उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के साथ बदसलूकी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुख्यमंत्री योगी के राज में यूपी मीडियावालों के लिए पूरी तरह असुरक्षित जगह बन चुका है. सत्ता के शह और संरक्षण में पुलिस प्रशासन के लोग मीडिया वालों के साथ लगातार बदतमीजी कर रहे हैं और दमन करने पर उतारू हैं. नोएडा में एक एंकर को गिरफ्तार कर लिया गया है. शामली में कवरेज करने गए पत्रकार को पुलिसवालों ने बुरी तरह पीटा और पेशाब पिलाया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कथित मानहानि कारक आरोपों पर चैनल नेशनल लाइव में डिबेट करने वाले एंकर अंशुल कौशिक को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मामले में नोएडा पुलिस की यह तीसरी गिरफ्तारी है. पुलिस ने सोमवार देर शाम को कोतवाली फेज थ्री इलाके से अंशुल को गिरफ्तार किया. मंगलवार को पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मामले में एक आरोपी अभी फरार है. एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि 6 जून को नेशन लाइव चैनल में मुख्यमंत्री के बारे में मानहानि कारक आरोपों पर बगैर तथ्यों की पड़ताल किए हुए डिबेट की गई थी. इसकी एंकरिंग अंशुल कौशिक कर रहे थे. अंशुल को गिरफ्तार कर लिया गया है.
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में नोएडा सिटी मजिस्ट्रेट ने नेशन लाइव न्यूज चैनल के भवन को सील कर दिया. साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर नेटवर्क-10 के संबंध में जानकारी मांगी है. जिलाधिकारी की ओर से पत्र भेजकर कार्रवाई की जानकारी भारत सरकार को दी है. डीएम बीएन सिंह ने बताया कि सेक्टर-65 स्थित न्यूज चैनल नेशन लाइव पर मुख्यमंत्री के संबंध में एक खबर चलाई गई थी, जो मानहानि कारक खबर थी. वहीं, मुख्यमंत्री की लोकप्रियता को देखते हुए जिले और प्रदेश में कानून व्यवस्था खराब हो सकती थी. बताया कि चैनल के संबंध में जानकारी की तो पता चला कि उनके पास लाइसेंस ही नहीं था. चैनल नेटवर्क-10 के लाइसेंस पर चल रहा था. मामले की जांच-पड़ताल कर सब इंस्पेक्टर की तहरीर पर मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. चैनल भवन को सिटी मजिस्ट्रेट ने धारा-144 के तहत कार्रवाई करते हुए सील कर दिया है. साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी चैनल के संबंध में की गई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए पत्र भेज दिया गया है. बताया कि भारत सरकार को भेजे गए पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि बिना जांच-पड़ताल के चलाई गई खबर द्वारा सीएम पर अभद्र टिप्पणी करने पर यह कार्रवाई हुई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा पुलिस पर उठ रहे सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित मानहानि कारक ट्वीट करने पर गिरफ्तार स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को सुप्रीम कोर्ट से रिहाई के आदेश के बाद नेशन लाइव चैनल के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. नोएडा पुलिस की कार्रवाई को एकतरफा व जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया जा रहा है. इस मामले में नोएडा से गिरफ्तार दोनों पत्रकारों के परिजन ऊपरी न्यायालय में गुहार लगाने में जुट गए हैं. इसे लेकर पत्रकारों के परिजन अधिवक्ताओं से मिल रहे हैं.
नोएडा पुलिस ने 8 जून को सेक्टर-63 स्थित नेशन लाइव चैनल की हेड इशिता सिंह और संपादक अनुज शुक्ला को गिरफ्तार किया था. इन पर आरोप था कि 6 जून को चैनल पर एक चर्चा का आयोजन किया गया था. इसमें योगी पर एक महिला द्वारा लगाए गए कथित मानहानि कारक आरोपों की बगैर पड़ताल किए चर्चा की गई. नोएडा पुलिस का कहना है कि चैनल पर चर्चा के आयोजन से एक पार्टी विशेष के कार्यकर्ताओं में रोष था. इससे कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता था. इसके बाद दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उसी दिन एक स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया को भी लखनऊ पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. प्रशांत पर भी सीएम पर इसी मामले में ट्वीट करने का आरोप था. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. नोएडा पुलिस ने दोनों पत्रकार इशिता सिंह व अनुज शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की जिन धाराओं मुकदमा दर्ज किया है. कमोबेश उन्हीं धाराओं में प्रशांत के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर ऊपरी न्यायालय में यह मामला गया तो दोनों पत्रकारों को राहत मिल सकती है. इसके बाद नोएडा पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लग सकता है.
उधर, शामली जिले में मालगाड़ी के पटरी से उतर जाने की खबर कवर करने गए पत्रकार की जीआरपी के जवानों ने जानवरों की तरह पिटाई की. इस पूरी घटना का वीडियो सामने आया है जिसने यूपी पुलिस की पोल खोलकर रख दी है. वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह से जीआरपी के जवान पत्रकार को बुरी तरह से लात-घूसों से पीट रहे हैं. घटना के बारे में पीड़ित पत्रकार ने बताया कि वह शामली के धीमनपुरा में मालगाड़ी के पटरी से उतर जाने की खबर को कवर करने के लिए गया था. लेकिन सादे कपड़ों में जीआरपी के जवानों ने उसके साथ बुरी तरह से मारपीट की. जीआरपी के जवान ने उसका कैमरा फेंक दिया, जब मैंने अपना कैमरा उठाया तो उन लोगों ने फिर से मुझे मारना शुरू कर दिया और मुझे गालियां दीं. मुझे कैद किया गया, मेरे कपड़े फाड़ दिए गए और इन लोगों ने मेरे मुंह में पेशाब किया.
Prashant Rana
June 13, 2019 at 3:13 pm
चैनल का पत्रकार इमानदारी से रेल दुर्घटना की खबर को कवर कर रहा था रेलवे की जीआरपी पुलिस की चैनल पत्रकार की बिना किसी गुनाह के पिटाई करना अशोभनीय निंदनीय है मैं भड़ास मीडिया के माध्यम से कहना चाहता हूं की पूरा जिला प्रशासन शामली भष्ट्राचार में लिप्त है यहां पर सब अधिकारी भष्द्राचार मे लिप्त है चैनल पत्रकार का सिर्फ इतना गुनाह था वह रेलवे की करतूतों को उजागर कर रहा था , शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होगी , क्योंकि इन भष्ट्रअधिकरियो को सफेद पोश नेताओं का संरक्षण प्राप्त है।मैं सब भुगत चुका है एक मामले में शिकायत करने पर कोई शिकायत नहीं हुई है गुनाहगार खुलेआम घूम रहे हैं