वह संपादक, जिसने अखबार पढ़ने की आदत डलवाई….प्रदीप कुमार

Shailesh Awasthi- कानपुर : उनकी लाल मारुति कार ऑफिस की तरफ आते देख रिपोर्टर अखबार इस तरह पलटने लगते जैसे किसी परीक्षा से पहले परीक्षार्थी तैयारी करता है। सुबह 10.30 पर रिपोर्टर्स की मीटिंग में उनका पहला सवाल होता कि अखबार पढ़ा ? इसके बाद पहले से आखिरी पेज तक कोई भी खबर पर पूछते …

एक सरल, सहज, संजीदा और संवेदनशील संपादक….वीरेन डंगवाल

Shailesh Awasthi- उनमें निराला जैसा फक्कड़पन, बाबा नागार्जुन जैसी गंभीरता, मुक्तिबोध जैसी बेचैनी और बुद्धिमत्ता थी, वह राष्ट्रीय स्तर के कवि, साहित्यकार और बेहद संवेदनशील संपादक थे। गुस्सा भी ऐसा कि गज़ब के हास्य और तंज़पुट के साथ मुस्कुराकर भौयें चढ़ाकर बात कहते कि सामने वाला पानी-पानी हो जाता। जो मिलता, उनका कायल हो जाता। …

जब विशेश्वर कुमार ने अमर उजाला में मुझे क्राइम रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी…

Shailesh Awasthi-·क्राइम रिपोर्टिंग…. एक चुनौती : जुलाई 1993 में “अमर उजाला” कानपुर जॉइन किया तो कुछ महीनों बाद वहां विशेश्वर कुमार रिपोर्टिंग टीम के इंचार्ज बनकर आ गए। वह मेरठ “दैनिक जागरण” से आए थे और उनकी गिनती धाकड़ रिपोर्टरों में थी। कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे शिक्षा बीट से हटा कर क्राइम बीट की …

पत्नी के गहने बेचकर शुरू किया था ‘अपनी राज्यसत्ता’ पत्रिका!

Shailesh Awasthi-·कानपुर में “दैनिक गणेश” अखबार बंद हुआ तो मैं कोई एक साल तक बेरोजगार रहा। शादी हो चुकी थी, जेब खाली, पत्नी से कैसे कहूं कि अपन न तो तुम्हें घुमा सकते और न ही कुछ तुम्हारे लिए कुछ खरीद सकते। लेकिन वह मेरी मनोदशा समझती थी तो न कभी ख्वाहिश पेश की और …

“दैनिक गणेश” में मेरी 1988 में 450 रुपये पगार थी!

शैलेश अवस्थी- पत्रकारिता का पहला पड़ाव…. यूं तो मैंने 12 वीं पास करने के बाद ही कानपुर से प्रकाशित “दैनिक गणेश” में लिखना और आना-जाना शुरू कर दिया था, लेकिन एमए करने के बाद बाकायदा “विशेष संवाददाता” जॉइन किया। हर क्षेत्र की खबरें लिखता। ज़ुनून ऐसा की सुबह 10 बजे पहुंच जाता और देर रात …

जब भी जीवन में संकट आया, अमर उजाला ने मेरा साथ दिया!

शैलेश अवस्थी- सत्य का प्रहरी “अमर उजाला”… अपने 75 साल के सफर में “अमर उजाला” ने कई उतार-चढ़ाव देखे और प्रतिमान गढ़े। आज़ादी के बाद देशहित, विकास और सामाजिक सरोकारों को सदैव आगे रखा। पाठकों की रुचि, प्राथमिकता और उनके मतलब की सूचनाएं उन तक समय पर पहुंचाना अपना धर्म समझा। अपने मजबूत इरादों और …

97 साल पुराना ‘प्रताप’ अख़बार देखें, 24 पेज में 70 छोटे विज्ञापन हैं!

शैलेश अवस्थी- पान मसाला तो 100 साल पहले भी चलता था… ‘प्रताप’ की लोकप्रियता.. कोई सौ साल पहले भी अखबार विज्ञापनों से भरे रहते थे। “प्रताप” का यह अंक 97 साल पुराना है। 24 पेज के इस अखबार में 70 छोटे बड़े विज्ञापन हैं, लेकिन सभी को इतनी अच्छी तरह सेट किया गया है और …

पत्रकारिता के स्कूल हैं दिलीप शुक्ला!

विवेक शुक्ला- पत्रकारिता का स्कूल हैं भाईजी दिलीप शुक्ला… कुछ दिन पहले पता चला कि कानपुर प्रेस क्लब दिलीप शुक्ला भाई जी को सम्मानित करने जा रहा है। यह सुनते ही लगा कि मैं भी भाई जी के सम्मान में हो रहे कार्यक्रम का हिस्सा बन जाऊं। पर वक्त की कमी के कारण यह मुमकिन …

टकले अभिनेता मनमौजी का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज!

शैलेश अवस्थी- कनपुरिया “मनमौजी”… नई पीढ़ी शायद नहीं जानती होगी कि कानपुर में रहने वाले पुरुषोत्तम मिश्रा 1972 में एक मिल में काम करने मुंबई गए और वहां फ़िल्म जगत में हास्य अभिनेता “मनमौजी” नाम से मशहूर हुए। 1974 से 2016 के बीच कोई एक हज़ार फिल्मों में गंजे होकर अभिनय किया, जब उनकी 300 …