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अमर उजाला में कई संपादकों के तबादले की चर्चा, लगता है पूरा घर बदल डालेंगे राजुल माहेश्वरी!

अमर उजाला समूह कुछ उन चुनिंदा मीडिया घरानों में शामिल है जिनके पत्रकारीय सरोकार और समझ पर संदेह नहीं किया जा सकता. इस घराने की सबसे बड़ी खूबी-पूंजी ये है कि इनका मीडिया के अलावा कोई अलग कोई अन्य धंधा नहीं है. इसलिए, ये अपनी उर्जा मीडिया की पवित्रता, सरोकार की रक्षा और पाठकों के प्रति उत्तरदायी होने-रहने में लगाते हैं. यही कारण है कि अमर उजाला धीरे धीरे ही सही, लगातार अपनी ग्रोथ बढ़ा रहा है.

अमर उजाला को संपादकीय विजन देने में प्रमुख भूमिका निभाई अतुल माहेश्वरी ने. उनके निधन के बाद पूरी बागडोर राजुल माहेश्वरी के हाथों में हैं. राजुल माहेश्वरी ने अब तक के अपने कार्यकाल के जरिए ये संकेत दे दिया है कि वे अपने पुरखों, अपने मार्गदर्शकों के सिद्धांतों-विचारों से विमुख न होंगे. इसी वजह से अमर उजाला के संपादकों को एक किस्म की उदात्त आजादी मिली हुई है जिसके जरिए वे खबरों को दबा कर खुल कर छापते हैं, सत्ता संस्थानों के खिलाफ, बिना किसी दबाव की परवाह किए, बिना इस बात की परवाह किए की सुबह कौन क्लास ले लेगा. राजुल माहेश्वरी ने अमर उजाला समूह के भीतर की उर्जा-मेधा को संस्थागत रूप दिया है.

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कभी वीरेन डंगवाल और अतुल माहेश्वरी सरीखों के विजन से यह अखबार अपना एडिटोरियल कंटेंट तैयार करता था. आज यह अखबार इन लोगों के असमय चले जाने के कारण अनाथ कतई नहीं हुआ है. इस अखबार ने अपनी नींव की चेतना, नींव की कोर उर्जा को जाग्रत रखा हुआ है और इसकी लपट, तेज, ताप से पाठकों को रूबरू कराता रहता है. इसी अमर उजाला समूह में बुहत दिनों बाद बड़े पैमाने पर तबादले की आहट सुनी जा रही है. ऐसी चर्चा है कि राजुल माहेश्वरी पूरे घर को बदल डालने के मूड में हैं. ये अच्छा भी है. चार साल से ज्यादा एक जगह किसी संपादक को न टिकने देने से फायदा यह होता है कि संपादक कभी यथास्थितिवादी मोड, जड़ता के मोड में नहीं जा पाता. उसे नई जगह नई चुनौतियों से रूबरू होना पड़ता है जिसके लिए वह प्राणप्रण से जुटता है.

सूत्रों के जरिए जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक अमर उजाला बनारस के संपादक राजेंद्र त्रिपाठी को अमर उजाला मेरठ का संपादक बनाया जा सकता है. त्रिपाठी जी मेरठ में लंबे समय तक पत्रकारिता किए हैं. वे अतुल माहेश्वरी के बहुत करीबी और प्रिय पत्रकारों में से रहे हैं. मेरठ में राजेंद्र त्रिपाठी ने लंबा समय जिया है, बतौर रिपोर्टर, बतौर चीफ रिपोर्टर. वे अमर उजाला आगरा के संपादक रह चुके हैं. बताया जा रहा है कि उन्हें अमर उजाला मेरठ का चार्ज प्रबंधन दे सकता है.

