Manish Dubey : पुलिस नाम की व्यवस्था का ऐसा ‘रैकेट’ सुनने वालों के कानों में किलोल जरूर करता होगा. और, यदि नहीं करता तो आप निष्ठुर निष्क्रिय हैं. आज कोई और है, कल निश्चित आप ही होंगे.
ऊपर लगी फ़ोटो बलिया के भीमपुरा थाना निवासी विपिन शर्मा की है. 3 जुलाई 2019 की रात विपिन की अपने कुछ इलाकाई लोगों से कहासुनी व हाथापाई हो गई. मुखबिर की सूचना पे भीमपुरा पुलिस विपिन को थाने उठा ले गई.
झगड़े की सूचना में विपिन पर धारा 354(ख), 376, तथा 34 ipc लगाई गई. उक्त मामला तत्कालीन थानेदार सत्येंद्र कुमार रॉय के संज्ञान में लिखा गया. मामूली झगड़े के दोषी vipin sharma पर बलात्कार की धारा लगाकर 4 जुलाई को जेल भेज दिया गया.
विपिन शर्मा से जेल में बयान लेने गए दारोगा प्रताप नरायन यादव ने विपिन के घर से किसी को थाने भेजने को कहा. विपिन के कुछ रिश्तेदार विपिन की पत्नी सहित थाने पहुंचे. थाने में सत्येंद्र रॉय ने दरोगा प्रताप के माध्यम से धारा 376 हटाने की एवज में 40 हजार की डिमांड रखी. बाद में सौदा 35 हजार में क्लीयर हुआ. 35 हजार रुपये लेकर विपिन शर्मा पर से धारा 376 हटा ली गई.
ठीक इसी तरह का मिलता जुलता मामला rti एक्टिविस्ट सिंघासन चौहान के साथ भी हुआ. बकौल सिंघासन चौहान, जिस दिन का ये मामला धारा 376 उन पर दर्ज किया गया, वो ट्रेन से सफर कर रहे थे. सिंघासन पर धारा 376 का फर्जी केस लगाकर इस मामले में जेल भेज दिया जाता है. जबकि सिंघासन के पास उक्त दिन के ट्रेन टिकट सहित अन्य सभी साक्ष्य मौजूद हैं.
सिंघासन चौहान ने सारे सुबूतों के साथ मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री तक गुहार लगाई है. पूरा मामला दैनिक जागरण तथा सांध्य दैनिक 4pm सहित भड़ास4मीडिया में कई पार्टों में लगातार प्रकाशित हो रहा है.
सुनवाई चल रही है पर प्रक्रिया वो भी सरकारी, चलेगी तो अपने ही ढर्रे पर. दोषी थानेदार सत्येंद्र कुमार रॉय व अन्य पर कार्रवाई होगी भी या नहीं, पुलिस नाम के ये रैकेटबाज जेल जाएंगे या नहीं, बयानबहादुर पीएम सीएम मामले को संज्ञान में लेकर कोई भी कार्रवाई करेंगे भी या नहीं सब यक्ष प्रश्न की तरह घूम रहा है. यह प्रकरण पीड़ितों से बातचीत पर आधारित है जिनके वॉइस टेप हमारे पास मौजूद हैं.
कानपुर के बेबाक पत्रकार मनीष दुबे की एफबी वॉल से.
Yashwant Singh : इस देश में उत्पीड़न चुपचाप सह लेने की पुरानी परंपरा रही है. इसीलिए पुलिस वाले मनबढ़ हो जाते हैं क्योंकि उन्हें पता है कोई आवाज नहीं उठाएगा. पर Singhasan Chauhan एक बेबाक आरटीआई एक्टिविस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इन्हें मैं आनलाइन ही करीब छह सात साल से जानता हूं, मिला कभी नहीं हूं.
इनकी आरटीआई से संबंधित, करप्शन से संबंधित मेल लगातार भड़ास तक आती रही हैं और कई एक जगह पाती रही हैं.
एक रोज ये अचानक खुद जेल में ठूंंस दिए गए. करीब तीन महीने बाद जब किसी तरह निकल पाए तो अपनी पूरी कहानी बेबाक तरीके से लिखना शुरू कर दिया.
सिंहासन चौहान को पढ़े जाने की जरूरत है और इस बहाने पुलिस विभाग में निचले स्तर पर जो करप्शन है, उसे समझने की जरूरत है.
दल्ला थानेदार सिरीज जारी है.
दल्ले थानेदार का कुछ नहीं बिगड़ा. बस उसका थाना क्षेत्र बदल दिया गया है. बलिया का कोई दूसरा थाना दे दिया गया है. बलिया का कप्तान और योगी जी के सिपहसालार सब एक लाइन से कान में तेल डालकर सो रहे हैं. किसी को नहीं फुर्सत कि एक सोशल एक्टिविस्ट को फर्जी मामले में जेल भेजे जाने के दोषी थानेदार को बर्खास्त कर कड़ी विभागीय कार्यवाही कराए.
