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उत्तर प्रदेश

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में लंबा पैसा मिलता है!

अजय कुमार, लखनऊ

अपने दामन के दाग धो नहीं पा रही है यूपी पुलिस… उत्तर प्रदेश पुलिस के ऊपर तमाम तरह के आरोप लगते रहते हैं लेकिन जब खाकी ही खाकी पर उंगली उठाने लगे तो यह जरूरी हो जाता है कि जितना जल्द हो सके विभाग के दामन पर लगे दागों को धो दिया जाए। गौतमबुद्ध नगर (नोयडा) के एसएसपी वैभव कृष्ण के प्रकरण में देर से ही सही लेकिन फैसला आ गया।

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अश्लील वीडियो ओरीजनल होने और गोपनीय दस्तावेज लीक करने के दोषी पाए जाने के बाद एसएसपी वैभव सस्पेंड हो गए हैं। उधर उन लोगों पर शिकंजा कस दिया गया है जिन पर ट्रांसर्फर-पोस्टिंग के नाम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। ऐसे पांचों आईपीएस का ट्रांसफर कर दिया गया है और फील्ड से हटाकर महत्वहीन पदों पर भेजा गया है।

पूरा प्रकरण एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण के कथित अश्लील वीडियो के बाद से सामने आया था। सोशल मीडिया पर पुलिस अफसरों के बीच तेजी से वायरल किए गए वीडियो में एसएसपी को अभद्र साबित करने की कोशिश की गई थी। इसके बाद ही नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का वह गोपनीय पत्र भी वायरल हो गया, जो उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के लिखा था, जिसमें उन्होंने यूपी के अलग-अलग जिलों में कप्तानी, थानेदारी की पोस्टिंग के पीछे काम कर रहे उस गैंग का खुलासा किया था जो ‘लेनदेन’ की सेटिंग कर मलाईदार पदों पर पोस्टिंग कराता था।

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पत्र में कहा गया था कि चंदन व कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर आईपीएस अजय पाल शर्मा, सुधीर सिंह, गणेश साहा, राजीव मिश्रा, हिमांशु कुमार ट्रांसफर, पोस्टिंग का रैकेट चला रहे थे। इस रैकेट के कुछ लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। पत्र के लीक होने के बाद पूरा मामला गरमा गया।

दूसरी ओर नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण के गोपनीय पत्र के लीक होने के बाद मचे हंगामे की जांच की आंच गोरखपुर तक पहुंच गई है। जिस चंदन राय का नाम उछाला गया, उसका गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर के कई कथित पत्रकारों से संपर्क है। उसके पोर्टल से जुड़े एक कथित पत्रकार सत्येंद्र पर गोरखनाथ थाने में कुछ दिन पहले ही केस दर्ज हुआ है। वहीं, आरोपों से घिरे एसपी बांदा गणेश साहा लंबे समय तक गोरखपुर में एसपी सिटी, एसपी नार्थ और फिर देवरिया में एएसपी के पद पर तैनात रहे हैं।

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आरोपों से घिरे एक और आईपीएस व एसपी एसटीएफ राजीव मिश्रा की तैनाती भी एसपी कुशीनगर के रूप में रही है। महाराजगंज के एसपी रहे हिमांशु कुमार भी आरोपों के घेरे में है। वह सपा सरकार में महाराजगंज के एसपी थे। सरकार बदली तो वह सोशल मीडिया पर टिप्पणी को लेकर विवादों में आ गए। इस मामले में हिमांशु कुमार को निलंबित किया गया था। अभी तक वह सुल्तानपुर के एसपी थे। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे परतें खुलेंगी, वैसे-वैसे इसकी आंच गोरखपुर या फिर आसपास के जिलों तक पहुंचेगी।

ट्रांसफर, पोस्टिंग के इस खेल में पूर्वांचल के एक रसूखदार व्यक्ति का नाम भी उछला है। कहा जा रहा है कि पॉवर में आने के बाद इस व्यक्ति ने पूर्वांचल के लोगों से आंखें फेर ली है। पूर्वांचल से जो भी सिफारिश जाती है, उस पर वह गौर नहीं करता है। बल्कि उसने अपना पूरा ध्यान पश्चिमी यूपी पर केंद्रित कर रखा है। आरोप है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर, पोस्टिंग के खेल में लंबा पैसा मिलता है। ऐसा पुलिस अफसरों की व्हाट्सअप चैटिंग में भी कहा गया है। अफसरों की बातचीत में इन महाशय का नाम खुलकर लिया जा रहा है, लेकिन ऑन रिकॉर्ड कोई नाम लेने को तैयार नहीं है।

बात एसपी एसटीएफ राजीव मिश्रा की कि जाए तो उनकी पहुंच का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुशीनगर के एसपी रहने के दौरान थानेदार की गाड़ी से बरामद शराब मामले में उनके खिलाफ एडीजी, आईजी रैंक के अफसरों ने मुख्यालय को पत्र लिखा था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में कई पुलिस वालों के नाम सामने आए थे, लेकिन आरोपितों को हटाने के कुछ समय बाद ही नई तैनाती दे दी गई थी। आला अफसरों ने इस आईपीएस के खिलाफ लिखा-पढ़ी की थी, लेकिन बावजूद इसके इन्हें महत्वपूर्ण पद दे दिया गया।

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लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

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