ये दो खबरें हैं। कल और आज की। कहने को क़ानून सबके लिए बराबर है लेकिन नेता अगर सत्ता पक्ष का हो तो क़ानून घास चरने चला जाता है।
राज चाहे सपाइयों का रहा हो या अब भाजपाइयों का चल रहा हो! सत्ता दल के नेता बेलगाम और क़ानून से ऊपर होते हैं, वे अपनी हरकतों से ये बात बार बार साबित करते हैं।