आप लोग भी मगन रहिए. देश समाज ऐसे ही चलता रहेगा. हां, याद रखिए, उत्पीड़न का चक्र घूमकर आता जरूर है हमारे आपके पास. आज आप मस्त हैं पर कल भांय भांय भी कर सकते हैं. तब पूछूंगा कि आपने दूसरों के उत्पीड़न के कितने मामलों पर आवाज उठाई.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
कुछ प्रतिक्रियाएं पढ़ें-
Shyaam Tyagi : आपने जो लाइन आखिर में लिखी वो अटल सत्य है। जो लोग आपके गाने खाने पीने पर लाइक कमेंट करते हैं, असल मुद्दे से वो भी दूर हो जाते हैं। सोशल मीडिया में जिनके पास अच्छी खासी फॉलोइंग हैं असल मुद्दे पर सब चुप रहते हैं। सबको ट्रेंडिंग मामलों पर लिखना अच्छा लगता है।
Singhasan Chauhan : भाई मैं चुप बैठने वालों में से नहीं हूँ. SP, DGP, Home Minister, Humaan right सबको रजिस्टर्ड डाक से शिकायत भेज चुका हूँ. एक बार खुद SP बलिया से मिलूंगा. जरूरत पड़ी तो माननीय उच्च न्यायालय तक जाऊंगा. अगर मैं चुप बैठ गया तो मामला यही रफा दफा हो जाएगा, मगर मैं इसको मंजिल तक पहुंचाने का मन बना चुका हूँ. जेल के अंदर हमेशा अपनी बूढ़ी मां की फिक्र रहती थी. 59 दिन उन्होंने व पूरे परिवार ने मानसिक व आर्थिक यंत्रणा झेली है, उसे मैं कैसे भूल सकता हूँ.
Yashwant Singh : सिंहासन भाई, आप चुप नहीं बैठने वालों में से हैं, इसीलिए आपके मुद्दे पर सीरिज प्रकाशित करने का निर्णय लिया क्योंकि कायर लोग तो बहुत जल्द पुलिस दबाव में टूटकर बलबलाने लगते हैं. कायरों की लड़ाई लड़ना भी नहीं चाहिए. मैंने सिद्धांतत: यह तय किया है कि जो अपनी लड़ाई अपने नाम पहचान के साथ लड़ने सामने आएगा, उसी की मदद की जाएगी.
Singhasan Chauhan : हमारे वकील साहब बात रहे थे एक ऐसा ही फर्जी केस का मामला राजस्थान का था वो व्यक्ति हाई कोर्ट चला गया, कोर्ट ने पुल्स पर 500000 (5 लाख) का जुर्माना लगाया , अगर हम पहले ही हार मान गए तो आधी लड़ाई हम वैसे ही हार गए
S.K. Misra : आपकी कलम और आवाज असर दिखा रही है, अभी तबदला हुआ है तो आगे चलकर कार्यवाही भी होगी अपना प्रयास जारी रखिए ।
Mohammad Haider : Yashwant Singh bhai, please file a formal complaint before the PS Home and DGP and if required, we may take recourse to a complaint before the Lokayukta, UP.
Yashwant Singh : सिंहासन जी, वकील साहब से कोआर्डिनेट करिए. उनसे मेल आईडी लेकर उन्हें अब तक जहां जहां कंप्लेन जो भेजी है, उसकी कापी मेल कर दें. साथ ही आप चाहें तो लखनऊ जाकर एक रोज वकील साहब से मिलकर उनके हिसाब से एक अप्लीकेशन बनाकर साइन करके दे दें उन्हें.
Mohammad Haider : भाई मेरी मेल आईडी [email protected] है.
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दल्ला थानेदार
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मनीष दुबे
August 17, 2019 at 7:07 pm
भड़ास ने जब इस प्रकरण को लेकर दल्ला थानेदार नाम से अपनी स्टोरी सीरीज शुरु की तो उसके बाद उक्त थानेदार सत्येंद्र कुमार रॉय से मेरी कई बार बात हुई इसी मामले में, बातचीत की रिकॉर्डिंग होकर भी नही हो पाई दल्ला जरूरत से अधिक चालाक होशियार है. पर ये सत्य है जो सदियों से चल रहा है कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी. सत्येंद्र रॉय नामक नपुंसक थानेदार फर्जी धाराओं में बेगुनाहों को फंसाते घूमते है. इनपे कहा गुर्दा जो गुनाहगारों को पकड़ें. हफ्ता जो आता होगा. योगी जी ध्यान दो व्यवश्था खराब हो रही है जिसके लिए up की जनता आपको लाई है. ख्याल करो गुरु.