‍तगी और उत्‍पीड़न के मामलों का कहीं कोई जिक्र नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

4. 1 दिसंबर 2011 के बाद भर्ती कर्मियों को मजीठिया का लाभ मिल रहा है या नहीं इसका कहीं कोई जिक्र नहीं। (20 जे में केवल तीन सप्‍ताह यानि 11 नवंबर 2011 से 30 नवंबर 2011 तक के बीच का ही जिक्र है।)

5. मजीठिया के अनुसार ठेके वाले व अंशकालिक कर्मियों का जिक्र नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

6. ग्रेड को लेकर जांच में कमी। जागरण और अमर उजाला को ग्रेड 5 में दिखाना। इसके लिए इन्‍हें दिल्‍ली सरकार से सबक सिखाना चाहिए था जिसकी रिपोर्ट जागरण के सही टर्नओवर का जिक्र करते हुए उसे ग्रेड 1 का बताया गया है। तो क्‍यों नहीं उत्‍तराखंड के श्रमअधिकारियों द्वारा अपनी तरफ से कुछ प्रयास नहीं किए गए और रिपोर्ट में इनकी सही ग्रेडिंग यानि  क्रमश: 1 और 2 क्‍यों नहीं दर्शाया गया। जैसा की आपको पहले भी जानकारी दी गई है वेजबोर्ड व जर्नलिस्‍ट एक्‍ट के अनुसार एक ही ग्रुप की कन्‍याकुमारी से लेकर कश्‍मीर तक सभी यूनिटों का ग्रेड एक होगा। उत्‍तराखंड में स्थित जागरण व अमर उजाला की यूनिटें भी क्रमश: ग्रेड 1 और 2 में ही आएंगी। (कोई साथी चाहे तो वकील से राय लेकर इन दोनों समाचारों को सरकारी तंत्र के माध्‍यम से सुप्रीम कोर्ट तक गलत जानकारी पहुंचाने के मामले में केस भी दर्ज करवा सकता है!)

(यदि आपने 30 नवंबर 2011 के बाद किसी संस्‍थान को ज्‍वाइन किया और आपको वेजबोर्ड के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा या आपने एरियर क्‍लेम कर रखा है या आपका बर्खास्‍तगी या उत्‍पीड़न से जुड़ा कोई मामला डीएलसी में या सक्षम प्राधिकरण के समक्ष है तो आप अवमानना का केस लड़ रहे कर्मचारियों के वकीलों को 18 जुलाई से पहले इन तथ्‍यों की जानकारी दे सकते हैं।)

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्‍तराखंड के एक पत्रकार साथी से प्राप्‍त तथ्‍यों पर आधारित.

इसे भी पढ़ें….

Advertisement. Scroll to continue reading.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement