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उत्तर प्रदेश

नोएडा के डीएसपी हर्षवर्धन ने पत्रकारों से बदसलूकी की, इंजीनियर यादव सिंह केस कवरेज से रोका

नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह की हजार करोड़ की संपत्ति का पता चला है. इनकम टैक्स की टीम नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर में यादव सिंह के लॉकर खंगालने पहुंची थी. मीडिया की टीम भी कवरेज के लिए वहां मौजूद थी, लेकिन वहां मौजूद डिप्टी एसपी मीडिया पर ही भड़क गए और कवरेज से रोक दिया. नोएडा आथॉरिटी में तैनात डिप्टी एसपी हर्ष भदौरिया पत्रकारों को माइक खुद अपने मुंह में लगाने की नसीहत देने लगे.

<p>नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह की हजार करोड़ की संपत्ति का पता चला है. इनकम टैक्स की टीम नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर में यादव सिंह के लॉकर खंगालने पहुंची थी. मीडिया की टीम भी कवरेज के लिए वहां मौजूद थी, लेकिन वहां मौजूद डिप्टी एसपी मीडिया पर ही भड़क गए और कवरेज से रोक दिया. नोएडा आथॉरिटी में तैनात डिप्टी एसपी हर्ष भदौरिया पत्रकारों को माइक खुद अपने मुंह में लगाने की नसीहत देने लगे.</p>

नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह की हजार करोड़ की संपत्ति का पता चला है. इनकम टैक्स की टीम नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर में यादव सिंह के लॉकर खंगालने पहुंची थी. मीडिया की टीम भी कवरेज के लिए वहां मौजूद थी, लेकिन वहां मौजूद डिप्टी एसपी मीडिया पर ही भड़क गए और कवरेज से रोक दिया. नोएडा आथॉरिटी में तैनात डिप्टी एसपी हर्ष भदौरिया पत्रकारों को माइक खुद अपने मुंह में लगाने की नसीहत देने लगे.

मीडिया पर ये इसलिए भड़क गए क्योंकि पत्रकार आय से अधिक संपत्ति केस में आरोपी इंजीनियर यादव सिंह की कवरेज के लिए आए थे. पत्रकारों को उम्मीद थी कि नोएडा अथॉरिटी के काले कुबेर यादव सिंह से वो सवाल पूछ सकेंगे लेकिन उल्टे उन्हें ही वहां से भागना पड़ा. मीडिया वालों गेट के बाहर अपना कैमरा लेकर खड़े थे, लेकिन डिप्टी एसपी को ये बात रास नहीं आई और ये खाकी की रौब दिखाने लगे. कहा कि माइक पत्रकार खुद अपने मुंह में लगा लें. ये सारी तस्वीरें कैमरे में कैद है.

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डिप्टी एसपी के हुक्म की तामील करते हुए सिपाहियों ने पत्रकारों के ना केवल कैमरे वहां से उठाकर फेंक दिए बल्कि उन्हें भी वहां से हटा दिया गया. मामले ने जब तूल पकड़ा तो हर्ष भदौरिया के तेवर कुछ तो नरम हुए लेकिन तल्खी नहीं गई. कल ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी में पुलिस अफसरों के सम्मेलन में पुलिस की छवि बदलने की नसीहत दी थी, लेकिन पुलिस ने कितना सबक लिया जगजाहिर है. जाहिर है कि जब लोकतंत्र के चोथे खंभे के साथ पुलिस ऐसा बर्ताव कर रही है तो आम लोगों की बात ही छोड़िये. -पुलिस के इसी रवैये की वजह से आज भी आम आदमी खाकी से खौफ खाता है.

गौरतलब है कि मीडिया को निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने से रोकने वाले डीएसपी हर्षवर्धन भदौरिया पहले भी कई बार विवादों में आ चुके हैं. भदौरिया पहले पार्किंग ठेकों को लेकर विवादों में आए थे. भदौरिया सत्ता के करीबी माने जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक, भदौरिया की तैनाती के लिए प्राधिकरण में अलग से डीएसपी की पोस्ट बनी थी.

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