जेल बदलने के दौरान अरनब गोस्वामी ने जेल की गाड़ी से ही चिल्लाकर बताया कि उन्हें जेल में जूते से पीटा जा रहा है. इसके बाद सोशल मीडिया पर अरनब को लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कई लोग तो जैसे को तैसा बताकर खुश हो रहे हैं क्योंकि अर्नब गोस्वामी ने रिया चक्रवर्ती समेत कइयों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया था और पत्रकारिता की गरिमा को भूलकर गोदी मीडिया के अगुवा बनते हुए महाराष्ट्र के सीएम, डीजीपी आदि के खिलाफ बिलो द बेल्ट प्रहार कर रहे थे. ऐसे में उनके साथ ये होना ही था.
वहीं दूसरे खेमे का कहना है, जो भाजपा समर्थकों का है, कि जूतों से नहीं पीटना चाहिए, अरनब के साथ ऐसा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वो हैं तो पत्रकार ही. भाजपा समर्थक पत्रकार दीपक चौरसिया, सुशांत सिन्हा, सुधीर चौधरी आदि ने खुलकर अरनब की गिरफ्तारी और उनके साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार की निंदा की.
वहीं कुछ तटस्थ विश्लेषकों का कहना है कि अरनब गोस्वामी एक हाईप्रोफाइल आदमी हैं. उनके साथ कोई जेल अफसर बुरा बर्ताव करने से पहले सौ बार सोचेगा क्योंकि उसे अपनी नौकरी प्यारी होती है. जेल में बड़े लोगों के साथ आदर के साथ व्यवहार किया जाता है क्योंकि सबको पता है कि ये ताकतवर बंदा जब छूट कर बाहर जाएगा तो काफी कुछ नुकसान अफसरों का कर सकता है. इसलिए अरनब ने जूते से पीटे जाने वाली जो कहानी कही है, दरअसल वह केवल संवेदना, समर्थन हासिल करने की योजना के तहत है ताकि पूरा देश उनके साथ उठ खड़ा हो.
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