अब तो व्हाट्सएप भी सेफ नहीं, सेंध लगाना हुआ मुमकिन!

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अपूर्व भारद्वाज

आप ने कभी ऐसा देखा है की आपने व्हाट्सएप पर अपने किसी दोस्त को “हैप्पी बर्थडे” भेजा हो और उसे “हैप्पी बेड डे” मिला हो! आप सोच रहे है क्या मजाक है ऐसा कभी नही हो सकता है यह संभव नही है मेरे दोस्तों तकनीक की दुनिया मे सब संभव है. एक नया हैकिंग टूल डिजिटल मार्केट में आया है जो व्हाट्सएप के ढुलमुल सुरक्षा तंत्र को पूरी तरह भेद सकता है जिसकी सहायता से कोई भी शरारती हैकर आपके द्वारा भेजे गए संदेश को पूरी तरह बदल सकता है यह टूल इतना मजबूत है कि आपने कोई संदेश नही भी भेजा है तो भी वो आपकी पहचान को पढ़कर किसी को कैसा भी संदेश भेज सकता है.

कहना का सीधा सा मतलब है यह टूल आपको “लोगों के मुंह में शब्द डालने” की अनुमति देता है। साइबर सेक्युरिटी फर्म चेकपॉइंट की एक टीम ने इसका डेमो वर्ल्ड सायबर सेक्युरिटी कॉन्फ्रेंस में दिया है शोधकर्ता वानुनु के यह भी बताया कि आपने किसी ग्रुप में मैसेज भेजा हो तो वो आपकी लिस्ट में किसी भी व्यक्ति को प्राइवेट मेसेज के रूप में भी मिल सकता है कुल मिलाकर आपकी प्राइवेसी खतरे में है और आपकी निजी बातचीत को कोई भी हेरफेर कर सकता है.

व्हाट्स एप्प की मालिक कंपनी फेसबुक से जब इस मुद्दे पर जवाब मांगा तो पहले उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. फिर जब दबाव आया तो बोला कि शोधकर्ताओं ने जो भी मुद्दे उठाए हैं, उन्हें फिक्स करना वर्तमान व्यवस्था में संभव नहीं है क्योंकि उसके लिए जो पैसा और इंफ्रास्ट्रक्चर लगेगा वो हमारे लिए जुटाना अभी तो नामुमकिन है.

दरअसल व्हाट्सएप चाह कर भी इस समस्या को हल नहीं कर सकता है. व्हाट्सएप की नई इनक्रिप्शन तकनीक ने मेसेज के ओरिजनल सोर्स को पकड़ना लगभग नामुमकिन बना दिया है. मतलब यह भी जानना मुश्किल होगा कि किसने आपके मैसेज को बदला है.

व्हाट्सएप विश्व की 30 प्रतिशत जनता को सेवाएं देता है और लगभग 150 करोड़ यूजर इसको उपयोग करते हैं. भारत जैसे देश में जहां फेक न्यूज के कारण हत्या तक हो जा रही है, जरा कल्पना कीजिए अगर किसी ने आपके नाम से मैसेज भेजकर आपके घर वालों से पैसे की मांग कर दी तो क्या होगा? भारत वैसे भी अफवाह फैलाने वालों का सबसे प्रिय देश है. अगर किसी शरारती तत्व ने कोई हिंसक मैसेज आपके आईडी से वायरल कर दिया तो आपका क्या होगा?

यह लेख सरकार के पास जरूर पहुँचाना चाहिए. बिना सायबर पॉलिसी के इस देश में इंटरनेट का उपयोग करना दिनों दिन बेहद असुरक्षित होता जा रहा है.

लेखक अपूर्व भारद्वाज पत्रकार रहे हैं. इन दिनों खुद की साफ्टवेयर कंसल्टेंसी के जरिए डिजिटल प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं.



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