Abhishek Srivastava : स्वागत कीजिए Indian Institute Of Mass Communication(IIMC) से निकले इस होनहार पत्रकार Himanshu Shekhar का, जिसने ‘सही’ समय पर ‘सही’ कदम उठाते हुए पूरे साहस के साथ ऐसा काम कर दिखाया है जो अपनी शर्म-लिहाज के कारण ही सही, बड़े-बड़े पुरोधा नहीं कर पा रहे। मैं हमेशा से कहता था कि संस्थान में पत्रकारिता के अलावा बाकी सब पढ़ाया जाता है। बस देखते रहिए, और कौन-कौन हिंदू राष्ट्र की चौखट पर गिरता है।
युवा मीडिया विश्लेषक अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से. इस पोस्ट पर खुद हिमांशु शेखर ने जो प्रतिक्रिया दी है, वह इस प्रकार है…
Himanshu Shekhar : अभिषेक श्रीवास्तव जी से एकाध बार मुलाकात हुई है। इनके बोलचाल और लेखन से मैं इन्हें गंभीर पत्रकार ही नहीं इंसान भी समझता था। लेकिन ये सज्जन तो एक ऐसे जज की तरह बर्ताव कर रहे हैं जिसे साक्ष्यों से कोई लेेना—देना ही नहीं। उसे तो साक्ष्यों को देखने तक में अपने श्रम के जाया होने का भय है। प्रथम दृष्टया कोई मामला आया और सुना दिया फैसला। काश! अभिषेक जी आप ये फैसला किताब कम से कम एक बार देख कर सुनाते। अगर थोड़ी फुर्सत होती तो भूमिका मात्र ही पढ़ लेते। लेकिन फेसबुक पर कमेंट करने की जल्दबाजी रही होगी शायद आपको, इसलिए आपने ऐसा जहमत नहीं उठाया। खैर, इतनी जल्दबाजी में सुनाए गए निर्णय के बारे में क्या ही कहना! जब आप एक व्यक्ति का सही आकलन नहीं कर सकते तो फिर आईआईएमसी जैसे संस्थान के आकलन में गलती होना स्वाभाविक ही है।
मूल पोस्ट…