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IIMC यानि वित्तीय और शैक्षणिक अनियमितताओं का केंद्र

Abhishek Ranjan Singh : पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्र में कथित रूप से भारत और एशिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान ( IIMC) पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय और शैक्षणिक गड़बड़ियों का केंद्र बन चुका है. मामला चाहे मुख्य प्रशासनिक भवन के ऊपरी मंज़िल के निर्माण का हो या फिर नियमित ख़रीददारी का. संस्थान के बड़े हाकिमों की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है.

<p>Abhishek Ranjan Singh : पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्र में कथित रूप से भारत और एशिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान ( IIMC) पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय और शैक्षणिक गड़बड़ियों का केंद्र बन चुका है. मामला चाहे मुख्य प्रशासनिक भवन के ऊपरी मंज़िल के निर्माण का हो या फिर नियमित ख़रीददारी का. संस्थान के बड़े हाकिमों की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है.</p>

Abhishek Ranjan Singh : पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्र में कथित रूप से भारत और एशिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान ( IIMC) पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय और शैक्षणिक गड़बड़ियों का केंद्र बन चुका है. मामला चाहे मुख्य प्रशासनिक भवन के ऊपरी मंज़िल के निर्माण का हो या फिर नियमित ख़रीददारी का. संस्थान के बड़े हाकिमों की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है.

छात्रावास के नाम पर पिछले 25 वर्षों से ग़ैर-बराबरी का सामना कर रहे विद्यार्थियों को छात्रावास की सुविधा कैसे मिले, इसकी तनिक भी चिंता संस्थान के हाकिमों को नहीं है. इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि छात्रावास निर्माण के मद में आवंटित राशि में भी गड़बड़ियां हुई हैं.

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हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय जनसंचार संस्थान भी देश के अन्य संस्थानों की तरह है. भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता, छात्रों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का शोषण यहां भी होता है. बावजूद इसके अख़बारों और समाचार चैनलों में यहां होने वाली गड़बड़ियों से जुड़ीं ख़बरें प्रकाशित एवं प्रसारित नहीं होती. ऐसा इसलिए होता है कि इस संस्थान के पूर्व छात्र भारतीय जनसंचार संस्थान को मंदिर, मक्का, तीर्थ स्थल, पुण्य भूमि इत्यादि मानते हैं.

इसी आसक्ति की वजह से हम लोग भारतीय जनसंचार संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार और शिक्षकों के बीच आपसी गुटबाज़ी पर कुछ भी कहना/ करना ज़रूरी नहीं समझते. वर्ष 2013 के फरवरी महीने में छात्र हित के नाम पर एक तंज़ीम बना, जिसका नाम है- भारतीय जनसंचार संस्थान पूर्व छात्र संघ यानी IIMCAA. प्रारंभ में संस्थान के पूर्व छात्रों को खुशी हुई कि विद्यार्थियों के बीच एक ऐसा संगठन आया है, जो उनकी समस्याओं को आईआईएमसी प्रशासन के समक्ष रखेगा.

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हालांकि, भारतीय जनसंचार संस्थान पूर्व छात्रसंघ अपनी नीतियों/ मसौदे/ कार्यक्रमों/ गतिविधियों एवं घोषणाओं से आईआईएमसी के हज़ारों पूर्व छात्रों को निराश कर दिया. भारतीय जनसंचार संस्थान पूर्व छात्रसंघ के हाकिमों का कहना है कि- वे लोकतांत्रिक मूल्यों के तहत कोई कार्य करते हैं, लेकिन उनकी बातों से शायद ही कोई शख्स इत्तेफ़ाक रखेगा. मिसाल के तौर पर यह तंज़ीम “छात्रावास जैसी बुनियादी ज़रूरतों” समेत छात्रों की अन्य समस्याओं के बारे में तनिक भी संजीदा नहीं है. इस बाबत उनकी प्रतिक्रियाओं से भी सभी पूर्व एवं मौजूदा छात्र अवगत हैं.

अक्टूबर महीने में जनसंचार संस्थान पूर्व छात्रसंघ ( IIMCAA) का चुनाव होने वाला है. अगर उनके चुनाव नियमावली को देखें, तो उनका अलोकतांत्रिक रवैया सामने आ जाएगा.

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IIMCAA ने चुनाव के लिए जो नियम बनाए हैं, उनके मुताबिक़……..

1. केवल वही व्यक्ति चुनाव में उम्मीदवार बन सकता है या मतदान कर सकता है, जो शुल्क भुगतान कर IIMCAA का सदस्य बना हो.

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– जबकि नियमतः भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई कर चुके सभी छात्रों को मतदान करने और चुनाव लड़ने का अधिकार होना चाहिए.

2. भारतीय जनसंचार संस्थान के जिन पूर्व छात्रों को चुनाव लड़ना है, वे अपने अलावा दस लोगों का पैनल बनाएं, फिर चुनाव लड़ें.

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– IIMCAA का यह नियम प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की तर्ज पर है, जो भारतीय जनसंचार संस्थान के लिए सही नहीं है. कोई भी व्यक्ति किसी भी पद के लिए स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ सकता है, इसके लिए किसी तरह का पैनल नहीं होना चाहिए.

3. IIMCAA ने प्रत्यक्ष मतदान के अलावा, ऑनलाइन मतदान कराने का भी विकल्प रखा है.

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– ऑनलाइन मतदान प्रक्रिया से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद करना बेमानी है,

4. IIMCAA का चुनाव लोकतंत्र के नाम पर एक प्रहसन है.

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5. क्या IIMCAA ने चुनाव के बाबत कोई घोषणा-पत्र जारी किया है?

भारतीय जनसंचार संस्थान के सभी पूर्व एवं मौजूदा छात्रों को चाहिए कि वे इन मसलों पर विचार करें.

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आईआईएमसी के कई मसलों को लेकर लगातार लड़ते रहने वाले आईआईएमसी के पूर्व छात्र अभिषेक रंजन सिंह के फेसबुक वॉल से.

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