सरकार की ‘डीडीएलजे नीति’ और हेडलाइन मैनेजमेंट की चर्चा नहीं
संजय कुमार सिंह
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार की डीडीएलजे नीति का खुलासा करते हुए कहा है कि इसके तहत अंग्रेजी के डिनाइ (इंकार करो), डिस्ट्रै्क्ट (ध्यान भटकाओ), लाइ (झूठ बोलो) जस्टिफाइ (न्यायोचित ठहराओ) का पालन किया जाता है। इसके तहत सरकार ने छह दशकों की सबसे शर्मनाक क्षेत्रीय नाकामी को छिपाने की कोशिश की है। वैसे तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बने बफर जोन की वजह से 1962 युद्ध के नायक मेजर शैतान सिंह का स्मारक ध्वस्त किये जाने की खबर पुरानी है लेकिन कांग्रेस ने जो प्रमुख मुद्दे उठाये हैं उनमें शामिल है लेकिन इसे या दूसरे अथवा कांग्रेस द्वारा कई मुद्दे उठाने की खबर आज सिर्फ द टेलीग्राफ में है। अखबार ने 22 जनवरी को अयोध्या नहीं आने की प्रधानमंत्री की अपील को फ्लैग शीर्षक बनाया है और इसके साथ बड़ी खबर है, नरेन्द्र मोदी ने मंदिर अभियान शुरू किया। दूसरी खबर का शीर्षक है, कांग्रेस ने प्रमुख मुद्दे गिनाए।
कांग्रेस ने जो मुद्दे गिनाए हैं उनके अलावा आज खबर यह भी है कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता फिर खराब हो गई है (हिन्दुस्तान टाइम्स), सरकार ने आईसीयू में दाखिले के नियम तय कर दिये हैं (टाइम्स ऑफ इंडिया) और यह पहली बार हुआ है। यही नहीं, जनगणना का काम फिर टल गया है (द हिन्दू) और अब अगले साल अक्तूबर से पहले नहीं हो सकता है। इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने की एक खबर से बताया है कि सरकारी उपेक्षा के शिकार जम्मू और कश्मीर के पुंछ गांव के लोगों ने खेल का मैदान बनाने के लिए पैसे इकट्ठा किये हैं। द टेलीग्राफ ने कांग्रेस के प्रमुख मुद्दों को सकेंड लीड बनाया है। लेकिन नवोदय टाइम्स की लीड का शीर्षक है, अयोध्या में राम-राम।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर बताया है कि अमेरिका में भारतीय मूल का परिवार अपने घर में मरा मिला। पहले पन्ने की इन खबरों के मद्देजनर आपको भले यकीन हो जाये कि आज खबरें वाकई कम हैं पर सच यह भी है कि आज सभी अखबारों में अयोध्या और मंदिर ही लीड है। भाजपा ने नया अभियान, ‘शुक्रिया मोदी भाई जान’ शुरू किया है वह भी पहले पन्ने पर है। अमर उजाला ने बताया है कि प्रधानमंत्री चौथी बार राम नगरी में थे और कहा कि देश को नई ऊर्जा दे रही है अयोध्या। ऐसे में मोदी ने कहा और अमर उजाला की लीड का शीर्षक है, विकास और विरासत की साझा ताकत भारत को ले जायेगी सबसे आगे। प्रधानमंत्री, अयोध्या और राम मंदिर की अन्य खबरों के साथ नवोदय टाइम्स ने खेल रत्न व अर्जुन पुरस्कार लौटाने की खबर को नवोदय टाइस में चार कॉलम में पहले पन्ने पर छापा है।
आपको याद होगा, कोरना के समय थाली बजाने और दीया जलाने की अपील का। उससे क्या फायदा हुआ यह तो नहीं पता है लेकिन इस बार प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी को घरों में श्रीराम ज्योति जलाने की अपील की है। दीपावली मनायें …. अयोध्या आने से बचें। आप जानते हैं कि दीपावली मनाना यानी आतिशबाजी चलाना और प्रदूषण। पर इस दीपावली को प्रदूषण मुक्त रखने की कोई अपील प्रमुखता से नहीं है। अमर उजाला ने इसे भावुक अपील भी बताया है। दिलचस्प यह है कि अमर उजाला में ये सारी खबरें बगैर किसी बाईलाइन के हैं और तो और एक फोटो कैप्शन है, अयोध्या में पीएम मोदी के स्वागत के लिए दिखा उत्साह – एजेंसी। कहने की जरूरत नहीं है कि इन सारी खबरों से यह पता नहीं चल रहा है कि अयोध्या में कल क्या हुआ कि अखबारों में छाया हुआ है।
इन और ऐसी तमाम खबरों का शीर्षक बताता है कि मामला हवा-हवाई ही है। ताली-थाली बजाकर कोरोना भगाने जैसा। दीवाली मनाने की अपील वोट देने की गुजारिश भले हो, खबर नहीं है। आइये आज के बूझो तो जानें वाले शीर्षक देख लें। खास बात यह है कि ये अंग्रेजी अखबारों के हैं। हिन्दी के तो पहले लिख चुका। कहने की जरूरत नहीं है कि कोई भी शीर्षक लीड खबर जैसा नहीं है फिर भी लीड है। यह है सरकारी पार्टी का हेडलाइन मैनेजमेंट और इसी से उसकी चुनावी तैयारियों तथा मीडिया के सहयोग का पता चलता है। 1. हिन्दुस्तान टाइम्स – प्रधानमंत्री ने कहा, अयोध्या में विकसित भारत का जोर शुरू हो गया है। 2. विकास और विरासत भारत को आगे ले जायेगा, मोदी ने अयोध्या में कहा 3. द संडे इंडियन एक्सप्रेस – 22 जनवरी को राम मंदिर समारोह वाले दिन पूरे देश को दिवाली मनाना चाहिये, 4. मोदी ने मंदिर अभियान शुरू किया 5. द हिन्दू – जनवरी 22 से पहले अयोध्या हवाई अड्डा शुरू।
