बसपा द्वारा धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह को लोकसभा चुनाव का टिकट दिए जाने के बाद जौनपुर सीट की लड़ाई भारी हो गई है. श्रीकला के अलावा भाजपा के धनपशु कृपाशंकर सिंह, समाजवादी पार्टी की तरफ से बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में हैं. कृपाशंकर का अंदरखाने ही विरोध बताया जा रहा है. धनंजय को जानबूझकर जेल भेजे जाने के बाद स्थानीय जनता श्रीकला को हाथोंहाथ ले रही है. ऊपर से धनंजय का जौनपुर व आसपास खासा प्रभाव भी है. लोग अटकलें लगा रहे हैं कि श्रीकला चुनाव में बाजी मारेंगी. अगर ऐसा है तो क्या कृपाशंकर को उल्टे पांव मुंबई भाग जाना पड़ेगा?…
खुर्शीद अनवर खान-
जौनपुर संसदीय क्षेत्र के तक़रीबन 20 लाख से अधिक मतदाताओं के पास अब तीन विकल्प हैं. एक हैं भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह, जो कहने को तो जौनपुर के निवासी हैं लेकिन 40 बरस से मुंबई में सियासत करते हैं. जौनपुर और जौनपुर की जनता से अबतक उनका सरोकार न के बराबर रहा है. उनपर बड़े-बड़े घोटालों के आरोप हैं. अभी तक कि ख़बर यह है कि भाजपा के स्थानीय नेता भी उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं. उनका चुनाव चढ़ना, लड़ना और जीतना सब कुछ संदेह के घेरे में है.
दूसरे हैं सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा. बाबू सिंह बाहरी हैं और नई नस्ल को उनका नाम तक नहीं पता. कुशवाहा 5 हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा के घपलेबाज़ हैं. तक़रीबन 10 बरस तक सियासी बियाबान की खाक छान कर अब जौनपुर की जनता को ठगने आये हैं. खांटी सपाई भी कुशवाहा के नाम पर खुश नहीं हैं. लोगों को लगता है कि यह हारे या जीते जौनपुर में दिखेगा नहीं. जानकार तो यह भी बताते हैं कि घोटाले के हजारों करोड़ होने के बावजूद बाबू सिंह कंजूस और चिरकुट हैं. चुनाव में चवन्नी भी नहीं निकालते.
अब तीसरा विकल्प पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी और ज़िला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला सिंह हैं. धनंजय सिंह के बारे में जौनपुर की जनता को बताने की ज़रूरत नही है. आप बाहुबली कह कर उनकी आलोचना कर सकते हैं लेकिन इस बात से इनकार नही कर सकते कि धनंजय पिछले 20 बरस से जौनपुर के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. आप इस बात से भी इंकार नही कर सकते कि वह हमेशा जनता के बीच बने रहते हैं. इस बात से भी शायद ही कोई इनकार करे कि वह हर दिन सैकड़ों गरीबों की मदद करते हैं.
श्रीकला सिंह सिर्फ़ धनंजय सिंह की पत्नी ही नहीं ज़िला पंचायत अध्यक्ष भी हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. बड़े राजनैतिक और व्यापारिक घराने से उनका ताल्लुक़ है. तेज़ तर्रार हैं, रबर स्टाम्प नहीं हैं. मज़हब और जाति को एक कोने में धकेल कर दिल पर हाथ रखिये और तय करिए कि लोकसभा में आपका प्रतिनिधि कौन होगा. श्रीकला संसद की सीढियां चढ़ने में कामयाब हुईं तो आप एक जनप्रतिनिधि चुन कर दो जनसेवक पाएंगे.
कौन हैं श्रीकला?
श्रीकला सिंह जौनपर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी और ज़िला पंचायत अध्यक्ष हैं. उनका ताल्लुक़ दक्षिण भारत के एक बड़े राजनैतिक और व्यपारिक घराने से है. उनके पिता जितेंद्र रेड्डी तेलंगाना के विधायक रहे. श्री कला तक़रीबन 800 करोड़ चल अचल संपत्ति की मालकिन हैं. शाम तक पूर्व सांसद के पिता पूर्व विधायक राजदेव सिंह के बसपा प्रत्याशी बनने की चर्चा ज़ोरों पर थी. लेकिन उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए बसपा ने पूर्व सांसद की पत्नी श्रीकला पर दांव लगाना उचित समझा. श्रीकला के मैदान में उतरने से जौनपुर की सियासी फ़िज़ा गर्म हो गयी है.
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