दो लोगों के वीडियो आज खूब वायरल हो रहे हैं. ये दो हैं- यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और रिपब्लिक भारत के ए़डिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी.
केशव प्रसाद मौर्य से एक प्रेस कांफ्रेंस के आखिर में पत्रकारों ने मीडियाकर्मियों पर हमले के बाबत सवाल किया तो उनका जवाब सीधे चंद्रमा से आया. उन्होंने कहा कि ‘तुम लोग पत्रकारिता छोड़कर नेतागिरी करो.’
लखनऊ की वकील नूतन ठाकुर वीडियो शेयर करते हुए फेसबुक पर लिखती हैं-
सत्ता का बेहिसाब नशा- पत्रकार के पीटे जाने की शिकायत पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का जवाब सुने- “पत्रकारिता छोड़ कर नेतागिरी करो.”
भड़ास एडिटर यशवंत ने भी ये वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है, देखें वीडियो-
Neelesh Samarpit लिखते हैं-
सत्ता के नशे में मतांड प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यही जवाब आगामी चुनाव में उन्हें कुर्सी से उतार कर बीच सड़क पर ला पटकेगा। शर्म आती है कि ये हमारे रहनुमा हैं।।
दूसरा वीडियो जो वायरल हो रहा है उसमें अरनब गोस्वामी चिल्ला रहा है कि मुझे ड्रग्स दो, मुझे ड्रग्स दो… सुशांत प्रकरण का पीछा करते रिपब्लिक भारत के टीआरपी में नंबर वन बन जाने और अब आजतक चैनल द्वारा रिया का इंटरव्यू प्रसारित कर देने से अरनब के पांव जमीन से उखड़ चुके हैं. वह अनाप शनाप बोलने लगा है, लाइव, चैनल पर. इसी तरह का एक वीडियो वायरल है जिसमें अरनब गोस्वामी में पागलपन के लक्षण दिख रहे हैं.
पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव फेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए लिखते हैं-
मुझे शक है कि इस आदमी पर कोई आसमानी हवा काम कर रही है। आदम की औलाद साधारण अवस्था में ऐसे बात नहीं करती।
वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए अरनब की इस हरकत पर आनंद लेते हुए लिखते हैं कि ये नेक्स्ट लेवल का जर्नलिज्म है!
देखें वीडियो-
विनोद कापड़ी के एक अन्य ट्वीट को रीट्वीट करते हुए Ashok K Pandey लिखते हैं- इस आदमी को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा की सख़्त आवश्यकता है। लेकिन इसके शो पर जाने वालों और दिए देखने वालों का इलाज़ तो हक़ीम लुकमान के पास भी नहीं।
इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार Dr Prakash Hindustani की चुटीली प्रतिक्रिया इस वीडियो पर देखें-
ये क्या कर रिया है?
क्यों कर #रिया है?
इसे कहाँ भेजें?
आगरा या एकता कपूर के पास?
8 सेकंड्स में ही क्या कम्माल किया है!
पहले रोना आया और फिर हंसी!!!
अले, बछ कल, मेले बाबू छोना, कित्ता रुलाएगा !! जान लेगा क्या?
पत्रकार Mukesh Yadav वीडियो शेयर करते हुए पूछते हैं- अगर इसने आत्महत्या कर ली तो कौन जिम्मेदार होगा! The Nation wants to know!
वरिष्ठ पत्रकार Alok Putul लिखते हैं-
कई न्यूज़ एंकरों को तत्काल मानसिक चिकित्सालय में भर्ती किया जाना चाहिये. दूसरों के अलावा ये ख़ुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और अमरेंद्र राय की टिप्पणियां भी गौर करने लायक हैं-
Mukesh Kumar
ध्यान रखिए इस समय चैनलों के बीच टीआरपी युद्ध चल रहा है। पिछले दो हफ़्तों से रिपब्लिक टीवी ने आज तक को पछाड़ रखा है और उसकी इस बढ़त की वज़ह सुशांत पर उन्मादी कवरेज ही है। राजदीप का इंटरव्यू आज तक को बढ़त दिलवा सकता है। अब अर्नब को सुशांत के पिता, बहन, दामाद आदि के इंटरव्यू करने चाहिए। जब मामला धंधे का हो तो पत्रकारिता गई भाड़ में।
Amrendra Rai
टीआरपी के साथ साथ हिडेन एजेंडा भी है। कई ऐसे विषय हैं जो लोग नहीं देखना चाहते पर चैनल परोसे जा रहे हैं। कई ऐसी चीजें हैं जो लोग देखना चाहते हैं पर चैनल नहीं दिखा रहे। सुशांत प्रकरण को भी लोग देख देख कर थक गए हैं। पर करें क्या जब भी जो भी चैनल खोलते हैं यही दिख रहा है।
Pradeep Tiwari वीडियो शेयर करते हुए लिखते हैं-
जर्नलिज्म का ककहरा पढ़ने का सौभाग्य कई विद्वानों से मिला। न्यूज़ क्या है, क्यों है, कैसे है? न्यूज़ और व्यूज में अंतर क्या है? न्यूज़ के अंग कौन-कौन से हैं? इन प्रश्नों के उत्तर को कंठस्थ कराया गया। आसपास की न्यूज़ रिपोर्ट्स को छन्नी लगाकर छानकर दिखाया कि न्यूज़ और व्यूज का अंतर क्या है?
हर खबर में वर्जन के एक बॉक्स को लोकतंत्र की निशानी के तौर पर सबसे ऊपर रखने की बात बताई थी। इसी वर्जन/कोट के साथ डंके की चोट पर खबर लिखने का हुनर सिखाया। लाइन में खड़े आखिरी पीड़ित तक पहुंचने का हौसला भरा था, लेकिन उसी लाइन के सामने खड़े आरोपी की पूरी बात को रखने का एथिक्स भी बताया। अब तक की पत्रकारिता में जो वरिष्ठजन मिले उन्होंने भी व्यूज और न्यूज़ के बीच की खाईं को बरकरार रखा। उसे न तो पाटने का दुस्साहस मैंने किया और न ही उन्होंने अपनी मर्यादा लांघी। बस यही वजह है कि मुझे आज भी प्रिंट मीडिया से प्यार है।
जर्नलिज्म के कई छात्र मेरे साथ यहां जुड़े हैं। कुछ ऐसे भी होंगे जो जर्नलिस्ट बनना चाहते हैं। उन्हें बस इतनी सलाह है कि न्यूज़ चैनल मत देखना। यहां एडिट पेज का कोई विकल्प नहीं है। यहां के स्टार पत्रकार आपको न्यूज़ और व्यूज के बीच का अंतर कभी समझने नहीं देंगे। इन्हें देखकर आप केवल मंदारी बन पाएंगे, पत्रकार नहीं। आपके जेहन से लोकतंत्र का वे कत्ल कर देंगे। पत्रकार नहीं, आपको गुलाम बनाकर कठपुतली बना देंगे।