द हिन्दू के उपशीर्षक के अनुसार, प्रधानमंत्री ने नये सिरे से दुरुस्त किये गये रेलवे स्टेशन तथा 46 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। गनीमत है इन्हें 46 दिन में नहीं किया और ऐसा करते भी तो कौन रोक सकता था। आइये अब 1962 युद्ध के हीरो, मेजर शैतान सिंह का स्मारक हटाए जाने पर पर मचे विवाद को समझने की कोशिश करें। और यह भी कि इसे अखबारों ने पहले पन्ने पर नहीं छापा। बीबीसी की खबर के अनुसार, लद्दाख के चुशुल में बने स्मारक को हटाए जाने को लेकर विवाद है। चुशुल के काउंसलर खोंचोक स्टानज़िन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ये दावा किया है कि रेज़ांग ला में स्थित इस स्मारक को तोड़ना पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की 13 कुमाऊँ रेजिमेंट की टुकड़ी के सैनिकों की बहादुरी को यहां सम्मान दिया जाता है। इस सिलसिले में शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पहले तो मेजर शैतान सिंह के स्मारक को लेकर सवाल का जवाब नहीं दिया लेकिन दोबारा पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इससे पहले आर्मी के पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल सुधीर चमोली ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और वे अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं।
लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के पूर्व सदस्य खोंचोक स्टानज़िन ने बीबीसी हिंदी से कहा, यह दुखद है कि स्मारक को तोड़ना पड़ा क्योंकि अब वह जगह बफ़र ज़ोन में है। पाठकों को याद होगा पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर बाड़ को पीछे किये जाने की खबर थी और अब यह खबर।” हालांकि, बीबीसी की ही खबर में कहा गया है कि लद्दाख से बीजेपी के सांसद जामयांग छेरिंग नामग्याल ने कहा कि मेजर शैतान सिंह के पुराने मेमोरियल को हटाए जाने का संबंध बफ़र ज़ोन से नहीं है। वो कहते हैं कि दरअसल पुराना मेमोरियल बहुत छोटा था इसलिए नया बनाया गया है। जामयांग छेरिंग नामग्याल ने कहा, ”पुराना मेमोरियल हटाकर नया बनाने का संबंध किसी भी तरह के बफर ज़ोन से नहीं है। क्या भारत सरकार ने कहा है कि कोई बफ़र ज़ोन बनाया गया है?
हमने मेजर शैतान सिंह का बड़ा मेमोरियल बनाया है और यह उनके बलिदान की महिमा के मुताबिक़ है। जो कह रहे हैं कि उस इलाक़े को नो मेन्स लैंड बना दिया गया है, वो सच नहीं बोल रहे हैं। चुशुल की आबादी वहीं रह रही है और वहां की सड़कें भी वैसी ही हैं। संभव है कि आसपास के लोगों के लिए थोड़ी दिक़्क़त हो क्योंकि देश भर के लोग आकर शहीदी स्थल पर माथा टेकते थे और वहाँ पर्यटन होता था। लेकिन मेजर शैतान सिंह के मेमोरियल और उनके बलिदान को कहीं से भी कमतर नहीं किया गया है।” यह पता नहीं चल रहा है कि सेना के प्रवक्ता ने इस बारे में क्यों नहीं कुछ कहा। पर आजकल की खबरें ऐसी ही होती हैं। नामुमकिन मुमकिन है।
ऐसे में सोशल मीडिया पर एक भक्त मित्र को बताना पड़ा कि 22/23 दिसंबर 1949 की रात मस्जिद के भीतरी हिस्से में रामलला की मूर्तियां रखी गईं। 23 दिसंबर को पुलिस ने मस्जिद में मूर्तियां रखने का मुकदमा दर्ज किया था, जिसके आधार पर 29 दिसंबर 1949 को मस्जिद कुर्क कर उस पर ताला लगा दिया गया था। कोर्ट ने तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष प्रिय दत्त राम को इमारत का रिसीवर नियुक्त किया था और उन्हें ही मूर्तियों की पूजा आदि की जिम्मेदारी दे दी थी। 23 दिसंबर 1949 की सुबह उजाला होने से पहले यह बात चारों तरफ जंगल की आग की तरह फैल गई कि ‘जन्मभूमि’ में भगवान राम प्रगट हुए हैं. राम भक्त उस सुबह अलग ही जोश में गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई ‘भये प्रगट कृपाला’ गा रहे थे। उसके बाद जो हुआ वह लोकतंत्र में धर्म की राजनीति का इतिहास बन रहा है।