संजय कुमार सिंह-
इंडियन एक्सप्रेस में आज पहले पन्ने पर एक खबर है जो बताती है कि आजकल कैसे-कैसे अपराध हो रहे हैं। इनपर मीडिया की नजर नहीं है, सो अलग। पुलिस तो मास्क नहीं लगाने वालों से जुर्माना वसूलने में लगा दी गई है। यह अलग बात है कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने जागरूकता फैलाने का अभियान चला रखा है और ऐसे वीडियो बनाते रहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया की पहुंच अभी इतनी नहीं है कि उससे जागरूकता फैलाने का काम अच्छी तरह हो सके। सरकार सोशल मीडिया की अच्छी चीजों को छोड़कर उसे अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश में है और मीडिया ने तो जनहित लगभग छोड़ ही दिया है। इस खबर के अनुसार बैंगलोर के 26 साल के एक युवक ने 23 मार्च को आत्महत्या कर ली उसके बाद एक गिरोह ने उसकी बड़ी बहन से संपर्क किया। गिरोह को पता नहीं था कि युवक आत्महत्या कर चुका है। गिरोह ने पीड़ित की बहन से पैसे मांगे तब आत्महत्या का कारण मालूम हुआ।
फेसबुक समेत और यू ट्यूब पर ऐसे वीडियो भरे पड़े हैं। अक्सर वीडियो में कहा जाता है कि मामला पुलिस को सौंप दिया जाएगा पर खबरें नहीं दिखती हैं। ऐसे गिरोह का शिकार होने वालों में बड़े-बुजुर्ग, औरत, मर्द, लड़कियां सब हैं। सब को कई तरह से ब्लैकमेल किया जा रहा है और यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस को कहीं कोई खबर नहीं है या खबर तब होती है जब मामला हाथ से निकल गया होता है। ऐसे गिरोह लड़कियों को जबरन वेश्यावृत्ति में ढकेल रहे हैं।
पीजी चलाने वाली एक महिला अपने यहां रहने वाली लड़कियों के बाथरूम के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थी। वैसे तो इसमें लड़की का कोई दोष भी नहीं होता है पर लड़कियां डर जाती हैं खासकर वो जो छोटे शहर से मां-बाप पर दबाव डालकर बड़े शहर में पढ़ने आती हैं। वे डरती हैं कि बदनामी हुई तो पढ़ाई नहीं चलेगी।
पीजी चलाने वाली महिला को जब एक यूट्यूबर ने पकड़ा तो वह गलती मानने की बजाय यही कह रही थी कि उसका काम है और उसे पैसे चाहिए वह ऐसा करेगी। जब उसे बताया गया कि सब रिकार्ड हो चुका है तब उसे होश आया। पर मामला पुलिस में गया कि नहीं और पुलिस ने क्या किया – कुछ पता नहीं चला।
अभिभावको को चाहिए कि बच्चों की परेशानी को समझने की कोशिश करें और उन्हें भरोसे में लेकर पता करें कि वे ब्लैकमेलर तो नहीं हो रहे हैं। ब्लैकमेल करने का आलम यह है कि इंटरव्यू देने आई एक लड़की ने भी कपड़े फाड़कर नौकरी नहीं देने वाले को फंसाने की कोशिश की। यह नौकरी चाहने वालों की हताशा भी हो सकती है। अभिभावक जरा सी सतर्कता से अपने बच्चों को इस उलझन से बचा सकते हैं। लेकिन जिस तादाद में बड़े भी फंस रहे हैं उससे लगता नहीं है कि यह मामला इतना आसान है।
एक मामले में तो वेश्या अपने ग्राहक से वसूली कर रही थी और पकड़े जाने पर पता चला कि उसके पास वीडियो था ही नहीं। एक मामले में ऐसी ही आधुनिक पढ़ी लिखी वेश्या ने मौके पर ही तीन लाख रुपए जिससे वसूले थे उसे वापस किए। किसी के खाते में इतने पैसों हों घर वालों को पता न हो और हो दोनों के अलग मतलब हैं और यही हमारा आज का समाज है। जहां तक सरकार की बात है वह इटली के उन नाविकों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर करती है जो केरल के दो मछुआरों की हत्या कर चुके हैं। मकसद केरल में डबल इंजन की सरकार बनाना हो सकता है ताकि केरल के मछुआरों के बीच भारी मुआवजा दिलवाने का प्रचार किया जा सके। पर बात बनी नहीं। विवरण के लिए मीडिया विजिल में आज का पहला पन्ना देखें (लिंक कमेंट बॉक्स में)।
वीडियो वायरल करने की धमकी देने वाले गिरोह कई स्तर के हैं। एक ने मुझे मेल भेजा था कि मेरा फलाने मौके का वीडियो वायरल कर देगा अगर मैंने उसे पैसे नहीं दिए। उसका कहना था कि स्पाईवेयर से उसने मेरे कंप्यूटर के कैमरे को ऑन करके वीडियो रिकार्ड कर लिया है। इस तरह बिल्कुल अंधेरे में तीर चलाकर भी शिकार तलाशे जाते हैं। उस समय मेरे डेस्कटॉप में कैमरा था ही नहीं तब यह मेल आया था। अब मैंने लगा लिया है और अगले मेल का इंतजार कर रहा हूं। लेकिन उत्तर प्रदेश में रहने के कारण दूसरी “खबरों” से डरा हुआ हूं कि पुलिस गंदी फिल्म देखने वालों का पता लगा लेती है। ब्लैकमेलर तो अंधेरे में तीर चला रहा था पर डबल इंजन वाली उत्तर प्रदेश की पुलिस …. बाद में इस खबर का खंडन भी हो गया।