डॉ मनोज रस्तोगी लगभग 34 साल पहले सन 1983-84 में जब बीए के छात्र थे, उस समय अवैतनिक साहित्यिक सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में दैनिक जागरण से जुड़े। इसी दौरान अमर उजाला बरेली, विश्व मानव बरेली, नवसत्यम बरेली, साप्ताहिक सहकारी युग रामपुर में इनके आलेखों का प्रकाशन शुरू हो गया। साप्ताहिक विद्यार्थी दुनिया और साप्ताहिक संयुक्त आवास के ये उपसंपादक रहे।
बाद में दैनिक युगबन्धु से सक्रिय पत्रकारिता में आए। वर्ष 1990 में स्वतंत्र भारत मुरादाबाद में नियुक्ति हुई। वर्ष 1991 में स्वतंत्र भारत वाराणसी स्थानांतरण हो गया। वहां से नौकरी छूटने के बाद 2 फरवरी 1992 को मनोज रस्तोगी ने दैनिक जागरण के मुरादाबाद ब्यूरो में कार्यभार ग्रहण किया और इस तरह दैनिक जागरण के साथ शुरू हुआ सफर।
दैनिक जागरण के साथ लगभग 27 साल के कार्यकाल के दौरान डा. मनोज रस्तोगी मुरादाबाद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रकारिता को एक नई दिशा दी और पहचान स्थापित की। हिंदुस्तानी अकादमी इलाहाबाद के सदस्य भी मनोनीत हुए। मनोज के द्वारा मुरादाबाद की विरासत, परम्परा, इतिहास पर लिखे गए आलेख विशेष रूप से पाठकों द्वारा सराहे गए। दैनिक जागरण में प्रकाशित कॉलम ‘अपना शहर’ और ‘अतीत के आईने’ सर्वाधिक चर्चित रहे।
डा. मनोज द्वारा सोशल मीडिया पर बनाए गए साहित्यिक मुरादाबाद पेज, समूह और यूट्यूब चैनल देशभर में पहचान बना चुके हैं। इस सबके बावजूद पिछले दो साल से दैनिक जागरण में कोई इंक्रीमेंट न होने से डा. मनोज का मन व्यथित था। इन्हें ऐसा आभास हो रहा था कि दैनिक जागरण को शायद उनकी जरूरत नहीं है और कंपनी कोई कदम उठाती, उससे पहले उन्होंने स्वयं त्यागपत्र देना ही बेहतर समझा। 31 दिसम्बर 2018 को न्यूज़ रूम में महाप्रबंधक, स्थानीय संपादक एवं सभी साथियों ने मनोज रस्तोगी को विदाई दी। डा. मनोज रस्तोगी ने अब स्वतंत्र लेखन कार्य का फैसला लिया है। डॉ मनोज रस्तोगी से संपर्क 9456687822 के जरिए किया जा सकता है.
Manpreet
January 28, 2019 at 10:50 am
Yahi haal Ndtv ka bHi hai