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क्या देशी घी के कनस्तर में बिक रहे अजमेर के पत्रकार?

अजमेर में इन दिनों लोकसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी में टिकट की जबरदस्त मारामारी चल रही है। कोई नमक का कर्ज नहीं भूलता तो भला देशी घी का कर्ज कैसे भूल सकता है, सो शहर के कई बड़े पत्रकार घी का कर्ज उतारने में जुटे हैं। इसी ‘भलाई’ में एक बड़े अखबार का चीफ रिपोर्टर बुरी तरह निपट गया।

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अजमेर में इन दिनों लोकसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी में टिकट की जबरदस्त मारामारी चल रही है। कोई नमक का कर्ज नहीं भूलता तो भला देशी घी का कर्ज कैसे भूल सकता है, सो शहर के कई बड़े पत्रकार घी का कर्ज उतारने में जुटे हैं। इसी ‘भलाई’ में एक बड़े अखबार का चीफ रिपोर्टर बुरी तरह निपट गया।

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दरअसल अजमेर में पत्रकारिता का भक्तिकाल चल रहा है। अजमेर डेयरी के कद्दावर नेता हैं रामचन्द्र चौधरी जो होली-दीवाली सभी बड़े पत्रकारों के घर 15 किलो देशी घी का कनस्तर बिना मांगे पहुंचा देते हैं। शहर में पत्रकार जब भी कोई बड़ा आयोजन करते हैं तो पूरी भीड़ के लिए मुफ्त छाछ की थैलियां अजमेर डेयरी से ही आती हैं। यहां तक कि चौधरी ने कुछ बड़े पत्रकारों की संतानों के लिए अजमेर डेयरी में नौकरी भी रिजर्व कर रखी है। उनके इस पत्रकार प्रेम की वजह से वह 5 बार विधानसभा-लोकसभा के चुनाव भी हार चुके हैं।

चौधरी इस बार बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं और कुछेक पत्रकारों को छोड़कर सभी उन्हें टिकट दिलाने के लिए महिमा मंडित करने की मुहिम छेड़े हुए हैं। एकमात्र दैनिक नवज्योति के सम्पादक ओम माथुर ने चौधरी की 5 बार हार को हाईलाइट किया तो बाकी पत्रकार अपने ही साथी की फजीती करने पर उतर आए। शहर के तमाम सोशल मीडिया पर चौधरी की तरफ से पत्रकारों ने अपने ही साथी पत्रकार की बैंड बजा रखी है। आखिर घी के चिकने घड़ों पर शर्म का पानी भला कहां ठहरता है!

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ये भाई गया तेरह के भाव : एक बड़े अखबार का चीफ रिपोर्टर डेयरी चेयरमैन की बरसों से चम्पी करने में लगा था। यहां तक कि अपने बेटे को डेयरी में नौकरी भी दिला दी। सोमवार को डेयरी के बड़े फंक्शन में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे आईं तो एक दिन पहले अपने अखबार में चौधरी के कसीदे पढ़ दिए। पूरे आइटम में यह तो बार-बार लिखा कि चौधरी जिले के कद्दावर नेता हैं और 5 बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन यह कहीं भी नहीं लिखा कि वह पांचों बार बुरी तरह से हार भी चुके हैं। अगले दिन प्रोग्राम की खबर छापी तो उसमें भी चौधरी का गुणगान किया जबकि दैनिक नवज्योति की खबर बिल्कुल उल्टी कहानी कह रही है। बस, यही चम्पी उसे ले डूबी। भोपाल मुख्यालय तक उसकी कारस्तानी पहुंच गई। बताया जा रहा है कि भोपाल से मैनेजमेंट ने आदेश जारी कर उसे चीफ रिपोर्टरी से हटाकर ग्रामीण डेस्क पर बाबूगिरी के काम में लगा दिया है।

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