Jaishankar Gupta : क्या ऐंकरिंग है। खुद को नंबर एक कहने और सबसे आगे रहनेवाले टीवी चैनल पर यूपी में पहले चरण के मतदान पर चर्चा के दौरान 4.12 बजे ऐंकर द्वारा मथुरा में मौजूद रिपोर्टर संजय शर्मा से मतदाताओं की प्रतिक्रिया पूछने और रिपोर्टर द्वारा एक मतदाता के हवाले यह बताने पर कि युवा बड़े उत्साह के साथ भाजपा के पक्ष में मतदान कर रहे हैं, बड़े चाव के साथ दिखाया गया। संजय ने वरिष्ठ पत्रकार शशिशेखर के पूछने पर भी बताया कि गोलबंदी भाजपा के पक्ष में साफ दिख रही।
उनकी यह टिप्पणी भी श्वेता को नहीं अखरी।
लेकिन जब बालकृष्ण ने मुजफ्फरनगर से बताना शुरू किया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान करनेवाले जाट किसान इस बार उसके विरोध में और रालोद के पक्ष में मतदान कर रहे हैं, यह चिंता किए बगैर कि उसका उम्मीदवार हारे या जीते। दूसरी तरफ अल्पसंख्यक सपा कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में एक तरफा मतदान कर रहे हैं। बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार भी उनके मतों में विभाजन नहीं कर पा रहे, यह सुनते ही श्वेता के जैसे कान खड़े हो गये। उन्हें इलहाम हुआ कि मतदान जारी रहते कोई आचार संहिता भी होती है। उन्होंने बालकृष्ण और फिर अन्य संवाददाताओं से भी कहा कि किसी दल का नाम न लें और ना ही किसी मतदाता को भी यह बताने को कहें कि उसने किस दल को वोट दिया है। अब भी मीडिया की निष्पक्षता पर कोई सवाल?
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त की एफबी वॉल से. उपरोक्त पोस्ट पर आए कई कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं :
Nadeem Ahmad Kazmi Sir..journalist are becoming party to their political leanings…dangerous trend. you may have your leanings but it should not be as open as these anchors do.
Suraj Kumar Singh सर…..मीडिया संस्थान में हमें पढ़ाया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एजेंडा सेटर है इसलिए इनका सब माफ़। अब ये अलग बात है कि वह किसका एजेंडा सेट कर रहा है और क्यों कर रहा है। रही बात आचार संहिता और चुनाव आयोग की तो परिवर्तन के नाम पर वर्तमान भारत में अच्छे-अच्छे संस्थान का ढांचा बदल दिया गया है तो तो फिर? वैसे एंकर को पता है कि यूपी चुनाव में किसका एजेंडा सेट करना है। पार्टी हार गई तो भी चैनल की चित और हार गयी तो भी चित।
Rajkeshwar Singh जयशंकर जी, सब तो नहीं लेकिन एक तबक़ा अब यह ठीक से परखने लगा है कि किस मीडिया की आस्था किस पार्टी में है। देश में चैनल पर ज़ोर ज़ोर से एंकर के चिल्लाने की परंपरा शुरू करने वाले पत्रकार के बताए रास्ते पर कई नए एंकर चल पड़े हैं और ‘nation wants to know’ पर वे वैसे डटे हैं जैसे उनकी आस्था है। एक मित्र व 30 साल से सक्रिय पत्रकार का ताज़ा आंकलन इस चुनाव में एक गठबंधन को 65-70 सीट से ज़्यादा नहीं मिलेगी– दूसरे पत्रकार मित्र 20 दिन से फ़ील्ड पर हैं, उनका आंकलन उस गठबंधन को 230 तक सीटें मिल सकती हैं।
Ghanshyam Dubey दरअसल ये संवाददाता रेनकोट पहन लर रिपोर्टिंग कर रहे थे। एंकरिन ने कोट पहना, फिर नाम न लेने को कहा। यानी काम कर दिया बस!