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अमर उजाला मेरठ के संपादक राजीव सिंह के बारे में चर्चा है कि उन्हें अमर उजाला देहरादून या अमर उजाला लखनऊ का संपादक बनाया जा सकता है. ज्यादा चर्चा अमर उजाला लखनऊ को लेकर है. अमर उजाला देहरादून में संजय अभिज्ञान को संपादक बनाकर भेजा जा सकता है. संजय अभिज्ञान फिलहाल अमर उजाला के नोएडा मुख्यालय में वरिष्ठ पद पर पदस्थ हैं. अमर उजाला लखनऊ में वीरेंद्र आर्या संपादक हैं लेकिन प्रिंट लाइन में इंदुशेखर पंचोली का नाम जाता है. अमर उजाला देहरादून के संपादक हरिश्चंद्र सिंह का ट्रांसफर प्रस्तावित है. कोई उन्हें अमर उजाला गोरखपुर का संपादक बनवा रहा है तो कोई कह रहा है कि उन्हें अमर उजाला लखनऊ की जिम्मेदारी दी जाएगी. यूपी के सीएम योगी जी का गृह जिला होने के कारण गोरखपुर यूनिट इस समय यूपी की सबसे वीआईपी यूनिट है. फिलहाल अमर उजाला गोरखपुर में शरद मौर्य संपादक का काम देख रहे हैं. उनके बारे में चर्चा है कि उन्हें अमर उजाला आगरा भेजा जा सकता है. अमर उजाला आगरा में इन दिनों नीरजकांत राही जी संपादक हैं जो सेवानिवृत्त होने के बाद एक्सटेंशन पर चल रहे हैं. उन्हें अब ग्रुप के कामकाज से मुक्त किया जा सकता है.

अमर उजाला बनारस की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी, इसे लेकर दो नामों की चर्चा है. एक नाम फिर यहां राजीव सिंह का उछल रहा है जो अमर उजाला मेरठ के संपादक हैं. दूसरा नाम शरद मौर्य का है जो अमर उजाला गोरखपुर के संपादक हैं. तीसरा नाम वीरेंद्र आर्या का है जो लखनऊ के संपादक हैं. फिलहाल लोकसभा चुनाव बीतने के बाद पूरा अमर उजाला समूह इन दिनों संपादकों के तबादलों को लेकर चर्चा में है. पिक्चर जल्द ही क्लीयर हो जाएगी, अगलो दो चार दिनों में.

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भड़ास संपादक यशवंत की रिपोर्ट. संपर्क [email protected]

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5 Comments

5 Comments

  1. Rajesh sarkar

    May 27, 2019 at 12:38 am

    गोरखपुर में संपादक का काम देख रहे वरिष्ठ पत्रकार शरद मौर्य जी राजुल जी के अत्यंत प्रिय और मेधावी पत्रकारों में है। बनारस में वर्ष 99 में उनको संपादक राजेश श्रीनेत्र के साथ पूर्वांचल सम्भालने भेजा गया था।शरद जी की लेखनी और समाचारों का प्रस्तुति करण बेहद सरल और प्रभावशाली रहता है। सम्भवतः बनारस की बागडोर उनको ही सौंपे जाने का राजुल जी निर्णय ले।

    राजेश सरकार
    वरिष्ठ पत्रकार
    इलाहाबाद

  2. बेबाक

    May 30, 2019 at 12:35 pm

    कुछ ज्यादा ही प्रशंसा कर दी अमर उजाला की आपने।लेकिन वास्तविकता भिन्न है। संदीप बत्रा के नेतृत्व में चल रहा है अब अमर उजाला। राजुल जी और महेश्वरी परिवार तो डमी है।

  3. सोनू

    May 31, 2019 at 2:55 pm

    अमरउजाला में जितना सोशन अत्याचार हो रहा है जितना किसी घराने में नही हो रहा होगा पिछले 3 सालों से इस संश्थान ने अधिकारियो के तो तलवे चाटे है और अपने कर्मचारियों के बारे में 1 बार भी नही सोचा।
    यही कारण है कि ये संश्थान अपने कर्मचारियों को आउटसोर्स करने में लगा है,
    बस अब संदीप बत्रा बहुत हो गया तेरा कहर अब मोदी लहर में तू भी उड़ेगा।

  4. Lala

    June 2, 2019 at 7:08 pm

    Amar Ujala Apne Off-roll employees ki Salary se GST, aur tamam aise tax kaat raha h jiska kisi employees ko koi jaankari nai h. Paper work ke anusaar Amar ujala salary 15000 Tak dikha raha h lekin employees ki Salary se tamam tax ki koi jaankari paper par ni h aur employees ko 6000 Tak de Kar apna kaam nikaal le raha h
    Apni hi company ke andar do company Bana rakhi h 1- Shams Proffessional Pvt. LTD. 2- utkrisht manpower LTD.

  5. Khushi

    April 1, 2020 at 11:17 am

    Amar ujala ke Pradhan sampadak ka kya naam hain

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