Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

अखबारों को डुबाने में माहिर एक संपादक

कानाफूसी : जहां-जहां संतन के पैर पड़े, वहां-वहां बंटाधार। एक ऐसे ही संपादक की कहानी। कुछ लोग नसीब की खाते हैं। पर इस संपादक को तो लोग मुर्गा बनाने के लिए जाने कैसे मिल जाते हैं। यह संपादक एक घोर जातिवादी मानसिकता का व्यक्ति है। दलाली का मास्टर। आइये शुरूआत करते हैं सहारा से। इस अखबार में रहते इस व्यक्ति ने स्टाफ को आपस में लड़ाने के सिवाय कुछ नहीं किया। ब्राह्मणों को ही आगे बढ़ाया। जब अखबार के मालिक इसकी असलियत को जान गए तो किनारे लगाया गया।

इसके बाद अमर उजाला के मालिक को मुर्गा बनाया। जालंधर में रहकर अमर उजाला को बंद करके ही माना। अखबार के मालिक को पटाकर देहरादून का संपादक बना। यहां जमीन की दलाली करने में जुट गया। जब उच्च लेबल पर पता चला तो देहरादून से वाराणसी दबादला कर दिया गया। वहां भी काम करने वाले लोगों को किनारे लगाया और अपने चमचों को आगे बढ़ाने में जुट गया। अखबार के मालिक ने बुजुर्ग होने पर निकाला नहीं, नोयडा आफिस के एक कोने में बैठा दिया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

रिटायर होने के बाद इस माया जाल फेंकने में माहिर व्यक्ति ने हिमाचल दस्तक के मालिक केपी भारद्वाज जी को पटाया। वहां संपादक बन गया। आठ माह में ही गति पकड़ते हुए अखबार को डुबा दिया जो आज तक नहीं उबर पाया।

जब केपी भारद्वाज को इनकी राजनीतिक करतूत का पता चला तो हाथ जोड़कर अखबार से हटने के लिए कह दिया। उसके बाद पंजाबी केसरी के मालिक को अपनी माया मोहिनी जाल में फंसा दिया। अब अखबार के मालिक को बेवकूफ बनाकर पंजाब केसरी को एक राज्य की राजधानी में डुबाने में लगा हुआ है। काम करने वाले लोगों को किनारे कर दिया है। केवल अपने ब्राह्मण लॉबी के लोगों को ही आफिस में रखा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यकीन मानिये यह व्यक्ति पंजाब केसरी को राजधानी में बंद करके ही छोड़ेगा।

कानाफूसी कैटगरी की गपशप सुनी सुनाई बातों पर आधारित होती हैं इसलिए इन पर भरोसा न ही करें तो बेहतर रहेगा 🙂

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. sk

    November 30, 2020 at 9:54 pm

    पंजाब केसरी देहरादून के सम्पादक के बारे में जो कुछ भी लिखा है वह पूरी तरह गलत है। नीचे एक लाइन लिखकर की सुनी सुनाई बात है, इस पर भरोसा मत करें, आप कुछ भी नहीं लिख सकते। जिन लोगों को जॉब से हटाया जाता है वे कुछ तो कहेंगे ही। ये थोड़े न कहेंगे कि मुझे मेरी गलती के कारण हटाया गया। गिने चुने पत्रकार अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभा रहे हैं। निशिथ जी उनमें से एक हैं। ऐसे लोगों को भी काम कर लेने दीजिये, वरना पत्रकारिता का पेशा ही खत्म हो जाएगा। आप से अच्छा इस बात को और कौन समझ सकता है। बहुत मुश्किल से विश्वसनीयता बनती है। मामूली लालच में इसे मत गंवाईए। श्रीमान यशवंत जी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement