शैलेश अवस्थी-
कनपुरिया “मनमौजी”… नई पीढ़ी शायद नहीं जानती होगी कि कानपुर में रहने वाले पुरुषोत्तम मिश्रा 1972 में एक मिल में काम करने मुंबई गए और वहां फ़िल्म जगत में हास्य अभिनेता “मनमौजी” नाम से मशहूर हुए। 1974 से 2016 के बीच कोई एक हज़ार फिल्मों में गंजे होकर अभिनय किया, जब उनकी 300 फिल्में पूरी हुईं तो उनका नाम “लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड” में इसलिये दर्ज हो गया कि इसके पहले गंजे होकर किसी भी अभिनेता ने इतनी फिल्मों में काम नहीं किया था। उन्हें फिल्मी नाम मनमौजी सुप्रसिद्ध अभिनेता महमूद ने दिया था…..।
मनमौजी एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने सुनील दत्त के साथ काम किया तो संजय दत्त के साथ भी। धर्मेंद के साथ नज़र आए तो बॉबी देवल के साथ भी। देवानंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, मिथुन, अक्षय खन्ना, गोविंदा, सलमान, शाहरुख, हेमामालिनी, रेखा, काजोल सहित पिछले 50 साल के दौरान शायद ही कोई अभिनेता और अभिनेत्री हो, जिसके साथ वह नज़र न आए हों।
उन्नाव के दूबेपुर गांव में जन्मे मनमौजी पले-बढ़े कानपुर में। जेके कॉटन मिल में नौकरी की फिर मुंबई चले गए। वहां उनका न तो कोई गॉडफादर था और न ही अभिनय की कोई ट्रेनिंग, लेकिन लगन और मेहनत के चलते वह बॉलीवुड में पहचान बनाने में सफल रहे।
उनके एक भाई स्वामी गुरुशरणानंद का वृंदावन (रमणरेती) में बड़ा आश्रम है। उनका बहुत सम्मान है। एक भाई कानपुर के शास्त्री नगर में रहते हैं। एक और भाई महाराष्ट्र में रहते हैं। अब मनमौजी 80 के हैं, पर अंतिम सांस तक काम करना चाहते हैं।
उनसे फ़ोन पर बात हुई तो पीड़ा झलक पड़ी। बोले..”कोई वक्त था, इतना काम था कि चार शिफ्ट भी कम पड़ती थी, अब कोई मिलने तक नहीं आता। हां, उस दौर के बीरबल सहित कुछ अभिनेता हैं, जो खबर लेते रहते हैं…इस सच को स्वीकार कर लिया है”..। अब मनमौजी अपने दो पुत्रों के साथ अंधेरी में गुमनाम सा जीवन बिता रहे हैं। ऐसे महान शख्स पर कानपुर को गर्व है….। उन्हें शुभकामनाएं….। उनसे हुई बातचीत के आधार पर मेरा न्यूज़ आइटम आज के “अमृत विचार” में….
