
Yashwant Singh : पिछले दिनों करनाल गया था। मित्र और भाई Sanjay Singh के यहां। हॉलैंड हाल (इविवि) जबसे वे छोड़े तो करनाल के ही होकर रह गए।
उनकी हैचरी के जरिए समझ आया कि कैसे मशीनों द्वारा एक खास माहौल क्रिएट कर जीवन पनपाया जाता है, मनुष्यों के पेट-स्वाद के लिए।
ये एक बड़ा कारोबार है। इसके कुछ पहलू दिखाने-बताने की कोशिश की है।
यात्रा वृत्तांत पार्ट-1 का वीडियो लिंक ये है-
हैचरी यात्रा के बाद कभी कभी लगने लगा है कि अपन मनुष्य लोग भी थोड़े-थोड़े भगवान-शैतान दोनों हैं….
पार्ट 2 ये है-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त पोस्ट पर आए सैकड़ों कमेंट्स में से एक प्रमुख और पठनीय टिप्पणी ये है-
Vikas Mishra : पूरा वीडियो देखा। पहले तो बधाई कि बहुत बढ़िया वीडियो बनाया है। हैचरी और हैचरी के बिजनेस पर आपने छोटी सी डॉक्यूमेंट्री भी बना दी। साथ में यात्रा प्रसंग डालकर इसे यात्रा संस्मरण भी बना दिया। संजय हमारे बहुत अजीज हैं। तन, मन, धन से ठाकुर हैं और ठकुराई भरी हुई है। मेहमानवाजी पर आ जाएं तो जान भी हाजिर कर दें और अगर खोपड़ी घूम जाए तो किसी का सिर भी उतार लें। बहुत से संस्मरण हैं संजय के साथ। दो हफ्ते तक हथियारों के साथ हमारी सुरक्षा भी की है संजय ने। अब अगली यात्रा करनाल की साथ साथ बनाएंगे।